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एजेंसी, मुंबई
Published by: Kuldeep Singh
Updated Tue, 23 Mar 2021 04:11 AM IST
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (फाइल फोटो)
– फोटो : ANI
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विशेष एनआईए अदालत ने सोमवार को एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी को जमानत देने से इनकार कर दिया। अतिरिक्त सत्र अदालत के जज डीई कोथालिकर ने 83 वर्षीय स्वामी जमानत याचिका मेरिट के साथ साथ चिकित्सीय आधार पर भी खारिज कर दी।
कोर्ट ने मेरिट के साथ चिकित्सीय आधार पर खारिज की याचिकाराष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने स्वामी को अक्तूबर, 2020 में रांची से गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल नवी मुंबई की तालोजा जेल में बंद है। सुनवाई के दौरान स्वामी के वकील ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त हैं और दोनों कान से सुन नहीं पाते है। इसके अलावा उन्हें कई अन्य बीमारी भी हैं।
वहीं जांच एजेंसी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच में पता चला है कि स्वामी ‘विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन’ और ‘पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ जैसे संगठनों के कट्टर समर्थक हैं, जो माकपा (माओवादी) के मोर्चों के तौर पर काम करता है। स्वामी के वकील शरीफ शेख ने दलील दी कि एनआईए स्वामी के एल्गार परिषद-माओवादी से संपर्क होने की बात साबित करने में नाकाम रहा है।
विशेष एनआईए अदालत ने सोमवार को एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी को जमानत देने से इनकार कर दिया। अतिरिक्त सत्र अदालत के जज डीई कोथालिकर ने 83 वर्षीय स्वामी जमानत याचिका मेरिट के साथ साथ चिकित्सीय आधार पर भी खारिज कर दी।
कोर्ट ने मेरिट के साथ चिकित्सीय आधार पर खारिज की याचिका
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने स्वामी को अक्तूबर, 2020 में रांची से गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल नवी मुंबई की तालोजा जेल में बंद है। सुनवाई के दौरान स्वामी के वकील ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त हैं और दोनों कान से सुन नहीं पाते है। इसके अलावा उन्हें कई अन्य बीमारी भी हैं।
वहीं जांच एजेंसी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच में पता चला है कि स्वामी ‘विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन’ और ‘पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ जैसे संगठनों के कट्टर समर्थक हैं, जो माकपा (माओवादी) के मोर्चों के तौर पर काम करता है। स्वामी के वकील शरीफ शेख ने दलील दी कि एनआईए स्वामी के एल्गार परिषद-माओवादी से संपर्क होने की बात साबित करने में नाकाम रहा है।
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