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हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय देखें इसमें इलाज से जुड़े सभी खर्चे कवर होंगे या नहीं, वेटिंग पीरियड और क्लेम सेटलमेंट रेशियो का भी रखें ध्यान

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नई दिल्ली20 मिनट पहले

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जिस पॉलिसी में ज्यादा से ज्यादा चीजें जैसे टेस्ट का खर्च और एम्बुलेंस का खर्च कवर हो उस पॉलिसी को लेना चाहिए

  • कंपनी का 3 से 5 साल का क्लेम सेटलमेंट रेशियो देखना चाहिए
  • इश्योरेंस कंपनियों ने कोरोना के लिए अलग से प्लान शुरू किए हैं

देश में कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है ऐसे में सही उपचार और वित्तीय सुरक्षा के लिए लोगों में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति जागरुकता आई है। अगर आपने अभी तक कोई इंश्योरेंस प्लान नहीं लिया है और आप इन दिनों कोरोना या अन्य बीमारियों के इलाज को कवर करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने का विचार कर रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

क्या-क्या कवर है इस बात का ध्यान रखें?
हर बीमा कंपनी के अपने नियम होते हैं, उसी हिसाब से वे पॉलिसी बनाती हैं। हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले यह समझ लें कि उसमें कितना और क्या आर्थिक कवर मिलेगा? जिस पॉलिसी में ज्यादा से ज्यादा चीजें जैसे टेस्ट का खर्च और एम्बुलेंस का खर्च कवर हो उस पॉलिसी को लेना चाहिए। ताकि आपको जेब से पैसे खर्च न करने पड़ें।

पहले से मौजूद बीमारियां कवर हैं कि नहीं?
सभी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करते हैं। लेकिन, इन्हें 48 महीने के बाद ही कवर किया जाता है। कुछ 36 महीने बाद इन्हें कवर करते हैं। हालांकि, पॉलिसी खरीदते वक्त ही पहले से मौजूद बीमारियों के बारे में बताना होता है। इससे क्लेम सेटेलमेंट में दिक्कत नहीं आती है।

अस्पतालों का नेटवर्क
किसी भी हेल्थ प्लान में निवेश करने से पहले सुनिश्चित करें कि आप योजना के तहत आने वाले नेटवर्क अस्पतालों पर विचार किया है। नेटवर्क अस्पताल अस्पतालों का एक समूह हैं जो आपको अपनी वर्तमान हेल्थ प्लान को भुनाने की अनुमति देता है। हमेशा उसी प्लान के लिए जाएं जो आपके क्षेत्र में अधिकतम नेटवर्क अस्पताल प्रदान करता है अन्यथा आपका निवेश आपात स्थिति के समय में काम में नहीं आएगा।

हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय वेटिंग पीरियड का रखें ध्यान
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का मतलब यह नहीं होता कि पॉलिसी खरीदने के पहले दिन से ही इंश्योरेंस कंपनी आपको कवर करने लगेगी। बल्कि, आपको क्लेम करने के लिए थोड़े दिन रुकना पड़ेगा। पॉलिसी खरीदने के बाद से लेकर जब तक आप बीमा कंपनी से कोई लाभ का क्लेम नहीं कर सकते, उस अवधि को एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का वेटिंग पीरियड कहा जाता है। ये अवधि 15 से 90 दिनों तक की हो सकती है। आपको ऐसी कम्पनी से पॉलिसी लेनी चाहिए जिसका वेटिंग पीरियड कम हो।

लिमिट या सब लिमिट वाला प्लान न लें
अस्पताल में प्राइवेट रूम के किराए जैसी लिमिट से बचें। आपके लिए यह जरूरी नहीं है कि इलाज के दौरान आपको किस कमरे में रखा जाए। खर्च के लिए कंपनी द्वारा लिमिट या सब लिमिट तय करना आपके लिए ठीक नहीं है। पॉलिसी लेते समय इस बात का ध्यान रखें। सब-लिमिट का आशय री-इंबर्समेंट की सीमा तय करने से है। मसलन अस्पताल में भर्ती हुए तो कमरे के किराए पर बीमित राशि के एक फीसदी तक की सीमा हो सकती है। इस तरह पॉलिसी की बीमित राशि भले कितनी हो, सीमा से अधिक खर्च करने पर अस्पताल के बिल जेब से चुकाने पड़ सकते हैं।

