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तालिबान ने जिस कोचिंग सेंटर को तबाह किया था, वहां धमाके से बची 18 साल की शमसीया ने यूनिवर्सिटी प्रवेश में टॉप किया

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काबुलएक घंटा पहले

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अफगानिस्तान के गजनी प्रांत की रहने वाली शमसीया हाजरा समुदाय की हैं।

  • अफगानिस्तान में शमसीया 2 लाख स्टूडेंट्स के बीच टॉप करने वाली पहली सबसे युवा छात्रा
  • पांच सदस्यों का उसका परिवार बेहतर शिक्षा के लिए काबुल आकर बस गया

(फातिमा फैजी और मुजीब मशाल) काबुल की 18 साल की शमसीया अलीजादा ने अफगानिस्तान में एक नया इतिहास रच दिया। उसने दो लाख स्टूडेंट्स के बीच गुरुवार को घोषित हुए नेशनल यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा में सबसे ज्यादा अंकों के साथ टॉप किया। साथ ही सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाली स्टूडेंट बनने का गौरव हासिल किया। शमसीया को यह जानकारी उसकी मां ने दी, जो उस वक्त टीवी पर खबरें देख रही थीं।

शमसीया कहती हैं, ‘‘मैंने मां को पिछले कई सालों से मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। यह मुस्कान मेरे लिए काफी मायने रखती है, क्योंकि मैं ही जिद पर अड़ी थी कि मुझे हर हाल में यूनिवर्सिटी में पढ़ना है। मां नहीं चाहती थी कि मैं आगे पढ़ने बाहर निकलूं और खतरा मोल लूं। मैं जिस कोचिंग सेंटर में पढ़ने जाती थी, वहां 2018 में तालिबानी आत्मघाती दस्ते ने हमला किया था। तब सेंटर के हॉल में करीब 200 लोग पढ़ रहे थे।’’

‘‘हमले में करीब आधे से ज्यादा स्टूडेंट्स ने अपनी जान गंवाई। मैंने कई दोस्तों को इस हमले में खो दिया। यह वहीं सेंटर था, जहां हमने मिलकर एक सपना देखा था कि अच्छी शिक्षा लेकर हम सब गरीबी और जुल्म के खिलाफ लड़ेंगे। पलभर में सबकुछ खाक हो गया। अलजेब्रा और गणित के समीकरण के साथ व्हाइट बोर्ड पर छितराए खून के धब्बों के सिवाय उस समय हमें कुछ नहीं दिखाई-सुनाई नहीं दे रहा था। मैंने फिर भी हिम्मत नहीं छोड़ी। आगे पढ़ाई जारी रखी और नतीजा सामने है।’’

अफगानिस्तान में शमसीया भावनात्मक रूप से भले ही रातों-रात सेलिब्रिटी बन गई हो, लेकिन उसकी यह उपलब्धि सरकार को लड़कियों को शिक्षा दिलाने के अधिकार को याद दिलाता है। यहां सरकार तालिबान के साथ शांतिवार्ता में जुटी है। तालिबानियों के साथ संघर्ष में हर रोज कई युवा मारे जा रहे हैं।

1990 में तालिबानी हुकूमत के दौरान यहां लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी लगा दी गई थी। अफगानिस्तान में हालांकि शिक्षा की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। यहां महिलाओं की साक्षरता दर सिर्फ 24.2% है। 90 लाख स्टूडेंट्स में करीब 40% लड़कियां हैं।

उम्मीद है कि तालिबान महिलाओं को सपने पूरे करने का मौका देगा

अफगानिस्तान के गजनी प्रांत की रहने वाली शमसीया हाजरा समुदाय की हैं। पिता कोयले की खदान में काम करते हैं। पांच सदस्यों का उसका परिवार बेहतर शिक्षा के लिए काबुल आकर बस गया। पढ़ाई के साथ मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ले रही शमसीया का कहना है कि मुझे उम्मीद है कि दोनों पक्ष अपना वादा पूरा करेंगे। अब यहां कोई मारा नहीं जाएगा। मुझे भरोसा है कि तालिबान अफगान महिलाओं को अपने सपने पूरे करने का मौका देगा।

तालिबान हाजरा समुदाय के लोगों को इसलिए निशाना बनाता है, क्योंकि यह शिया हैं जबकि तालिबानी सुन्नी और पश्तून हैं।

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