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बिहार के डीजीपी पद से वीआरएस ले चुके गुप्तेश्वर पांडे बोले- राजनीति में एंट्री पर एक-दो दिन में फैसला लूंगा

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पटनाएक घंटा पहलेलेखक: बृजम पांडेय

2009 में गुप्तेश्वर पांडेय को बीजेपी से भरोसा दिया गया था कि उन्हें बक्सर से लोकसभा का टिकट मिलेगा, लेकिन टिकट नहीं मिला था।

  • 2009 में जब गुप्तेश्वर ने डीजीपी पद से इस्तीफा दिया था, तब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ पाए थे, बाद में उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था
  • गुप्तेश्वर पांडेय ब्राह्मण समाज से आते हैं, जदयू उन्हें बक्सर शहरी सीट या फिर कोई आसपास की सीट से चुनाव लड़ा सकती है

बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय का कहना है कि चुनावी माहौल में उन्हें विवादित बना दिया गया था। करियर में दाग न लगे, इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। राजनीति में आने पर वे एक-दो दिन में फैसला लेंगे। पढ़ें भास्कर के सीधे सवालों पर गुप्तेश्वर पांडेय के जवाब…

आपने इस्तीफा क्यों दिया?
पांडेय:
मेरे बारे में मीडिया में रोज खबरें आ रही थीं। हजारों आदमी फोन कर रहे थे। कहा जा रहा था कि इस्तीफा देंगे और चुनाव लड़ेंगे। अब चुनाव के माहौल में किसी को इतना विवादित बना दीजिएगा, उसका राजनीतिक चेहरा बना दीजिएगा तो वह चुनाव कैसे कराएगा? मैंने जीवनभर निष्पक्ष होकर नौकरी की है। अब मैं अपने करियर में दाग नहीं लगा सकता। इसके चलते नौकरी छोड़ दी।

राजनीति में कब जाएंगे?
पांडेय:
जब राजनीति में जाना होगा तब हम बताएंगे। अभी फैसला नहीं हुआ है, एक-दो दिन में फैसला करेंगे।

राजनीति में आए तो बक्सर से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे या फिर वाल्मीकिनगर से लोकसभा का उपचुनाव लड़ेंगे?
पांडेय:
(सामने खड़े लोगों की ओर इशारा करते हुए) ये बेगूसराय से आए हैं, कह रहे हैं कि हमारे यहां से चुनाव लड़िए। ये जहानाबाद से आए हैं, इनका कहना है कि हमारे यहां से चुनाव लड़िए। मैंने चुनाव लड़ने की बात कहां की है? मेरे जैसा व्यक्ति नफा-नुकसान देखकर कुछ भी तय नहीं करता। संघर्ष से निकला हूं और यहां तक पहुंचा हूं। गरीब किसान का बेटा हूं। जो आत्मा कहती है, वह करता हूं।

लोग मुझसे पूछते थे कि कहां से चुनाव लड़ रहे हैं। मैं निष्पक्ष होकर कोई फैसला करूंगा तब भी लोग उसे तरह-तरह के चश्मे से देखेंगे। मैं करियर के अंतिम हिस्से में विवाद में क्यों पड़ूं? इसलिए मैंने सरकार पर छोड़ दिया है कि किसी और को डीजीपी चुन लें।

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर क्या कहेंगे?
पांडेय:
शिवसेना जो कह रही है सही है क्या? शिवसेना ने कंगना रनोट के साथ क्या किया? वे जो भी बोलते हैं सच है क्या? मैं सुशांत के लिए खड़ा हो गया तो उन्हें परेशानी होने लगी। जो केस खत्म हो गया था उसे जिंदा कर दिया।

डीजीपी के बाद अगली इनिंग राजनेता के रूप में
बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय की स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) को बिहार सरकार ने मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि पांडेय ने यूं ही अपना इस्तीफा नहीं दिया है। इस बार वह सभी कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। वजह साफ है कि 2009 में जब उन्होंने इस्तीफा दिया था तो लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ पाए थे। उस समय उनकी बात भाजपा से फाइनल हुई थी।

अब जब दूध से मुंह जला है तो छाछ फूंक-फूंक कर पिएंगे। 2009 में उन्होंने रिस्क ली थी। उनकी नौकरी करीब 11 साल बची थी तब उन्होंने इस्तीफा दिया था। हालांकि, कुछ दिन बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था। अब एक बार फिर चुनावी माहौल में नो रिस्क के तहत उन्होंने इस्तीफा दिया है, बात जेडीयू से फाइनल की है।

कई महीनों से चल रही थी इस्तीफे की बात
हालांकि, पिछले कई महीनों से गुप्तेश्वर पांडेय के इस्तीफे की बात चल रही थी। दो दिन पहले जब वे बक्सर गए और वहां के जदयू जिला अध्यक्ष से मुलाकात की तभी सभी बातें साफ हो गई कि पांडेय अपनी अगली पारी राजनीति में शुरू करने वाले हैं। वे इन दिनों जदयू के बड़े नेताओं के संपर्क में रह रहे थे और इसका फायदा उन्हें इस चुनाव में मिलेगा।

खूब मिला है नीतीश का साथ
पांडेय को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का खूब साथ मिला है। नीतीश कुमार का भी पांडेय ने साथ दिया है । 31 जनवरी 2019 से पहले जब वे बिहार के डीजीपी नहीं थे तब उन्होंने पूरे बिहार में शराबबंदी को लेकर मुहिम चलाई थी जो काफी हद तक सफल रही थी। माना जाता है कि नीतीश ने इससे खुश होकर पांडेय को डीजीपी बनाया था। हाल में जब सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती ने नीतीश कुमार को लेकर टिप्पणी की थी तो पांडेय ने रिया चक्रवर्ती को औकात में रहने की नसीहत तक दे दी थी।

बक्सर से चुनाव लड़ सकते हैं
सूत्रों की मानें तो जेडीयू शाहाबाद में अपनी पैठ बढ़ाने को लेकर पांडेय को बक्सर शहरी सीट या फिर कोई आसपास की सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा सकती है। माना जाता है कि शाहाबाद में सासाराम, बक्सर, आरा लोकसभा सीटें बीजेपी के खाते में हैं और जदयू इस इलाके में अपने आप को मजबूत करना चाहती है।

गुप्तेश्वर पांडेय ब्राह्मण समाज से आते हैं। ऐसे में दक्षिण बिहार में जदयू ब्राह्मण नेता के तौर पर पांडेय को पेश कर सकती है। उनकी शाहाबाद के इलाके में गहरी पैठ भी है। जदयू शाहाबाद के इलाकों में पांडेय को चुनाव में उपयोग करेगी और इन्हें ब्राह्मण नेता के तौर पर पेश करेगी।

गुप्तेश्वर पांडेय लड़ सकते हैं चुनाव:सरकार ने मंजूर किया डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का वीआरएस, बक्सर या भोजपुर से बनाए जा सकते हैं एनडीए के उम्मीदवार

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