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लखनऊएक घंटा पहले
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लखनऊ में सुभाष चंद्र बोस इंस्टीट्यूट के बाहर तैनात गार्ड।
- लखनऊ में परीक्षा केंद्रों पर सुबह सात बजे से मिली इंट्री, नहीं होने दी गई भीड़
- 1 सितंबर से 6 सितंबर तक 12 चरणों में आयोजित होगी नीट, जेईई की परीक्षाएं
कोरोना संकट और राजनीतिक विरोध के बीच छह दिनों तक चलने वाली जेईई मेंस-2020 के दूसरे दिन की परीक्षा बुधवार को संपन्न हो गई। कुछ अभिभावकों ने कहा- यदि परीक्षाएं कुछ महीनों बाद कराई जाती है तो अच्छा रहता तो वहीं कुछ ने कहा कि डर से तो पूरा सिस्टम खत्म हो सकता है। वहीं, आखिरी बार परीक्षा दे रहे छात्रों के चेहरे पर सुकून दिखा। उनके अभिभावकों ने कहा कि परीक्षाएं समय पर हो रही हैं, ठीक है। शहर से काफी दूर सेंटर होने के कारण लोगों को आने जाने में भी दिक्कत हुई। लोगों ने गूगल मैप्स का सहारा लिया। लखनऊ के सुभाष चंद्र बोस इंस्टिट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन, लखनऊ डिजिटल सॉल्यूशन जानकीपुरम और मेट्रो इन्फो सॉल्यूशन गोमती नगर विस्तार से रिपोर्ट…
सेंटरों पर नहीं होने दी गई भीड़।
सुबह 7 बजे से सेंटरों पर मिला प्रवेश
जेईई की परीक्षा के दूसरे दिन भी सेंटरों पर व्यवस्थापकों ने भीड़ नहीं लगने दी। सेंटर पर जो छात्र पहुंचते गए, उनकी एंट्री कराते गए। किसी को भी सेंटर के बाहर नहीं इंतजार करना पड़ा। इस वजह से सेंटर पर भीड़ नहीं लग पाई। हालांकि, अभिभावकों को बाहर ही इंतजार करना पड़ा।
अभिभावकों का दर्द: कुछ समय बाद होती परीक्षा
हजरतगंज से लगभग 20 किमी दूर आईआईएम रोड स्थित सुभाष चंद्र बोस इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन को जेईई परीक्षा का सेंटर बनाया गया है। रायबरेली से बेटे आयुष पटेल को परीक्षा दिलाने आए शशि प्रकाश पटेल ने कहा कि इस कोरोना काल में सरकार को परीक्षाएं इस समय कराना नहीं चाहिए। कुछ महीनों बाद परीक्षाएं होती तो अच्छा रहता। मजबूरन बाइक से बेटे को परीक्षा दिलाने आना पड़ा।
शशि प्रकाश पटेल।
तेलीबाग कैंट ऐरिया से भूतपूर्व सैनिक एमडी शमशाद ने बताया कि बेटा प्रिंस नवाज को परीक्षा दिलाने बाइक से आना पड़ा। प्रबंध नगर सेंटर पर अभिभावकों के बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इस समय सरकार का परीक्षा कराना उचित नहीं था। क्योंकि डेली अखबारों में पढ़ते है कि लखनऊ में सबसे ज्यादा मरीज कोरोना से संक्रमित मिल रहे हैं।
भूतपूर्व सैनिक एमडी शमशाद।
बेटा एग्जाम देता रहा, पिता नींद लेते रहे
जानकीपुरम परीक्षा केंद्र पर गोसाईंगंज अयोध्या से परीक्षा दिलाने आए ओमप्रकाश ने बताया कि रात में रोडवेज बस करीब दो सौ किलोमीटर सफर करना पड़ा। इससे काफी थकावट आ गई है। ऐसे में बेटा अंकित को शारीरिक व दिमागी थकावट कितनी होगी। कोरोना काल में परीक्षा कराना ठीक नहीं था। रात में जागने से मुझे इतनी थकावट आई कि रोड किनारे चादर बिछा कर लेटना पड़ा।
ओम प्रकाश।
कोरोना से डरेंगे तो पूरा सिस्टम खत्म हो जाएगा
प्रबंध नगर सेंटर पर बेटे आशीष तिवारी को परीक्षा दिलाने आए एआर तिवारी ने बताया कि वे सेना में तैनात हैं और उनकी पोस्टिंग दिल्ली में है। वार्षिक अवकाश में अयोध्या आए थे। अयोध्या से रोडवेज बस से पॉलीटेक्निक चौराहा पहुंचे और वहां से ओला कैब करके परीक्षा केन्द्र पहुंचे। उन्होंने बताया कि डर से कोई फायदा नहीं होता। अगर हम डरते रहे तो पूरा सिस्टम समाप्त हो सकता है।
एआर तिवारी।
जिनकी उम्र निकल रही है, उनके लिए सही फैसला है
कैंट छावनी से जानकीपुरम परीक्षा केन्द्र पर मिलीं सेना के जवान की पत्नी पिंकी नेगी ने बताया कि मेरे पति एलओसी पर तैनात हैं। परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। पिंकी ने बताया कि उनका बेटा सचिन नेगी इंटर पास कर जेईई मेन परीक्षा में पहली बार शामिल हुआ है। मां होने के नाते कोरोना का डर तो बना है। लेकिन, दूसरी तरफ यह भी सोचना पड़ता है कि जिन बच्चों की उम्र निकल रही है और वे तीसरी बार परीक्षा दे रहे है। आगे उनके पास चांस नहीं है। उन बच्चों के लिए ये परीक्षाएं ठीक हैं।
पिंकी नेगी।
बच्चे परीक्षा देना चाहते हैं, विपक्ष हल्ला न मचाए
मेट्रो इन्फो सॉल्यूशन गोमतीनगर विस्तार सेंटर पर रायबरेली से अपने बेटे को एग्जाम दिलाने आए सुशील पेड़ के नीचे अपने मोबाइल को स्क्रोल करते हुए बताते है कि कोरोना का डर है, मामले भी ज्यादा हैं। लेकिन, जो बच्चे पढ़ने वाले हैं जिन्हें अपने भविष्य की चिंता है वह एग्जाम देना चाहते हैं। विपक्ष हल्ला न मचाए। आप देखिए 90% बच्चे एग्जाम देने पहुंचे हैं। अगर विरोध होता तो ऐसा माहौल नहीं होता।
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