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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद
Updated Sat, 16 Jan 2021 09:19 PM IST
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कोरोना वायरस के खिलाफ स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन विकसित करने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि अगर खुराक लगने के बाद किसी को गंभीर दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ता है तो कंपनी इसके लिए मुआवजा देगी। भारत बायोटेक (बीबीआईएल) को भारत सरकार की ओर से कोवैक्सीन की 55 लाख खुराकों की खरीद का ऑर्डर मिला है।
वैक्सीन प्राप्तकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक सहमति पत्र के अनुसार, ‘किसी भी प्रतिकूल या गंभीर प्रतिकूल घटना के मामले में, सरकार की ओर से निर्दिष्ट और अधिकृत केंद्रों और अस्पतालों में चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त मानकों के तहत इलाज की सुविधा प्रदान की जाएगी। अगर दुष्प्रभाव का संबंध वैक्सीन से होता है तो इसका भुगतान कंपनी करेगी।’
अपने पहले और दूसरे चरण के ट्रायलों में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन ने कोविड-19 के खिलाफ एंटीडोट उत्पन्न करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है। हालांकि, कोवैक्सीन की चिकित्सकीय प्रभावकारिता का निर्धारण किया जाना अभी बाकी है। इसकी प्रभावकारिता का अध्ययन अभी भी इसके तीसरे चरण के ट्रायलों के डाटा के आधार पर किया जा रहा है।
वैक्सीन लगने के बाद भी नियमों का पालन जरूरीफॉर्म में कहा गया है कि वैक्सीन की खुराक लगने का मतलब यह नहीं है कि इसके बाद कोविड-19 से बचाव के लिए निर्धारित अन्य मानकों का पालन करना बंद कर दिया जाए। इसके साथ ही वैक्सीन प्राप्तकर्ताओं को एक फैक्टशीट भी दी गई और एक फॉर्म दिया गया जिसे पीड़ित को प्रतिकूल प्रभावों के सामने आने के सात दिन के अंदर जमा करना होगा।
स्वदेश में विकसित कोवैक्सीन को भारत के औषधि नियामक ने आपात उपयोग की अनुमति दी है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में 81 केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को वैक्सीन की खुराक देने का अभियान शुरू हुआ। इनमें से 75 केंद्रों पर ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और बाकी छह केंद्रों पर कोवैक्सीन की खुराक दी जा रही है।
कोरोना वायरस के खिलाफ स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन विकसित करने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि अगर खुराक लगने के बाद किसी को गंभीर दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ता है तो कंपनी इसके लिए मुआवजा देगी। भारत बायोटेक (बीबीआईएल) को भारत सरकार की ओर से कोवैक्सीन की 55 लाख खुराकों की खरीद का ऑर्डर मिला है।
वैक्सीन प्राप्तकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक सहमति पत्र के अनुसार, ‘किसी भी प्रतिकूल या गंभीर प्रतिकूल घटना के मामले में, सरकार की ओर से निर्दिष्ट और अधिकृत केंद्रों और अस्पतालों में चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त मानकों के तहत इलाज की सुविधा प्रदान की जाएगी। अगर दुष्प्रभाव का संबंध वैक्सीन से होता है तो इसका भुगतान कंपनी करेगी।’
अपने पहले और दूसरे चरण के ट्रायलों में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन ने कोविड-19 के खिलाफ एंटीडोट उत्पन्न करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है। हालांकि, कोवैक्सीन की चिकित्सकीय प्रभावकारिता का निर्धारण किया जाना अभी बाकी है। इसकी प्रभावकारिता का अध्ययन अभी भी इसके तीसरे चरण के ट्रायलों के डाटा के आधार पर किया जा रहा है।
वैक्सीन लगने के बाद भी नियमों का पालन जरूरी
फॉर्म में कहा गया है कि वैक्सीन की खुराक लगने का मतलब यह नहीं है कि इसके बाद कोविड-19 से बचाव के लिए निर्धारित अन्य मानकों का पालन करना बंद कर दिया जाए। इसके साथ ही वैक्सीन प्राप्तकर्ताओं को एक फैक्टशीट भी दी गई और एक फॉर्म दिया गया जिसे पीड़ित को प्रतिकूल प्रभावों के सामने आने के सात दिन के अंदर जमा करना होगा।
स्वदेश में विकसित कोवैक्सीन को भारत के औषधि नियामक ने आपात उपयोग की अनुमति दी है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में 81 केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को वैक्सीन की खुराक देने का अभियान शुरू हुआ। इनमें से 75 केंद्रों पर ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और बाकी छह केंद्रों पर कोवैक्सीन की खुराक दी जा रही है।
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