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कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसियों के रिन्यूअल पर अब नहीं होगा 15 दिन का वेटिंग पीरियड, इरडा ने बीमा कंपनियों को दिए आदेश

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नई दिल्ली8 मिनट पहले

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इससे बीमाधारकों को कोरोना काल में समय पर और सही इलाज मिल सकेगा

  • इरडा के अनुसार पॉलिसी का नवीनीकरण मौजूदा पॉलिसी के समाप्त होने से पहले कराना होगा
  • इसी साल जुलाई में इरडा ने बीमा कंपनियों को कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसियां जारी करने को कहा था

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों से कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसियों के रिन्यूअल (नवीनीकरण) पर 15 दिन का वेटिंग पीरियड नहीं लगाने के लिए कहा है। इरडा ने बीमा कंपनियों से कहा है कि ग्राहकों को सभी अवधि की कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसियों को रिन्यू कराने का ऑप्शन मिलना चाहिए। इरडा के अनुसार पॉलिसी का नवीनीकरण मौजूदा पॉलिसी के समाप्त होने से पहले कराना होगा।

लगातार जारी रहें कोरोना पॉलिसियां
इरडा ने कहा कि पॉलिसी के नवीनीकरण में 15 दिन का वेटिंग पीरियड नहीं लगाया जाना चाहिए और पॉलिसी का लाभ लगातार जारी रहना चाहिए। इससे बीमाधारकों को कोरोना काल में समय पर और सही इलाज मिल सकेगा।

2021 तक जारी रहेंगी कोरोना कवच या कोरोना रक्षक पॉलिसियां
इन पॉलिसियों का नवीनीकरण या नई पॉलिसी 31 मार्च 2021 तक खरीदी जा सकेंगी। कोरोना को देखते हुए इरडा ने बीमा कंपनियों को छोटी अवधि की कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसियां जारी करने को कहा था। यह पॉलिसियां साढ़े तीन महीने, साढ़े छह महीने या साढ़े नौ महीने की अवधि के लिए जारी की जाती हैं।

क्या होता है वेटिंग पीरियड?
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने या रिन्यू का मतलब यह नहीं होता कि पॉलिसी खरीदने के पहले दिन से ही इंश्योरेंस कंपनी आपको कवर करने लगेगी। बल्कि, आपको क्लेम करने के लिए थोड़े दिन रुकना पड़ता। पॉलिसी खरीदने के बाद से लेकर जब तक आप बीमा कंपनी से कोई लाभ का क्लेम नहीं कर सकते, उस अवधि को एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का वेटिंग पीरियड कहा जाता है। ये अवधि 15 से 90 दिनों तक की होता है। कोरोना कवच या कोरोना रक्षक में ये वेटिंग पीरियड 15 दिन का रहता है।

1 अक्टूबर से कई नियमों में हुआ बदलाव

बीमा कंपनियां रिजेक्ट नहीं कर सकेंगी क्लेम
नियम के मुताबिक अगर आपने अपने हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम लगातार 8 सालों तक भरा है तो ऐसे में बीमा कंपनियां किसी भी कारण को बताकर इसे खारिज नहीं कर पाएंगी। नए नियमों के तहत बीमा कंपनियों की मनमानी नहीं चल पाएगी। हेल्थ कवर में ज्यादा से ज्यादा बीमारियों के लिए इलाज का क्लेम मिलेगा। हालांकि, अधिक बीमारियों के कवर होने की वजह से प्रीमियम महंगा हो सकता है।

बीमारियों के कवरेज का दायरा बढ़ा
बीमारियों के कवरेज का दायरा बढ़ा है। सभी कंपनियों में कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियां समान होंगी। कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियों की संख्या घटकर 17 रह गई है। लोगों के पास कंपनी की सीमा खत्म होने के बाद दूसरी कंपनी में क्लेम करने की सुविधा मिलेगी। 30 दिन के भीतर कंपनियों को दावा स्वीकार या रिजेक्ट करना होगा। ग्राहकों को ओपीडी वाली कवरेज पॉलिसी में टेलीमेडिसिन का खर्च भी दिया जाएगा।

अब जेनेटिक बीमारियां भी शामिल होंगी
हेल्थ इंश्योरेंस में अब मानसिक और जेनेटिक बीमारियों के भी शामिल होने की संभावना है। रोबोटिक सर्जरी, स्टेम सेल थेरेपी, न्यूरो डिसऑर्डर और ओरल कीमोथैरेपी का भी कवर मिल सकता है। नियमों के मुताबिक पॉलिसी जारी होने के तीन महीने के भीतर लक्षण पर प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी माना जाएगा।

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