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ग्लोबल लीडर बनने के लिए चीन से मुकाबला पर पेटेंट फाइलिंग में उससे 97% पीछे, मतलब रिसर्च पर खर्च में कंजूसी

नई दिल्ली22 मिनट पहले

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  • 2019 में दुनियाभर से पेटेंट के कुल 2,65,800 आवेदन, इसमें भारत की हिस्सेदारी 1% से भी कम
  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट में भारत का खर्च जीडीपी के 0.7% के बराबर, इजराइल का खर्च 4.3%

कोरोनाकाल में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से आत्मनिर्भर बनने की अपील की है। पीएम मोदी ने दूसरे देशों पर निर्भर रहने के बजाए देश में ही नए-नए उत्पाद बनाने और उन्हें पूरी दुनिया में बेचने के लिए कहा है। भारत आर्थिक तौर पर ग्लोबल लीडर बनने के लिए चीन से मुकाबले की तैयारी कर रहा है। लेकिन नए उत्पाद पेश करने में हम चीन के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते हैं। इसका कारण यह है कि हम नए उत्पाद बनाने के बजाए पारंपरिक तरीके से कारोबार कर रहे हैं। पेटेंट फाइलिंग के ताजा डाटा के मुताबिक, भारत इनोवेशन में चीन से काफी पीछे हैं।

2019 में पेटेंट के लिए मात्र 2053 आवेदन

वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) का आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में पूरी दुनिया से पेटेंट के लिए कुल 2,65,800 आवेदन किए गए थे। इसमें भारत से कुल 2053 आवेदन किए गए। इस प्रकार पेटेंट आवेदन में भारत की कुल भागीदारी 1 फीसदी से कम है। पेटेंट आवेदन में भारत की पूरी दुनिया में 14वीं रैंक है। डाटा के मुताबिक, 2019 में पेटेंट के लिए सबसे ज्यादा 58,900 आवेदन चीन से किए गए। इस प्रकार 2019 में पेटेंट फाइलिंग में भारत चीन से करीब 97 फीसदी पीछे है। पेटेंट फाइलिंग में चीन के बाद 57,840 आवेदन के साथ अमेरिका का नंबर आता है। पेटेंट फाइलिंग में भारत की खराब स्थिति से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) पर खर्च करने में कितनी कंजूसी बरतते हैं।

मल्टीनेशनल कंपनियों से भी पीछे भारत

पेटेंट फाइलिंग के मामले भारत मल्टीनेशनल कंपनियों से भी पीछे है। WIPO के मुताबिक, 2019 में सबसे ज्यादा पेटेंट के लिए आवेदन चीन की टेक्नोलॉजी कंपनी हुवावे ने किए। हुवावे ने 2019 में पेटेंट के लिए 4411 आवेदन किए। पेटेंट फाइलिंग के मामले में भारतीय कंपनियों की स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं है। पेटेंट फाइलिंग करने वाली कंपनियों की लिस्ट में टॉप-50 में भारत की कोई कंपनी नहीं है। वहीं, चीन की 13 कंपनियां टॉप-50 में शामिल हैं। इसमें से चार कंपनियां टॉप-10 में शामिल हैं। पिछले सप्ताह एनजीओ दिशा भारती के एक वर्चुअल कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेटेंट और आवेदन दाखिल करने के बढ़ते महत्व को महसूस करने के लिए अधिक से अधिक भारतीय कंपनियों से अपील की थी।

2019 में पेटेंट आवेदन करने वाली टॉप-10 कंपनियां

कंपनी आवेदन
हुवावे 4411
मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक 2661
सैमसंग 2334
क्वालकॉम 2127
ओप्पो मोबाइल 1927
बोई टेक्नोलॉजी 1864
एरिक्शन 1698
पिंग एन टेक्नोलॉजी 1691
रॉबर्ट बॉश कॉरपोरेशन 1687
एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स 1646

पेटेंट फाइलिंग में चीन ने पहली बार अमेरिका को पछाड़ा

पेटेंट फाइलिंग के मामले में 2019 में चीन ने अमेरिका को पछाड़ दिया है। 1978 में पेटेंट को-ऑपरेशन संधि शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जब चीन ने अमेरिका को पछाड़ा है। 1999 में चीन ने पेटेंट के लिए 276 आवेदन किए थे, जो 2019 में बढ़कर 58990 हो गए हैं। इस प्रकार 20 साल में चीन की पेटेंट फाइलिंग में 200 गुना की बढ़ोतरी हुई है। WIPO के डायरेक्टर फ्रांसिस गुरी का कहना है कि पेटेंट फाइलिंग में यह बढ़ोतरी इनोवेशन क्षेत्र में चीन की अभूतपूर्व तरक्की को दर्शाता है।

आरएंडडी पर भारत में जीडीपी का मात्र 0.7% खर्च

भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट में नाममात्र के लिए खर्च किया जाता है। यही कारण है कि भारत पेटेंट फाइलिंग के मामले में चीन के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता है। भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से पिछले साल जुलाई में पेश किए गए एक अनुमान के मुताबिक, आरएंडडी पर भारत का खर्च पिछले कई सालों से लगातार जीडीपी के 0.6 से 0.7 फीसदी के बराबर बना हुआ है। जबकि इजराइल में यह खर्च 4.3 फीसदी है। इसके अलावा साउथ कोरिया अपनी जीडीपी का 4.2 फीसदी, अमेरिका 2.8 फीसदी और चीन 2.1 फीसदी खर्च करता है।

ट्रेडमार्क आवेदन में भी भारत का खराब रिकॉर्ड

पेटेंट के अलावा भारत का रिकॉर्ड ट्रेडमार्क के मामले में भी काफी खराब है। WIPO के डाटा के मुताबिक, 2019 में पूरी दुनिया से ट्रेडमार्क के लिए 21,807 आवेदन किए गए। इसमें भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.7 फीसदी है। भारत से इंडस्ट्रियल डिजाइन के आवेदन लगभग गायब हैं। डाटा के मुताबिक, भारत से डिजाइन के ट्रेडमार्क के लिए 3 आवेदन किए गए हैं।

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