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प्रस्तावित मुंबई-नागपुर तीव्र गति के रेल गलियारे के लिए सुदूर संवेदी प्रौद्योगिकी लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लीडार) सर्वे शुक्रवार को शुरू हुआ। प्रस्तावित 736 किलोमीटर बुलेट ट्रेन परियोजना शाहपुर, इगतपुरी, नासिक, मेहकार, मालेगांव, वर्धा और खापरी को जोड़ेगी।
इस सर्वे में लीडार प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है जिसमें आंकड़े 3-4 महीने में उपलब्ध हो जाते हैं जबकि परंपरागत तकनीक में 10 से 12 महीने का समय लगता है।
लीडार सर्वे में विमान में लीडार और इमेजरी सेंसर का उपयोग कर जमीन के सर्वे से जुड़े आंकड़े एकत्रित किये जाते हैं। इस तकनीक के जरिये सर्वे में ढांचा, पेड़ और अन्य चीजों की स्पष्ट तस्वीर को लेकर 100 मेगापिक्सल कैमरे का उपयोग किया जाता है। एनएचएसआरसीएल (नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लि.) को सात तीव्र गति के रेल गलियारों के लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी है।
प्रस्तावित मुंबई-नागपुर तीव्र गति के रेल गलियारे के लिए सुदूर संवेदी प्रौद्योगिकी लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लीडार) सर्वे शुक्रवार को शुरू हुआ। प्रस्तावित 736 किलोमीटर बुलेट ट्रेन परियोजना शाहपुर, इगतपुरी, नासिक, मेहकार, मालेगांव, वर्धा और खापरी को जोड़ेगी।
इस सर्वे में लीडार प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है जिसमें आंकड़े 3-4 महीने में उपलब्ध हो जाते हैं जबकि परंपरागत तकनीक में 10 से 12 महीने का समय लगता है।
लीडार सर्वे में विमान में लीडार और इमेजरी सेंसर का उपयोग कर जमीन के सर्वे से जुड़े आंकड़े एकत्रित किये जाते हैं। इस तकनीक के जरिये सर्वे में ढांचा, पेड़ और अन्य चीजों की स्पष्ट तस्वीर को लेकर 100 मेगापिक्सल कैमरे का उपयोग किया जाता है। एनएचएसआरसीएल (नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लि.) को सात तीव्र गति के रेल गलियारों के लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी है।
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