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एंटीलिया मामला: शरद पवार ने हिदायत के साथ महाराष्ट्र के गृहमंत्री देशमुख को काम जारी रखने को कहा

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शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 19 Mar 2021 08:29 PM IST

सार
अनिल देशमुख को दिल्ली बुलाए जाने के मतलब से ही साफ है कि शरद पवार ने मामले को काफी गंभीरता से लिया है। वह निश्चित रूप से इस बड़ी चूक से नाराज हैं…

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख
– फोटो : ANI (File)

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महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख शुक्रवार को दिल्ली आए थे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भेंट की। शरद पवार ने उनसे ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा की। इसमें मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला, पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की करतूत समेत सभी पहलू शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि चर्चा के बाद शरद पवार ने हिदायत के साथ सावधानी पूर्वक कामकाज को आगे जारी रखने के लिए कहा है। शरद पवार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। सत्ता और शासन की सभी बारीकियों से बखूबी वाकिफ हैं। वह नहीं चाहते कि एनसीपी के कोटे के गृहमंत्री से किसी भी तरह की चूक हो और उसका असर महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार और पार्टी के हितों पर पड़े।

गृहमंत्री अनिल देशमुख ने शरद पवार से मिलने के बाद मीडिया से भी बात की। इस दौरान गृहमंत्री ने माना कि हिरेन मनसुख की हत्या हुई थी। इसमें उन्होंने माना कि मुंबई पुलिस से लापरवाही हुई है। फिलहाल अनिल देशमुख ने कहा है कि हिरेन मनसुख मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है। एनआईए को जांच में महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस से पूरा सहयोग मिलेगा।  

क्या गृहमंत्री अनिल देशमुख पद पर बने रहेंगे?
यह एक बड़ा सवाल है। इसका जवाब शरद पवार के अलावा फिलहाल किसी के पास नहीं है। अनिल देशमुख को दिल्ली बुलाए जाने के मतलब से ही साफ है कि शरद पवार ने मामले को काफी गंभीरता से लिया है। वह निश्चित रूप से इस बड़ी चूक से नाराज हैं। पवार के काम करने की एक शैली है। एनसीपी के दिवंगत नेता डीपी त्रिपाठी कहा कहते थे कि पवार कोई भी बड़ा कदम अपने तरीके से उठाते हैं। कई बार उनके बिल्कुल पास और साथ रहने वालों को भी इसकी भनक नहीं होती।

इसलिए यह केवल एक अनुमान है कि अनिल देशमुख की छुट्टी हो सकती है। वैसे, अनिल वसंतराव देशमुख एनसीपी प्रमुख शरद पवार के विश्वासपात्र नेताओं में हैं। कातोल विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं और महाराष्ट्र विधानसभा में पांचवी बार जीतकर आए हैं। नागपुर जिला परिषद से उभरे देशमुख एक जमीनी नेता हैं और महाराष्ट्र सरकार में कई विभागों के मंत्री रह चुके हैं। 1995 में देशमुख भाजपा-शिवसेना की सरकार में मंत्री थे, लेकिन बाद में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बनने पर शरद पवार के साथ चले आए थे और 1999 में एनसीपी की सरकार में स्कूली शिक्षामंत्री थे। समझा जा रहा है कि शरद पवार ने उनसे किसी तरह के दबाव में रहकर काम न करने की सलाह दी है।

क्या है शरद पवार के नाराजगी की बड़ी वजह?
देश के प्रख्यात उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर स्कॉर्पियो गाड़ी में जिलेटिन की छड़ों के मिलने के कारण यह मामला हाई प्रोफाइल है। गाड़ी में विस्फोटक मिलने के अलावा मुकेश अंबानी और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी गई। बरामद हुई स्कार्पियो गाड़ी हिरेन मनसुख की है और कुछ दिन बाद हिरेन मनसुख की मुंबई पुलिस को लाश भी बरामद हो गई। शुरू में पुलिस ने इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की, लेकिन राजनीतिक दबाव बढ़ने और एनआईए की जांच के बाद धीरे-धीरे यह मामला अब पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की संलिप्तता में षडयंत्र का ताना-बाना बुनकर की गई हत्या में तब्दील होता जा रहा है।

इसे लेकर शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस के गठबंधन वाली उद्धव ठाकरे सरकार की जड़े हिल रही हैं। मुकेश अंबानी को धमकी देने से लेकर यह हत्या का प्रकरण सरकार, व्यवस्था पर भी बहुत गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। अभी इसके असल के सूत्रधारों का खुलासा होना बाकी है। ऐसे में जब गृह मंत्रालय जैसा अहम विभाग एनसीपी के पास है तो शरद पवार का नाराज होना लाजिमी है।

