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Hindi NewsNational30 Deaths In 30 Days In The Village Bordering Rajasthan, Rage 12 hour Ritual To Avoid Kareena
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4 मिनट पहले
आगर जिले के 150 गांव इलाज के लिए राजस्थान के झालावाड़ पर निर्भर हैं। वहां के मेडिकल कॉलेज में 60% मरीज मध्यप्रदेश के हैं, जो कोरोना का इलाज करा रहे हैं। इन मरीजों की बढ़ती संख्या देख झालावाड़ प्रशासन ने सीमाएं सील कर दी हैं। उधर, उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे टीकमगढ़ जिले के तीन गांव लॉकडाउन में दो राज्यों के बीच फंस गए हैं। पढ़ें, मध्यप्रदेश के गांवों से ग्राउंड रिपोर्ट…
1. मध्यप्रदेश से लोग कोरोना के इलाज के लिए झालावाड़ जा रहे थे- राजस्थान की सीमा से सटे आगर जिले के गांवों से राजेंद्र दुबे और शरद गुप्ता की रिपोर्ट
सोयत क्षेत्र के गांवों में आगर जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य सुविधाओं के कोई इंतजाम नहीं किए। गांव के हेल्थ सेंटर्स पर न डॉक्टर हैं और न ही ऑक्सीजन। नतीजा- अकेले डोंगरगांव में ही एक महीने में 30 मौतें हो गईं।
8 हजार की आबादी वाले इस गांव में 60 फीसदी लोग सर्दी-खांसी से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अब लोग यज्ञ-अनुष्ठान कर कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना कर रहे हैं।
गांव के मुख्य मंदिर में 5 पंडित रोज 12 घंटे मंत्रोत्चार कर रहे हैं। मंदिर के चारों ओर जालियां लगाकर रास्ते बंद किए गए हैं। द्वार पर ताला लगा दिया है। 5 दिन के इस अनुष्ठान के दौरान मंदिर में केवल 5 पंडित और पुजारी ही प्रवेश कर सकेंगे।
पूर्व सरपंच प्रेमसिंह सोनगरा बोले- गांव की खुशहाली और कोरोना से मुक्ति के लिए ये अनुष्ठान करा रहे हैं। दो साल पहले कम बारिश होने पर अनुष्ठान कराया था तो अच्छी बारिश हुई थी। बड़ा गांव होने के बावजूद यहां एक भी सरकारी डॉक्टर पदस्थ नहीं है, एक एएनएम ही इलाज करती हैं। गांव वाले इलाज के लिए झालावाड़ पर निर्भर है।
डोंगरगांव से 3 किमी दूर मध्यप्रदेश की सीमा खत्म होते ही राजस्थान पुलिस तैयार दिखी। यहां चैकपोस्ट लगाकर रास्ता रोक दिया है। आरक्षक रोशनलाल बताते हैं कि झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में सर्वे किया तो पाया कि 60 फीसदी बेड मध्यप्रदेश के मरीजों से भरे हैं। इसके बाद राजस्थान सरकार ने मध्यप्रदेश के लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित किया है। जांच के लिए यहां लैब टेक्नीशियन भी तैनात किया है।
20 दिन से मध्यप्रदेश के किसी भी मरीज की राजस्थान में एंट्री बंद है।
सालियाखेड़ी में सभी बुजुर्गों को टीका लगासालियाखेड़ी में 2500 की आबादी है। यहां 15 पॉजिटिव मिले और 2 की मौत हो चुकी है। इसके बाद लोग टीके लगवाने आगे आए। 60 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को टीके लग चुके हैं। वे दूसरे डोज का इंतजार कर रहे हैं। 45 प्लस के 600 लोगों को टीके लग गए हैं। 18 प्लस में अभी एक भी टीका नहीं लगा। सरपंच पति श्याम मनोहर बोले- युवा रोज आकर कहते हैं कि हमें जल्द वैक्सीन लगवाओ।
2. यूपी और एमपी बॉर्डर के बीच फंसे 3 गांव- टीकमगढ़ के जिलों से श्रीकांत त्रिपाठी की रिपोर्ट
