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लखनऊ10 मिनट पहले
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तीनों आरोपियों से STF ने पूछताछ कर अहम जानकारी हासिल की है।
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच रेमिडिसिवर (Remidisvir) इंजेक्शन की किल्लत है। लेकिन कुछ लोग इस किल्लत का फायदा उठाने के लिए कालाबाजारी व तस्करी करने में लग गए हैं। ऐसा की एक मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर में आया है। यहां उत्तर प्रदेश STF ने मिलिट्री इंटेलिजेंस इनपुट पर इंजेक्शन के 265 वायल (vials) के तीन तस्करों को पकड़ा है। इंजेक्शन तस्करी का यह मामला बताया जा रहा है। इंजेक्शन की खेप कोलकाता से भेजी गई थी। STF इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में लगी है।
ग्राहक बनकर तय किया सौदा
कानपुर की टीम को लखनऊ मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट से सूचना मिली कि कोविड-19 महामारी में लाइफ सपोर्ट के लिए आवश्यक रेमिडिसिवर इंजेक्शन की खेप कोलकाता से कानपुर भेजी गई है। इसकी सप्लाई खाड़ेपुर नौबस्ता निवासी मोहन सोनी को होनी है। अफसरों ने ग्राहक बनकर मोहन सोनी से सौदा तय किया। इसके बाद STF को सूचना दी गई। STF के SI राजेश और सिपाही देवेश ने ग्राहक बनकर मोहन से संपर्क साधा। इसके बाद इंजेक्शन की डिलीवरी कोपरगंज स्थित एक होटल में तय की गई। उससे पहले STF और बाबूपुरवा पुलिस ने किदवई नगर में छापेमारी कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
बरामद इंजेक्शन।
ऊंचे दामों में बेच रहे थे इंजेक्शन
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान खाड़ेपुर नौबस्ता निवासी मोहन सोनी, पशुपति नगर निवासी प्रशांत शुक्ला व यमुना नगर, हरियाणा निवासी सचिन कुमार के रुप में हुई। बरामद किए गए इंजेक्शन पर बैच नंबर या अन्य संबंधित जानकारी नहीं मिली है। पकड़े गए लोगों ने पूछताछ में बताया कि इस इंजेक्शन की कीमत 5400 रुपए है। जिसकी बाजार में काफी कमी है, इसका फायदा उठाने के लिए मनमाने दाम पर बेचा जा रहा था।
सरकार का निर्देश- कालाबाजारी रोकी जाएउत्तर प्रदेश सरकार ने रैमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत को देखते हुए इसकी तस्करी पर लगाम लगाए जाने के निर्देश दिए हैं। सरकार के द्वारा स्पष्ट आदेश है कोई भी औषधि और मेडिकल संबंधित सेवा में कोई भी लापरवाही न बरती जाए। इसकी आपूर्ति समुचित रखी जाए और अगर कोई इसमें तस्करी या कालाबाजारी कर रहा है उसके खिलाफ सख्त सख्त कार्रवाई की जाए।
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