विस्तार

महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख शुक्रवार को दिल्ली आए थे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भेंट की। शरद पवार ने उनसे ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा की। इसमें मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला, पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की करतूत समेत सभी पहलू शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि चर्चा के बाद शरद पवार ने हिदायत के साथ सावधानी पूर्वक कामकाज को आगे जारी रखने के लिए कहा है। शरद पवार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। सत्ता और शासन की सभी बारीकियों से बखूबी वाकिफ हैं। वह नहीं चाहते कि एनसीपी के कोटे के गृहमंत्री से किसी भी तरह की चूक हो और उसका असर महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार और पार्टी के हितों पर पड़े।

गृहमंत्री अनिल देशमुख ने शरद पवार से मिलने के बाद मीडिया से भी बात की। इस दौरान गृहमंत्री ने माना कि हिरेन मनसुख की हत्या हुई थी। इसमें उन्होंने माना कि मुंबई पुलिस से लापरवाही हुई है। फिलहाल अनिल देशमुख ने कहा है कि हिरेन मनसुख मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है। एनआईए को जांच में महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस से पूरा सहयोग मिलेगा।  

क्या गृहमंत्री अनिल देशमुख पद पर बने रहेंगे?
यह एक बड़ा सवाल है। इसका जवाब शरद पवार के अलावा फिलहाल किसी के पास नहीं है। अनिल देशमुख को दिल्ली बुलाए जाने के मतलब से ही साफ है कि शरद पवार ने मामले को काफी गंभीरता से लिया है। वह निश्चित रूप से इस बड़ी चूक से नाराज हैं। पवार के काम करने की एक शैली है। एनसीपी के दिवंगत नेता डीपी त्रिपाठी कहा कहते थे कि पवार कोई भी बड़ा कदम अपने तरीके से उठाते हैं। कई बार उनके बिल्कुल पास और साथ रहने वालों को भी इसकी भनक नहीं होती।

इसलिए यह केवल एक अनुमान है कि अनिल देशमुख की छुट्टी हो सकती है। वैसे, अनिल वसंतराव देशमुख एनसीपी प्रमुख शरद पवार के विश्वासपात्र नेताओं में हैं। कातोल विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं और महाराष्ट्र विधानसभा में पांचवी बार जीतकर आए हैं। नागपुर जिला परिषद से उभरे देशमुख एक जमीनी नेता हैं और महाराष्ट्र सरकार में कई विभागों के मंत्री रह चुके हैं। 1995 में देशमुख भाजपा-शिवसेना की सरकार में मंत्री थे, लेकिन बाद में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बनने पर शरद पवार के साथ चले आए थे और 1999 में एनसीपी की सरकार में स्कूली शिक्षामंत्री थे। समझा जा रहा है कि शरद पवार ने उनसे किसी तरह के दबाव में रहकर काम न करने की सलाह दी है।

क्या है शरद पवार के नाराजगी की बड़ी वजह?
देश के प्रख्यात उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर स्कॉर्पियो गाड़ी में जिलेटिन की छड़ों के मिलने के कारण यह मामला हाई प्रोफाइल है। गाड़ी में विस्फोटक मिलने के अलावा मुकेश अंबानी और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी गई। बरामद हुई स्कार्पियो गाड़ी हिरेन मनसुख की है और कुछ दिन बाद हिरेन मनसुख की मुंबई पुलिस को लाश भी बरामद हो गई। शुरू में पुलिस ने इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की, लेकिन राजनीतिक दबाव बढ़ने और एनआईए की जांच के बाद धीरे-धीरे यह मामला अब पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की संलिप्तता में षडयंत्र का ताना-बाना बुनकर की गई हत्या में तब्दील होता जा रहा है।

इसे लेकर शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस के गठबंधन वाली उद्धव ठाकरे सरकार की जड़े हिल रही हैं। मुकेश अंबानी को धमकी देने से लेकर यह हत्या का प्रकरण सरकार, व्यवस्था पर भी बहुत गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। अभी इसके असल के सूत्रधारों का खुलासा होना बाकी है। ऐसे में जब गृह मंत्रालय जैसा अहम विभाग एनसीपी के पास है तो शरद पवार का नाराज होना लाजिमी है।

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