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- Coronavirus Nasal Vaccine Research News And Update | Nasal Vaccine Prevents COVID 19 Infection In Mice
15 घंटे पहले
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- रिसर्च करने वाली वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसकी एक या दो डोज ही काफी
- शोधकर्ताओं का दावा, वैक्सीन फेफड़ों के संक्रमण, सूजन और कोरोना के खतरों से बचाती है
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 का ऐसा टीका (ChAd) विकसित किया है जिसकी खुराक नाक के जरिए दी जाएगी। इसका चूहे पर परीक्षण हुआ है। परिणाम असरदार साबित हुए हैं। इस टीके को विकसित करने वाली टीम में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता शामिल हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन की खुराक देने पर चूहों में इम्युनिटी और वायरस से लड़ने वाली न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडीज बढ़ी हैं। इसका फायदा नाक और श्वसन तंत्र पर देखा गया है।
वैक्सीन कैसे काम करती है, 4 बड़ी बातों से समझिए
#1) नाक के रास्ते कोरोना की एंट्री ब्लॉक करती है वैक्सीन
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता माइकल एस डायमंड के मुताबिक, इस वैक्सीन की डोज चूहे में संक्रमण को रोकने में सफल रही है। डोज देने के बाद नाक के ऊपरी हिस्से के इम्युनिटी विकसित हुई और कोरोना की एंट्री ब्लॉक हुई। अब तक के परिणाम सकारात्मक रहे हैं।
#2) वैक्सीन की एक या दो डोज ही काफी
जर्नल सेल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने कोरोना से संक्रमित चूहों को वैक्सीन की डोज दी। जांच में पता चला कि इनमें इम्यून रेस्पॉन्स तेजी से बढ़ा है। वैक्सीन फेफड़ों में संक्रमण, सूजन और कोरोना के खतरों से बचाती है। आमतौर पर वैक्सीन की एक या दो डोज ही काफी हैं, लेकिन चूहों के फेफड़े में जो वायरस देखा गया है वह हाई लेवल का था इसलिए इन्हें डोज अधिक देनी पड़ी।
#3) पहली डोज से ही एंटीबॉडी तैयार होने लगती हैं
शोधकर्ता माइकल के मुताबिक, वैक्सीन की पहली डोज से ही चूहों में वायरस से लड़ने वाली न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी का स्तर बढ़ गया। अब तक हुए ट्रायल से यही परिणाम निकलता है कि वैक्सीन ChAd SARS-CoV-2-S में वायरस से बचाने और इसका ट्रांसमिशन रोकने की क्षमता है। वैक्सीन की मदद से चूहों को संक्रमण से बचाया जा सका। हम इन परिणामों से काफी खुश हैं।
#4) चूहों में दोबारा संक्रमण नहीं हुआ
शोधकर्ता माइकल का कहना है, वैक्सीन का असर काफी बाद तक रहा है। चूहे में संक्रमण खत्म होने के बाद जब उसे वापस वायरस के सम्पर्क में आने की चुनौती मिली तो दोबारा संक्रमण नहीं हुआ। जल्द ही हम दूसरे जानवरों पर इसका परीक्षण शुरू करेंगे। उम्मीद है यह वायरस को रोकने में मदद करेगी और महामारी का दायरा घटाएगी।
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