[ad_1]
Hindi NewsJeevan mantraDharmSafala Ekadashi Vrat 2021 Time Muhurat Today | Paush Krishna Paksha Saphala Ekadashi Importance, Fasting, And All You Need To Know
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
4 घंटे पहले
कॉपी लिंकइस एकादशी पर पानी में तिल मिलाकर नहाने, जरूरतमंद लोगों को कपड़े और खाने की चीजें दान करने की परंपरा
2021 का पहला एकादशी व्रत 9 जनवरी, शनिवार को किया जाएगा। ये पौष महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी है। इसे सफला एकादशी कहा जाता है। इस बार ऐसा संयोग बन रहा है कि इस साल में सफला एकादशी का व्रत 2 बार किया जाएगा। पहला 9 जनवरी को और दूसरी बार साल के आखिरी में यानी 30 दिसंबर को होगा। पद्म पुराण में इसे पर्व कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। विद्वानों का कहना है कि इस व्रत को करने से पितरों को भी संतुष्टि मिलती है।
पौष और खरमास का संयोगपौष महीने और खरमास के स्वामी भगवान विष्णु को माना गया है। वहीं, सफला एकादशी के देवता नारायण हैं। ये पौष महीने और खरमास के संयोग में आती है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और तपस्या का फल और भी बढ़ जाता है। सफला एकादशी व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत जीवन में सफलता पाने और मनोकामना को पूरा करने के लिए खासतौर से किया जाता है। इस व्रत को करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते है। विधि विधान से इस व्रत को करना चाहिए। जिस तरह नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरूड़ और यज्ञों में अश्वमेध है उसी तरह सब व्रतों में एकादशी को सबसे अच्छा माना गया है।
ये है व्रत की विधि और नियमएकादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं। तीर्थ स्नान नहीं कर सकते तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से इसका फल मिल जाता है। इस एकादशी तिथि पर तिल स्नान का महत्व बताया गया है। यानी पानी में थोड़े से तिल मिलाकर नहाना चाहिए। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।इस एकादशी पर सूर्य पूजा का खास महत्व बताया गया है। सूर्य देव भगवान विष्णु का ही रूप है इसलिए इन्हें सूर्य नारायण भी कहा जाता है। पौष महीने के स्वामी सूर्य ही होने से इस दिन उगते हुए सूरज को जल चढ़ाएं और प्रणाम करें। इसके बाद चंदन, अक्षत, फूल, फल, गंगाजल, पंचामृत व धूप-दीप से भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा और आरती कर के भगवान को भोग लगाएं। फिर भगवान के सामने बैठकर पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें। दिन में श्रद्धा अनुसार जरूरतमंद लोगों को कपड़े या खाने की चीजों का दान दें।
नियम: एकादशी के दिन झूठ न बोलें। दिन में न सोएं। चावल न खाएं। तुलसी पत्र न तोड़ें। कोशिश करें कि गुस्सा न आए। किसी का जूठा भोजन न करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। पति-पत्नी एक बिस्तर पर न सोएं। मांसाहार और शराब से भी दूर रहना चाहिए।
[ad_2]