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शास्त्रों की सीख: देवी लक्ष्मी वहां निवास करती हैं, जहां शांति-प्रेम बना रहता है, गलत काम करने वालों यहां लक्ष्मी नहीं ठहरती हैं

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8 घंटे पहले

कॉपी लिंकमहाभारत में हैं महालक्ष्मी और देवराज इंद्र के संवाद, लक्ष्मी ने बताया था किन घरों में नहीं होता है इनका वास

शनिवार, 14 नवंबर को दीपावली है। प्राचीन समय में कार्तिक मास की अमावस्या पर समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित संक्षिप्त महाभारत के शांति पर्व में देवराज इंद्र और महालक्ष्मी के संवाद बताए गए हैं। इस प्रसंग में देवी लक्ष्मी ने बताया है कि वे किन लोगों के घर में निवास करती हैं और किन लोगों के घर में वास नहीं करती हैं। जानिए महालक्ष्मी से जुड़ी खास बातें…

देवताओं के स्वर्ग से पहले देवी लक्ष्मी दानवों के यहां वास करती थीं। लेकिन, एक दिन लक्ष्मीजी देवराज इंद्र के स्वर्ग पहुंचीं और उन्होंने इंद्र से कहा- हे इंद्र, मैं तुम्हारे यहां निवास करना चाहती हूं। इंद्र ने आश्चर्य से कहा- हे देवी, आप तो दानवों के यहां बड़े आदरपूर्वक रहती हैं। मैंने पहले कई बार आपको अपने स्वर्ग में आमंत्रित किया है, लेकिन आप नहीं आईं। आज आप मेरे द्वार पर पधारी हैं, कृपया इसका कारण मुझे बताएं।

देवी लक्ष्मी ने कहा- हे इंद्र, कुछ समय पहले असुर भी धर्मात्मा थे, वे अपने सभी कर्तव्य पूर्ण रूप से निभाते थे। अब असुर अधार्मिक होते जा रहे हैं। अत: मैं अब वहां नहीं रह सकती।

मैंने सोचा कि दूषित वातावरण में मेरा निर्वाह नहीं हो सकता। इसलिए दुराचारी असुरों को छोड़कर मैं तुम्हारे यहां सदगुणों वाले स्थान पर रहने आईं हूं।

इंद्र ने पूछा कि हे देवी, वे और कौन-कौन से दोष हैं? जहां आप निवास नहीं करती हैं। लक्ष्मीजी ने कहा: हे इंद्र, असुर बड़े दुराचारी हैं, जब कोई वृद्ध सत्पुरुष ज्ञान, विवेक और धर्म की बात करते हैं तो वे उनका उपहास करते हैं, उनकी निंदा करते हैं। ये काम अधार्मिक है।

महालक्ष्मी ने कहा कि जो व्यक्ति दूसरों की मदद करते हैं, गरीबों को दान देते हैं, अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करते हैं देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करते हैं।

शास्त्रों में सुखी जीवन के लिए कई प्रकार के नियम और सूत्र बताए गए हैं। इन्हीं सूत्रों में बताया गया है कि लक्ष्मी कृपा कैसे प्राप्त की जाए। पुराणों के अनुसार जिस घर में मूर्खों की पूजा नहीं होती है, जहां विद्वान लोगों का अपमान नहीं होता है बल्कि विद्वान और संत लोगों का उचित मान-सम्मान किया जाता है, वहां लक्ष्मीजी निवास करती हैं।

जब व्यक्ति मूर्ख लोगों से दूर रहेगा तो उसके धन का अपव्यय रुक जाएगा और विद्वानों की संगति से उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगेगा।

जिन घरों में कलह होता है, लड़ाई-झगड़े होते हैं वहां देवी लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है। महालक्ष्मी को शांत एवं स्वच्छ घर प्रिय हैं। जहां व्यर्थ किसी भी प्रकार का प्रदूषण होता है वहां देवी लक्ष्मी निवास नहीं करती हैं। अत: हमें भी अपने घर को एकदम साफ एवं शांत बनाए रखना चाहिए। परिवार में किसी भी प्रकार के वाद-विवाद नहीं होना चाहिए।

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