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नेपाली संगठनों को भारत के खिलाफ प्रदर्शन के लिए 2.5 करोड़ रु. दिए, भारत-सीमा विवाद पर आवाज उठाने को कहा

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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यह फोटो जून 2020 में नेपाल की राजधानी काठमांडू में भारत के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन की है। हाल के दिनों में नेपाल में ऐसे प्रदर्शन तेज हुए हैं।- फाइल फोटो

  • चीन नेपाली संगठनों को नेपाल की राजनीति में भारत के दखल के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए उकसा रहा है
  • भारत और नेपाल के बीच 1700 किमी. लंबी सीमा है, दोनों देशों के बीच लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा इलाके की सीमा को लेकर विवाद है

चीन नेपाल के संगठनों को भारत विरोधी प्रदर्शनी करने के लिए खरीद रहा है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, चीन ने भारत से सटे इलाकों में काम करने वाले कई नेपाली संगठनों को इसके लिए तैयार किया है। इन संगठनों को भारत और नेपाल के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर प्रदर्शन करने को कहा गया है। इसके लिए चीनी दूतावास ने नेपाली संगठनों को 2.5 करोड़ नेपाली रु. दिए हैं। नेपाल की राजनीति में भारत के दखल के लेकर भी चीन इन संगठनों को प्रदर्शन करने के लिए कह रहा है।

भारत और नेपाल के बीच 1700 किमी. लंबी सीमा है। भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था। इसके बाद नेपाल ने नया नक्शा जारी कर भारत के तीन इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना दावा पेश किया था। दोनों देशों के बीच इन तीन इलाकों को लेकर ही सीमा विवाद है।

चीन ने गोरखा कम्युनिटी पर स्टडी के लिए भी दिया फंड

चीन ने गोरखा युवाओं पर स्टडी के लिए काठमांडू के एक एनजीओ को 12.7 लाख नेपाली रुपए दिए हैं। चीन यह पता लगाना चाहता है कि गोरखा समुदाय के युवा इंडियन आर्मी जॉइन करने के लिए क्यों उतावले रहते हैं। जून के पहले हफ्ते में नेपाल में चीन की राजदूत होउ यानकी ने नेपाली एनजीओ चाइना स्टडी सेंटर (सीएससी) को फंड दिया था। उन्हें कई चीजों पर स्टडी करने के लिए कहा गया है, जैसे नेपालियों के भारतीय सेना में शामिल होने के कारण, नेपाल के ऐसे इलाके जहां ये भर्तियां होती हैं और उनके सामाजिक और आर्थिक असर जैसे टॉपिक शामिल हैं।

चीन म्यांमार के विद्रोहियों को भारत के खिलाफ उकसा रहा

चीन म्यांमार के विद्रोहियों को भी हथियार देकर उन्हें भारत के खिलाफ उकसा रहा है। ऐसा करके यह पूर्वोत्तर के राज्यों में अशांति फैलाना चाहता है। नीदरलैंड के एमस्टर्डम आधारित थिंक टैंक यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने पिछली महीने जारी अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया था। इसमें कहा गया था कि जुलाई में म्यांमार में थाईलैंड की सीमा के पास मेइ ताओ इलाके में चीन के हथियारों का एक बड़ा जखीरा पकड़ा गया। जांच में पाया गया कि ये हथियार भारत के पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों के लिए भेजे गए थे।

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