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तीज-त्योहार वाला सप्ताह: 7 से 13 फरवरी तक हर दिन रहेगा व्रत-पर्व, इस हफ्ते मौनी अमावस्या और गुप्त नवरात्र भी

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8 घंटे पहले

कॉपी लिंकरविवार को षट्तिला एकादशी से शुरू होकर शनिवार को माघ द्वितीया पर खत्म होगा ये हफ्ता

फरवरी का दूसरा सप्ताह तीज-त्योहार वाला रहेगा। इस हफ्ते हर दिन कोई व्रत या पर्व रहेगा। 7 फरवरी, रविवार को षटतिला एकादशी से ये हफ्ता शुरू होगा और 13 तारीख, शनिवार को माघ शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर खत्म हो जाएगा। इन दिनों में तिल द्वादशी, भौम प्रदोष, शिव चतुर्दशी, मौनी अमावस्या, कुंभ संक्रांति के साथ गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी। इस तरह सप्ताह में 3 पर्व और 4 दिन व्रत रहेंगे।

इस सप्ताह षटतिला एकादशी और तिल द्वादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखा जाएगा। भौम प्रदोष और शिव चतुर्दशी पर भगवान शिव की पूजा तिल के तेल का दीपक लगाकर की जाती है। इसके बाद मौनी अमावस्या पर तिल का दान और तीर्थ स्नान करने की परंपरा है। इस पर्व पर तिल का इस्तेमाल करते हुए पितरों की संतुष्ट करने के लिए तर्पण किया जाता है। इसके अगले दिन कुंभ संक्रांति के साथ गुप्त नवरात्र शुरू हो जाएंगे। इन पर्वो पर भी तिल दान करने की परंपरा है। वहीं, शनिवार की शाम को माघी द्वितीया पर शाम को चंद्रमा के दर्शन किए जाते हैं। इस दिन व्रत रखकर चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। ब्रह्मांड पुराण के मुताबिक ऐसा करने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं।

1. षटतिला एकादशी (7 फरवरी, रविवार) : पद्म पुराण में इस व्रत का जिक्र है। इस तिथि पर तिल का 6 तरह से इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें तिल का उबटन, पानी में तिल डालकर नहाना, तिल से बनी चीजें खाना, तिल वाला पानी पिना, भगवान को तिल चढ़ाना, हवन, तर्पण के साथ ही तिल का दान किया जाता है। ऐसा करते हुए व्रत रखा जाता है।

2. तिल द्वादशी (8 फरवरी, सोमवार) : विष्णु धर्मोत्तर पुराण में कहा गया है कि माघ महीने के कृष्णपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की तिल से पूजा करनी चाहिए। फिर तिल का नवैद्य लगाकर उन्हें प्रसाद के रूप में लेना चाहिए। इस दिन तिल का दान भी करना चाहिए। इस तिथि के स्वामी खुद भगवान विष्णु ही है। इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा है।

3. भौम प्रदोष (9 फरवरी, मंगलवार) : मंगलवार को त्रयोदशी यानी तेरहवीं तिथि होने से ग्रंथों में इसे भौम प्रदोष कहा गया है। शिव पुराण में इस व्रत का जिक्र किया गया है। बताया गया है कि मंगलवार को आने वाले प्रदोष व्रत पर शिवजी की पूजा और व्रत करने से मनोकामना तो पूरी होती ही है। इससे बीमारियां खत्म होने लगती हैं और दुश्मनों पर जीत भी मिलती है।

4. शिव चतुर्दशी (10 फरवरी, बुधवार) : इस तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। शिव पुराण में इस व्रत के बारे में बताया गया है कि हर महीने आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि होती है। इस दिन शिवजी की पूजा में तिल के तेल का दीपक लगाया जाता है और व्रत रखा जाता है। ऐसा करने से हर तरह के दोष और परेशानियां दूर हो जाती हैं।

5. मौनी अमावस्या (11 फरवरी गुरुवार) : पुराणों में माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा गया है। इस दिन तिल का इस्तेमाल करते हुए तर्पण किया जाता है। जिससे पितर संतुष्टि होते हैं। साथ ही इस पर्व पर प्रयाग या अन्य तीर्थों में स्नान किया जाए जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म होते हैं। इस दिन किए गए तिल के दान से अक्षय पुण्य मिलता है।

6. कुंभ संक्रांति, गुप्त नवरात्र शुरू (12 फरवरी, शुक्रवार) : कुंभ संक्रांति उत्तरायण का दूसरा संक्रांति पर्व होता है। इस दिन सूर्य मकर से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इस संक्रांति के पुण्यकाल में तिल दान करने से नीरोगी रहते हैं। इस दिन गुप्त नवरात्र भी शुरू हो रहे हैं जो के 21 फरवरी तक रहेंगे। इस दौरान दश महाविद्याओं के रूप में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

7. माघी द्वितीया (13 फरवरी, शनिवार) : माघ महीने के शुक्लपक्ष की द्वितिया तिथि को चंद्रमा अपनी दूसरी कला में होता है। जिसे ग्रंथों में सुमति, मनदा, प्राणमया, भू और श्रधा कहा है। अपने इन नामों के मुताबिक इस दिन चंद्रमा देखने से मन में अच्छे विचार आते हैं। प्राणवायु बढ़ती है और नीरोगी रहते हुए लंबी उम्र भी मिलती है। ब्रह्मांड पुराण में इस दिन व्रत करने का विधान भी बताया गया है। इस दिन चंद्रमा की पूजा, व्रत और दर्शन करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य भी मिलता है।

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