झाबुआ7 घंटे पहले
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- नुकसानी का आकलन अब तक नहीं हुआ शुरू, किसानों को अब मुआवजे की आस
अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलें खराब हो चुकी है, लेकिन अब तक इसका सर्वे शुरू नहीं किया गया। इससे किसान आक्रोशित हैं। किसानों का आरोप है कि खेतों में अधिकारी अब तक नहीं पहुंचे। वे अब मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं। बोवनी के साथ ही शुरू होने वाली किसानों की परेशानियां फसलों के विक्रय तक खत्म नहीं होती है। पहले नकली व गुणवत्ताविहीन बीज की वजह से दो से तीन बार बुआई करनी पड़ी। उसके बाद खाद की किल्लत सामने आ गई। समय पर खाद की उपलब्धता नहीं हो पाई। अब किसान प्रकृति की मार से जूझ रहा है। खेत में सोयाबीन की फसल तो खड़ी है लेकिन उसमें फलियां नहीं आई है। खड़े पौधों को भी इल्लियां चट कर रही हैं। पूर्व में किसानों ने ज्ञापन के माध्यम से नुकसानी का सर्वे कर मुआवजे की भी मांग की। कई किसानों ने बताया कि हमें कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली तो हमारे परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत आ सकती है। ग्राम सुतरेटी के रमणभाई, नंदूभाई पाटीदार ने तो अपने खेत में खड़ी सोयाबीन के पौधों की कटाई ही करवा दी। उनका कहना है कि सोयाबीन कटाई भी मंहगी पड़ रही है। यहां ज्यादा खराब स्थितिआसपास के क्षेत्र मछलई माता सुतरेटी, उंडीखाली रूंडीपाड़ा क्षेत्र में स्थिति ज्यादा खराब है। यहां सोयाबीन की फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी है। मक्का की फसल भी कम गुणवत्ता वाली होने के कारण पैदावार भी कम ही होने का अनुमान है। कोरोना काल की वजह से अन्य लोगों के साथ किसानों की भी आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। वहीं क्षेत्र में फसल बीमा की स्थिति के बारे में जिला सहकारी बैक के शाखा प्रबंधक पीएस मुनिया ने बताया हमारी संस्थाओं के नियमित किसानों का फसल बीमा किया गया है। अन्य किसानों को कृषि विभाग के माध्यम से बीमा स्वयं ही करवाना होगा। सहायक कृषि विस्तार अधिकारी कृषि विस्तार अधिकारी जीआर चौहान ने बताया अऋणी किसानों के लिए फसल बीमा की कार्रवाई की जा रही है। सोयाबीन के लिए 700 रुपए प्रति हेक्टेयर व मक्का के लिए 520 रुपए प्रति हेक्टेयर के मान से बीमा राशि किसानों को जमा करवाना होगी। बीमा आवेदन किसानों से लिए जा रहे हैं। अभी तक 585 अऋणी किसानों के बीमा आवेदन कृषि विभाग के द्वारा भरे गए हैं।
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