May 9, 2024 : 7:38 PM
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एक और आंदोलनकारी की मौत: बहादुरगढ़ में दिल्ली की दहलीज पर जींद के किसान ने लगाया फंदा, लिखा- तारीख पर तारीख दे रही मोदी सरकार

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बहादुरगढ़4 घंटे पहले

कॉपी लिंकबहादुरगढ़ में दिल्ली बॉर्डर पर आत्महत्या कर लेने वाले किसान के बारे में जानकारी देता साथी आंदोलनकारी। - Dainik Bhaskar

बहादुरगढ़ में दिल्ली बॉर्डर पर आत्महत्या कर लेने वाले किसान के बारे में जानकारी देता साथी आंदोलनकारी।

बहादुरगढ़-दिल्ली बॉर्डर पर स्थित टीकरी में धरने पर बैठे एक और किसान ने रविवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान ने सुसाइड नोट में केंद्र सरकार के खराब रवैये के परेशान होने की बात लिखी है। अब तक किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा मौत हो चुकी है। किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ धरना दे रहे हैं। रविवार को उनके धरने का 74वां दिन है।

बस अड्डे के पास पेड़ पर इस तरह लटका मिला कर्मवीर का शव।

बस अड्डे के पास पेड़ पर इस तरह लटका मिला कर्मवीर का शव।

मृतक की पहचान हरियाणा के जींद जिले के सिंघोवाल गांव निवासी 52 वर्षीय कर्मवीर सिंगवाल के रूप में हुई है। बीती रात ही वह अपने गांव से टीकरी बॉर्डर पहुंचा था। कर्मवीर की तीन बेटियों में से एक की शादी हो चुकी है। रविवार को बहादुरगढ़ के बाईपास स्थित नए बस स्टैंड के पास एक पेड़ पर प्लास्टिक की रस्सी का फंदा लगाकर जान दे दी।

सुबह किसानों को उसका शव पेड़ से फंदे पर लटका मिला तो इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने किसानों की मौजूदगी में शव को फंदे से उतारा और पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल में भिजवा दिया है। परिजनों को भी सूचना दी गई है।

कर्मवीर की तरफ से लिखा गया सुसाइड नोट दिखाते साथी किसान।

कर्मवीर की तरफ से लिखा गया सुसाइड नोट दिखाते साथी किसान।

साथी किसानों ने बताया कि कर्मवीर किसानों की मांगें सरकार की ओर से पूरी न किए जाने से परेशान था। कर्मवीर ने सुसाइड नोट में लिखा है, ‘भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद। प्यारे किसान भाइयो! ये मोदी सरकार तारीख पर तारीख देती जा रही है। इसका कोई अंदाजा नहीं कि ये काले कानून कब रद्द होंगे। जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे, तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे।

अब तक हो चुकी 200 से ज्यादा मौतबता दें कि अब तक किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा मौत हो चुकी है। इनमें से सोनीपत के कुंडली और बहादुरगढ़ के टीकरी बॉर्डर पर धरना का हिस्सा रहे हरियाणा-पंजाब के ज्यादातर किसानों की ठंड या दिल के दौरे की वजह से मौत हो गई। इनमें 10 लोग आत्महत्या भी कर चुके हैं।

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