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वाराणसी17 मिनट पहले
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बाबा के तिलकोत्सव में बड़ी संख्या में काशीवासियों के साथ बाहर के भक्त भी शामिल होंगे।
बाबा का पारंपरिक भव्य श्रृंगार किया जाता हैशिवरात्रि के महापर्व तक लोकाचार्य चलता है
बसंत पंचमी के दिन मंगलवार को बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव का भव्य आयोजन टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी के आवास पर परंपरानुसार होगा। बाबा की रजत प्रतिमा को पूजन-अभिषेक के लिए रजत सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। तिलकोत्सव के लिए बाबा को खादी से बना दूल्हे के परिधान धारण कराए जाएंगे।
तिलक की कथा राजा दक्ष से जुड़ी है
डा. कुलपति तिवारी ने कहा कि महादेव के तिलक की कथा राजा दक्ष से जुड़ी है। शिवमहापुराण और स्कंदपुराण में अलग-अलग कथा संदर्भों में महादेव के तिलकोत्सव का प्रसंग वर्णित है। दक्षप्रजापति उस समय के कई मित्र राज-महाराजाओं के साथ कैलाश पर जाकर भगवान शिव का तिलक किया था। उसी आधार पर लोक में इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है। काशी में इस वर्ष इस परंपरा के निर्वहन का 357वां वर्ष है। बाबा को सम्पूर्ण खादी का वस्त्र धारण कराया जायेगा।
तिलकोत्सव में श्रद्धालु भी होंगे शामिल
शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के गूंज के बीच तिलकोत्सव की बधइया यात्रा निकाली जाएगी। काशी के प्रतिष्ठित नागरिकों का समूह तिलक की सामग्री लेकर बसंत पंचमी की तिथि पर टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी के आवास पर पहुंचेंगे। इस समूह में नगर के साहित्य, कला, संगीत,उद्योग और व्यापार क्षेत्र से जुड़े गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे।
विश्वनाथ मंदिर से महंत आवास लाई गयी बाबा की मूर्ति
तिलकोत्सव के पूर्व बाबा का पारंपरिक शृंगार किया जाएगा। पांच ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक संपादित होगा। सायंकाल सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे जिसमें पूर्वांचल के कई जाने माने कलाकार शामिल होंगे। सोमवार को काशी विश्वनाथ प्रबंध समिति ने बाबा की रजत प्रतिमा को महंत कुलपति तिवारी के परिजनों को सौप दिया।
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