May 15, 2024 : 2:18 AM
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आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने हादसों का ठीकरा सेना पर फोड़ा, सेना के दावे खारिज कहा- गोला-बारूद कारण नहीं

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नई दिल्ली7 घंटे पहले

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घटिया क्वालिटी के गोला बारूद से सेना को हुए जानमाल के नुकसान के बारे में भास्कर के खुलासे के बाद आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) ने अपने सबसे बड़े ग्राहक पर पलटवार किया है। ओएफबी ने दावा किया है कि दुर्घटनाओं के लिए तोपों का गलत तरीके से रखरखाव, दोषपूर्ण फायरिंग ड्रिल, शस्त्र में किए गए असम्मत परिवर्तन और दोषपूर्ण एम्युनिशन डिजाइन जैसे कारण हो सकते हैं।

उसने हादसों का ठीकरा सेना के सिर फोड़ दिया है। भास्कर ने सेना के आंतरिक आकलन पर आधारित तथ्यों के हवाले से खुलासा किया था कि 2014 से 2020 के बीच ओएफबी के एम्युनिशन से 403 दुर्घटनाएं हुईं। इनसे 960 करोड़ रु का घाटा हुआ। इतनी रकम से 100 आर्टिलरी गन खरीदी जा सकती थीं।

ओएफबी ने कहा कि यही तर्क करगिल युद्ध के दौरान आयात दोषपूर्ण क्रास्नोपोल एम्युनिशन के ऊपर लागू किया जाए। इसकी कीमत 522.44 करोड़ रु थी। इस राशि से 55 आर्टिलरी गन खरीदी जा सकती थीं। सेना पर ओएफबी का यह हमला चौंकाने वाला है क्योंकि उसकी 41 फैक्ट्रियों से बनने वाले 80 प्रतिशत उत्पाद और गोला बारूद सेना को ही सप्लाई किए जाते हैं।

इन उत्पादों में से वायु सेना के पास 6%, नौसेना के पास 2% और केंद्रीय बलों के पास 4% उत्पाद ही जाते हैं। ओएफबी ने डीआरडीओ को प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि 2016 में पुलगांव में एंटी टैंक आईएएनडी माइन के कारण विस्फोट हुए थे जिसमें 19 जवान मारे गए थे। बोर्ड ने यह भी कहा कि सिर्फ 19 प्रतिशत मामलों में ही हादसों का संबंध ओएफबी से था।

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