‘टॉप-अप’ कवर से कर सकते हैं प्लान को अपग्रेड
कई बार हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बाद हमें लगता है कि बीमा कवर की यह रकम पर्याप्‍त नहीं है। ऐसे में अगर आप अपने कवर को ‘टॉप-अप’ कवर से अपग्रेड कर सकते हैं। कई लोगों के मन में सवाल होता है कि नई रेगुलर हेल्थ पॉलिसी ली जाए या ‘टॉप-अप’ कवर लिया जाए। एक्सपर्ट के अनुसार ऐसे में ‘टॉप-अप’ कवर लेना सही रहेगा ये कम खर्च में आपको ज्यादा कवर देगा। इसके तहत भी 25 हजार रुपए तक इनकम टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं।

कोरोना के लिए अलग से ले सकते हैं प्लान
सभी जनरल और स्टैंड लोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां कोरोना कवच इंश्योरेंस पॉलिसी को लॉन्च किया है। इसे कोरोना काल में लोगों की स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें कोरोना संक्रमित पाए जाने पर अस्पताल में भर्ती, भर्ती होने से पहले और बाद और घर में देखभाल सहित इलाज से जुड़े अन्य खर्चे कवर होंगे। कोरोना कवच पॉलिसी के लिए इंश्योरेंस की राशि न्यूनतम 50 हजार रुपए और अधिकतम 5 लाख रुपए है। इंश्योरेंस की अवधि कम से कम 3.5 महीने, 6.5 महीने और 9.5 महीने हो सकता है। इसमें मूल कवर का प्रीमियम 447 से 5,630 रुपए रहेगा।

ले सकते है इंश्योरेंस छूट का लाभ
हेल्थ इंश्योरेंस टैक्स की बचत करने में भी सहायक हो सकता है। इस प्रकार मेडिकल कवर आपको न केवल मन की शांति देगा, बल्कि यह आपकी कड़ी मेहनत से कमाई गई धनराशि को टैक्स के खाते में जाने से बचाएगा। किसी हेल्थ प्लान के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम आपको सेक्शन 80डी के अंतर्गत डिडक्शन दिलाता है। यहां समझें कितनी टैक्स छूट मिलेगी।

यदि आप खुद के और अपनी पत्नी व बच्चों के लिए कोई पॉलिसी खरीदते हैं

आपको प्रीमियमों पर अधिकतम 25,000 रुपए का डिडक्शन मिल सकता है

यदि आप एक वरिष्ठ नागरिक हैं

डिडक्शन लिमिट बढ़ कर 30,000 रुपए हो जाती है

यदि आप अपने माता-पिता के लिए कोई पॉलिसी खरीदते हैं

आपको अधिकतम 25,000 रुपए का डिडक्शन मिल सकता है

यदि आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं

डिडक्शन लिमिट बढ़ कर 30,000 रुपए हो जाती है

यदि आप खुद के लिए, पत्नी व बच्चों के लिए कोई पॉलिसी खरीदते हैं और अपने माता-पिता के लिए अन्य पॉलिसी खरीदते हैं

आपको दो डिडक्शन मिलेंगे:

  • अपनी पॉलिसी के लिए 25,000 रुपए तक और
  • आपके माता-पिता की पॉलिसी के लिए 25,000 रुपए तक

यदि आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं और आप उनके लिए भी कोई प्लान खरीदते हैं

आपको दो डिडक्शन मिलेंगे:

  • अपनी पॉलिसी के लिए 25,000 रुपए तक और
  • आपके माता-पिता की पॉलिसी के लिए 25,000 रुपए तक

यदि आप और आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं और आप दो पॉलिसी खरीदते हैं, जिनमें से एक आपके परिवार तथा दूसरी आपके माता-पिता को कवर करती है

आपको दो डिडक्शन मिलेंगे:

  • अपनी पॉलिसी के लिए 30,000 रुपए तक और
  • आपके माता-पिता की पॉलिसी के लिए 30,000 रुपए तक

अपनी जरूरत के हिसाब से चुनें पॉलिसी
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय सबसे जरूरी बात है कि आप अपनी जरूरतों को समझ कर हेल्थ इंश्योरेंस को चुने। न बहुत ज्यादा और न ही बहुत कम का चुनें। इसके लिए आप एक्सपर्ट की सलाह भी ले सकते हैं।

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