नई दिल्ली8 घंटे पहले
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- निचले स्तर के अफसर द्वारा हलफनामा दायर करने पर केंद्र को फटकार
- कोर्ट ने कहा- हलफनामा गोलमोल है, भ्रामक रिपोर्टिंग से जुड़े याचिकाकर्ता के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में तब्लीगी जमात की छवि खराब करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान सही हलफनामा दाखिल न करने को लेकर केंद्र को फटकार लगाई है। सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और बी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सबसे अधिक दुरुपयोग हो रहा है।
कोर्ट ने जूनियर लेवल के अफसर द्वारा हलफनामा दायर करने पर सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप इस अदालत के साथ इस तरह से व्यवहार नहीं कर सकते। जूनियर अधिकारी ने हलफनामा दायर किया है। ये गोलमोल है, हलफनामे में कुछ टीवी चैनलों पर याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, जो नफरत फैला रहे हैं। केंद्र को दोबारा से हलफनामा दायर करने का आदेश देकर कोर्ट ने कहा कि अब अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
इससे पहले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे ने केंद्र सरकार द्वारा एशियानेट टीवी को कुछ दिनों के लिए बंद करने का हवाला दिया। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि केंद्र सरकार ने अपनी शक्तियों को प्रयोग किया है।
इसका मतलब यह नहीं है कि यह कार्यवाही सही है। केबल टीवी नेटवर्क एक्ट केवल नेटवर्क को कवर करता है। तब दवे ने कहा कि यह कानून टीवी कम्युनिकेशन को भी कवर करता है। कोर्ट ने मेहता से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव नया हलफनामा दायर करें। अदालत ने मंत्रालय के सचिव से इस तरह के मामलों में माेटिवेटेड रिपोर्टिंग को रोकने के लिए पूर्व में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा देने को कहा।
जमीयत उलेमा हिंद ने लगाई थी गुहार
जमीयत-उलेमा-हिंद ने निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर की गई मीडिया रिपोर्टिंग को साम्प्रदायिक, दुर्भावना भरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि मीडिया गैरजिम्मेदारी से काम कर रहा है। मीडिया ऐसा दिखा रहा है जैसे मुसलमान कोरोना फैलाने की मुहिम चला रहे हैं। कोर्ट इसपर रोक लगाए। मीडिया और सोशल मीडिया में झूठी खबर फैलाने वालों पर कार्रवाई का आदेश दे।
हलफनामे: मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकते
केंद्र ने अपने हलफनामा में कहा है कि मीडिया को जमात के मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकते। केंद्र ने प्रेस की स्वतंत्रता का हवाला दिया। मरकज के बारे में अधिकांश रिपोर्टें गलत नहीं थीं। केंद्र ने इस मामले को न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) के पास भेजने की सलाह दी। कोर्ट ने कहा कि एनबीए और प्रेस काउंसिल की रिपोर्ट देखने के बाद आगे सुनवाई होगी।