टीकमगढ़ जिले के तीन गांव बरखिरिया, घाट खिरिया और धनवाहा लॉकडाउन में दो राज्यों के बीच फंस गए हैं। बरखिरिया गांव के प्रमोद कुशवाहा बताते हैं कि हमारे गांव से निकलने वाले रास्ते से पहले ही मध्यप्रदेश पुलिस ने खिरिया चौकी के सामने नाकाबंदी कर दी। यहां से उत्तरप्रदेश के लोगों की एंट्री बंद है, लेकिन हम तो मध्यप्रदेश के हैं। फिर भी जाने नहीं दिया जाता है।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की सीमा पर भी यही हाल है। जरूरत के सामान के लिए ग्रामीणों ने नदी से होते हुए एक रास्ता खोजा है जो उत्तर प्रदेश के चेक पोस्ट से आगे महरौनी जिले में खुलता है। नदी सूखी है, इसलिए परेशानी नहीं है, लेकिन बारिश में मुश्किलें और बढ़ेंगी। फिलहाल इसी रास्ते से हम उत्तर प्रदेश में सीधे दाखिल हो जाते हैं। अपने मध्यप्रदेश में अभी हमारी एंट्री नहीं है।
विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान का बहिष्कार करने को लेकर ये तीनों गांव चर्चा में रहे थे। लोगों ने पानी की समस्या हल नहीं होने पर चुनाव में मतदान नहीं किया। धनवाहा गांव के आशाराम कुशवाहा कहते हैं कि ऐसा लगता है कि हमसे चुनाव का बहिष्कार का बदला लिया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि गांव में अब तक एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला। लोगों को बुखार, सर्दी और खांसी की शिकायत हुई पर काढ़ा और अन्य देसी नुस्खों पर ही भरोसा किया।
टीका लगने के बाद 90 साल के पिताजी की बीमारी ठीक हो गईबरखिरिया गांव के कोमल बताते हैं कि गांव में 45 साल से ज्यादा उम्र के सभी व्यक्तियों को टीका लग चुका है। इतना ही नहीं, उनके 90 साल के पिताजी लंबे समय से सांस की बीमारी से पीड़ित थे, लेकिन टीकाकरण के बाद उनकी बीमारी ठीक हो गई। पता नहीं इसका कारण टीका है या कुछ और।
अब गांव के युवा टीका लगने का इंतजार कर रहे हैं। बरखिरिया में 45+ के 55 लोगों में से 51 और धनवाहा गांव में 160 में से 155 लोगों का टीकाकरण हो चुका है। यही वजह है कि गांव में न तो किसी कोरोना नहीं हुआ।
6 दिन से दूसरे केंद्रों के बाहर सो रहे किसानटीकमगढ़ जिले में जमुनियाखेड़ा और अजनोर स्थित खरीदी केंद्रों के बाहर सैकड़ों ट्रैक्टर और किसानों की भीड़ लगी हुई थी। कारण पूछने पर पुष्पेंद्र यादव ने बताया कि समर्रा केंद्र के प्रबंधक कोरोना पॉजिटिव हो गए और दो सेल्समैन की संक्रमण के चलते मौत हो गई है। इस कारण 20 दिन पहले खरीदी केंद्र बंद कर दिया गया था।
किसानों की परेशानी को देखते हुए अब समर्रा केंद्र के किसानों को जमुनियाखेड़ा और अजनोर में बांटा गया है, लेकिन बारदाने की कमी के चलते समर्थन मूल्य पर खरीदी में समय लग रहा है। वहीं, किसान यादवेंद्र सिंह का कहना है कि पिछले 6 दिन से किसान केंद्र के बाहर पड़े हैं। बारिश में अनाज गीला हो रहा है और एक-दूसरे के संपर्क में आने से कोरोना के संक्रमण का डर भी है, लेकिन क्या करें। यदि अनाज नहीं बिका तो परिवार का पेट कैसे भरेंगे।
बड़ागांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एक बुजुर्ग महिला को दूसरे टीके के लिए मना रही थी, लेकिन महिला का कहना था कि पहले टीके के बाद 8 दिन में बुखार ठीक हुआ। अब दूसरा टीका नहीं लगवाएंगे। न ही बच्चों को किसी भी तरह के टीकाकरण के लिए भेजेंगे।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमन लता जैन ने बताया कि कोरोना के टीकाकरण के कारण अब लोग मंगलवार को होने वाले मीजल्स जैसे रूटीन टीकों के लिए भी बच्चों को भेजने से परहेज कर रहे हैं।
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