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कृषि कानून: सुप्रीम कोर्ट ने सबको सुना, कड़ा रुख भी अपनाया… मंगलवार को आएगा फैसला

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 11 Jan 2021 07:06 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय
– फोटो : पीटीआई

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केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों और इसे लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रहे किसानों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अख्तियार किया। अदालत ने किसान आंदोलन से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं पर मंगलवार को फैसला सुनाएगी। 

सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हमें नहीं पता कि सरकार इन कानूनों को लेकर किस तरह कार्य कर रही है। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि अगर आप में समझ है तो इन कानूनों पर अमल न करें। हम इनके अमल पर रोक लगाने जा रहे हैं, लेकिन क्या इसके बाद किसान रास्ता छोड़ेंगे।

या तो सरकार रोक लगाए या हम लगाएंगे: अदालतइन याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से स्पष्ट कहा कि तो आप इन कानूनों पर रोक लगाइए या फिर हम लगा देंगे। पीठ में न्यायमूर्ति एसएस बोपन्ना व न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल रहे।

कानूनों पर रोक लगाने की बात पर अपील की गई कि केवल विवादित हिस्सों पर ही रोक लगाई जाए। लेकिन, अदालत ने कहा कि नहीं, हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि लोग मर रहे हैं और हम कानूनों पर रोक नहीं लगा रहे हैं। अदालत ने कहा हम नहीं जानते कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का हिस्सा हैं। 

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी जिरह में कहा कि अदालतों का इतिहास रहा है कि वो कानून पर रोक नहीं लगा सकती। उन्होंने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि अदालत तब तक संसद के कानून पर रोक नहीं लगा सकती, जब तक कानून विधायी क्षमता के बिना पारित हुआ हो या फिर कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो।

15 जनवरी को है सरकार-किसानों की अगली वार्ताकेंद्र और किसानों के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक प्रस्तावित है। सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बातचीत में भी कोई समाधान नहीं निकला था। केंद्र ने कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया था जबकि किसान नेताओं ने कहा था कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी ‘घर वापसी’ सिर्फ ‘कानून वापसी’ के बाद होगी। 

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों और इसे लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रहे किसानों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अख्तियार किया। अदालत ने किसान आंदोलन से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं पर मंगलवार को फैसला सुनाएगी। 

सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हमें नहीं पता कि सरकार इन कानूनों को लेकर किस तरह कार्य कर रही है। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि अगर आप में समझ है तो इन कानूनों पर अमल न करें। हम इनके अमल पर रोक लगाने जा रहे हैं, लेकिन क्या इसके बाद किसान रास्ता छोड़ेंगे।

या तो सरकार रोक लगाए या हम लगाएंगे: अदालत
इन याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से स्पष्ट कहा कि तो आप इन कानूनों पर रोक लगाइए या फिर हम लगा देंगे। पीठ में न्यायमूर्ति एसएस बोपन्ना व न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल रहे।

कानूनों पर रोक लगाने की बात पर अपील की गई कि केवल विवादित हिस्सों पर ही रोक लगाई जाए। लेकिन, अदालत ने कहा कि नहीं, हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि लोग मर रहे हैं और हम कानूनों पर रोक नहीं लगा रहे हैं। अदालत ने कहा हम नहीं जानते कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का हिस्सा हैं। 

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी जिरह में कहा कि अदालतों का इतिहास रहा है कि वो कानून पर रोक नहीं लगा सकती। उन्होंने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि अदालत तब तक संसद के कानून पर रोक नहीं लगा सकती, जब तक कानून विधायी क्षमता के बिना पारित हुआ हो या फिर कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो।

15 जनवरी को है सरकार-किसानों की अगली वार्ता

केंद्र और किसानों के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक प्रस्तावित है। सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बातचीत में भी कोई समाधान नहीं निकला था। केंद्र ने कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया था जबकि किसान नेताओं ने कहा था कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी ‘घर वापसी’ सिर्फ ‘कानून वापसी’ के बाद होगी।

 

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