- Hindi News
- Jeevan mantra
- Dharm
- Aaj Ka Jeevan Mantra, Life Management Tips By Pandit Vijay Shankar Mehta, Ujjain, We Should Remember These Tips Before Saying Anything
9 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
- कॉपी लिंक
- शिकागो के सर्वधर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने धर्म, अध्यात्म, भौतिकता, परिश्रम और प्रबंधन का सही तालमेल बैठाया
कहानी- बात 127 साल पहले की है। शिकागो का आर्ट इंस्टिट्यूट और हॉल। कोलंबस में 7000 श्रोता मौजूद थे। एक से एक अंग्रेज वक्ता अपनी बात कहकर जा चुके थे। सम्मेलन का पहला दिन और दूसरा सत्र आरंभ हुआ था। कार्यक्रम के संचालक बैरोज ने घोषणा की कि विवेकानंद फ्रॉम इंडिया यानी भारत से विवेकानंद आए हैं और बोलेंगे। हॉल में सन्नाटा छा गया। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि कोई भारतीय व्यक्ति से आएगा और बोलेगा। सबके मन में सवाल था।
उसी समय विवेकानंद की आवाज में दो शब्द भाइयों और बहनों निकला, पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। उसके बाद विवेकानंद बोलते गए और लोग सुनते गए। बाद में विवेकानंदजी से पूछा गया कि इतना प्रभावशाली दृश्य आपने कैसे पैदा किया?
तब उन्होंने कहा कि धर्म, अध्यात्म, भौतिकता, परिश्रम और प्रबंधन, मैंने इनका तालमेल बैठाया। जब ये एक साथ मिलकर प्रभावशाली वाणी में उतरते हैं, तब इतिहास ऐसे दृश्य देखता है।
सबक- जो प्रयोग और प्रस्तुति विवेकानंद ने दी। वह हमें ये समझाती है कि पुरानी बातों की अच्छाई को भी नए जीवन से जोड़कर उसकी उपयोगिता बताना एक कला है। अब प्रतिस्पर्धा इतनी हो गई है कि आपको हर दिन कुछ नया करना होगा और उस नए में आपका प्रबंधन, प्रजेंटेशन, पहनावा और वाणी बहुत महत्वपूर्ण है।
ये भी पढ़ें…
जब कोई आपकी तारीफ करे तो यह जरूर देखें कि उसमें सच्चाई कितनी है और कितना झूठ है