May 6, 2024 : 4:55 AM
Breaking News
लाइफस्टाइल

प्रेक्टिस के बिना पूरा ज्ञान बेकार हो जाता है, जब तक ज्ञान का अभ्यास नहीं किया जाएगा, तब तक उसका सही उपयोग नहीं किया जा सकता है

4 दिन पहले

  • कॉपी लिंक
  • आचार्य चाणक्य की नीतियों को जीवन में उतारने से हमारी कई समस्याएं खत्म सकती हैं

आचार्य चाणक्य द्वारा रचित नीति शास्त्र के चौथे अध्याय की 15वीं नीति में अभ्यास का महत्व बताया है। चाणक्य ने लिखा है कि-

अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्।

दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।

इस नीति के अनुसार अभ्यास के बिना पूरा ज्ञान बेकार हो जाता है। जब तक ज्ञान का अभ्यास नहीं किया जाएगा, तब तक उसका सही उपयोग नहीं किया जा सकता है।

अगर किसी व्यक्ति का पेट खराब है तो उसके लिए अच्छा भोजन भी विष की तरह ही काम करता है। पेट खराब होने पर भोजन करेंगे तो खाना पच नहीं पाएगा और स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।

किसी गरीब के लिए कोई समारोह विष की तरह होता है। गरीब के पास अच्छे कपड़े नहीं होते हैं और वह किसी कार्यक्रम में जाता है तो उसे अपमानित होना पड़ सकता है।

चाणक्य कहते है कि किसी वृद्ध पुरुष को कम उम्र की महिला से विवाह नहीं करना चाहिए। ऐसा विवाह सफल होने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं।

आचार्य चाणक्य का संक्षिप्त परिचय

आचार्य चाणक्य का जन्म लगभग 376 ईसा पूर्व हुआ था। उनकी मृत्यु चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। चाणक्य ने नीति शास्त्र के साथ ही अर्थशास्त्र आदि ग्रंथों की भी रचना की थी। चाणक्य ने अपनी नीतियों से नंदवंश का नाश किया था। इनकी मृत्यु लगभग 283 ईसा पूर्व हुई थी।

0

Related posts

आज का जीवन मंत्र:जीवन में अनुशासन हमेशा बनाए रखेंगे तो कई बीमारियों और परेशानियों से बच सकते हैं

News Blast

देवता भी निर्जला एकादशी व्रत करते हैं इसलिए इसे देव व्रत भी कहा गया है

News Blast

तस्मानिया राज्य के पश्चिमी समुद्र तट पर सैकड़ों पायलट व्हेल फंसी, 200 के मारे जाने की आशंका

News Blast

टिप्पणी दें