April 27, 2024 : 12:37 AM
Breaking News
लाइफस्टाइल

सुखी दांपत्य जीवन के लिए किया जाता है प्रदोष व्रत, इससे खत्म होते हैं हर दोष

  • मान्यता: त्रयोदशी तिथि पर शाम को कैलाश पर्वत पर रजत भवन में नृत्य करते हैं

दैनिक भास्कर

Jun 02, 2020, 11:10 PM IST

3 जून, बुधवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा और व्रत करने से हर मनोकामना पूरी होती है। शिवपुराण के अनुसार इस व्रत को करने से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। सबसे पहले चंद्रमा ने ये व्रत किया था। जिससे चंद्रमा का क्षय रोग खत्म हो गया था। प्रदोष व्रत करने से उम्र बढ़ती है और शरीर निरोगी रहता है। कुछ लोग सुखी दांपत्य जीवन और संतान प्राप्ति के लिए भी ये व्रत करते हैं। माना जाता है कि त्रयोदशी व्रत करने वाले को सौ गाय दान करने के बराबर पुण्य मिलता है।

प्रदोष महत्व
शिवपुराण के अनुसार महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि में शाम के समय को प्रदोष कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव प्रदोष के समय कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। इसी वजह से लोग शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन प्रदोष व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से सारे कष्ट और हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं। कलयुग में प्रदोष व्रत को करना बहुत मंगलकारी होता है और शिव कृपा प्रदान करता है। सप्ताह के सातों दिन किये जाने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष को कई जगहों पर अलग-अलग नामों द्वारा जाना जाता है। दक्षिण भारत में लोग प्रदोष को प्रदोषम के नाम से जानते हैं।

ये है बुध प्रदोष व्रत की संपूर्ण विधि

प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी की षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें।
भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।
रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।

ये है बुध प्रदोष की कथा
एक व्यक्ति का विवाह हुआ। विवाह के दो दिन बाद उसकी पत्नी मायके गई। कुछ दिनों के बाद वो पत्नी को लेने ससुराल गया। बुधवार को जब वह पत्नी के साथ वापस आ रहा था तो ससुराल पक्ष ने उसे रोका क्योंकि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता। लेकिन पति नहीं माना और पत्नी के साथ चल पड़ा।

नगर के बाहर पहुंचने पर पत्नी को प्यास लगी। पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में गया। पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद पति पानी लेकर वापस लौटा उसने देखा कि पत्नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है।

ये देखकर पति को गुस्सा आ गया। वह पास गया तो उस आदमी की सूरत उसी के जैसी थी। पत्नी भी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष झगड़ने लगे। भीड़ इकट्ठी हो गई। सिपाही आ गए। हमशक्ल आदमियों को देख सभी आश्चर्य में पड़ गए।

उन्होंने स्त्री से पूछा उसका पति कौन है? वह चुप ही रही। तब पति ने शिवजी से प्रार्थना की। उसने कहा हे भगवान हमारी रक्षा करें। मुझसे भूल हुई कि मैंने किसी की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया। मैं भविष्य में ऐसा कभी नहीं करूंगा।

जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई तो दूसरा व्यक्ति गायब हो गया। पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद पति-पत्नी नियम से बुध प्रदोष का व्रत करने लगे।

Related posts

गर्भवती के कमरे में श्रीकृष्ण की तस्वीर लगाएं, घर में युद्ध और नकारात्मकता दिखाने वाले फोटो लगाने से बचना चाहिए

News Blast

थाईलैंड के चिड़ियाघर में चिम्पांजी से दवा का छिड़काव करा रहे, पेटा ने शिकायत दर्ज कराई; जू प्रशासन की सफाई, यह उनकी एक्सरसाइज है

News Blast

घर के बाहर रंगोली बनाने की परंपरा, इससे बढ़ती है सकारात्मकता और पवित्रता, वास्तु दोष दूर करने के लिए आंगन में लगाना चाहिए तुलसी

News Blast

टिप्पणी दें