May 14, 2024 : 9:06 PM
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बचे हुए कोर्स को पूरा कराने की मांग करना छात्रों को पड़ा भारी,  डायरेक्टर ने 8 छात्रों को बिना पूर्व सूचना दिए निष्कासित किया

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भोपालएक घंटा पहलेलेखक: विकास वर्मा

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मप्र नाट्य विद्यालय के छात्र अपनी मांगों को लेकर पिछले 11 दिनों से विरोध जता रहे थे।

  • मप्र नाट्य विद्यालय के छात्र अपनी मांगों को लेकर पिछले 11 दिनों से विरोध जता रहे थे
  • डायरेक्टर का आरोप- छात्रों ने उन पर थूका, सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप लिख रहे हैं

मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय (एमपीएसडी) में एक बार फिर रियल लाइफ ड्रामा शुरू हो गया है। सत्र 2019-20 के छात्रों को कोविड के चलते अधर में लटके कोर्स को लेकर प्रबंधन से मांग करना भारी पड़ गया। सोमवार देर रात नाट्य विद्यालय ने आठ छात्रों को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए बिना किसी पूर्व सूचना के निष्कासित कर दिया। छात्रों के ई-मेल के जरिए उनके निष्कासन का आदेश भेजा गया। यह सभी छात्र पिछले 11 दिनों से रंगकर्म की अलग-अलग विधा के जरिए अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे।

मप्र नाट्य विद्यालय ने 8 छात्रों के निष्कासन को लेकर सोमवार को आदेश जारी किया था।

मप्र नाट्य विद्यालय ने 8 छात्रों के निष्कासन को लेकर सोमवार को आदेश जारी किया था।

छात्रों के निष्कासन के मामले पर मप्र नाट्य विद्यालय के निदेशक आलोक चटर्जी ने भास्कर से कहा कि निष्कासन की कार्रवाई मप्र संस्कृति संचालनालय के संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी के आदेश पर की गई है। इस संबंध में आप उन्हीं से बात कीजिए।

वहीं, मप्र संस्कृति संचालनालय के संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने बताया कि मप्र नाट्य विद्यालय के निदेशक ने मुझसे कहा था कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने उन पर थूका है, सोशल मीडिया पर उनके बारे में अनाप-शनाप लिख कर अनुशासनहीनता कर रहे हैं। इस पर मैंने उन्हें सुझाव दिया कि अनुशासनहीनता को लेकर नाट्य विद्यालय के नियम बने हैं, आप उसके अनुसार छात्रों पर कार्रवाई कर सकते हैं।

इस मामले को लेकर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पासआउट स्टूडेंट्स और देश के अलग-अलग हिस्सों में रंगकर्म से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर नाट्य विद्यालय की ओर से की गई निष्कासन की कार्रवाई को गलत बताया है।

छात्रों की मांग है कि उनका बचा हुआ कोर्स पूरा कराया जाए।

छात्रों की मांग है कि उनका बचा हुआ कोर्स पूरा कराया जाए।

छात्र बोले- हम तो बस चार महीने का बचा हुआ कोर्स वर्क चाहते हैं

प्रदर्शन में शामिल छात्रों का कहना है कि हमारी मांग सिर्फ इतनी सी है कि हमारे 12 महीने के कोर्स में से अभी तक सिर्फ 8 महीने का ही कोर्स पूरा हुआ है। कोविड के चलते 15 मार्च से संस्थान बंद है। हमारी पढ़ाई सामान्य ट्रेडिशनल कोर्स से अलग है। इसलिए हम जनरल प्रमोशन लेकर पासआउट नहीं हो सकते।

एक साल कोर्स में छात्रों को चार प्रोडक्शन और 6 सीन वर्क कराए जाते हैं। अभी तक हमारे दो प्रोडक्शन और तीन सीन वर्क हुी हुए हैं। हर प्रोडक्शन और सीन वर्क से उस विषय के विशेषज्ञ आकर हमें ट्रेनिंग और लाइव प्रैक्टिकल करवाते हैं और इसके बाद हम नाटक भी तैयार कर मंचित करते हैं। हमारी प्रबंधन से बस इतनी सी मांग है कि हमारे कोर्स की अवधि को चार माह के लिए बढ़ाया जाए और कोविड खत्म होने के बाद जब चीजें सामान्य हों तब बचे हुए कोर्स को पूरा कराने के बाद हमारा सत्र समाप्त किया जाए।

संचालक बोले- कोविड के बाद बचा हुआ कोर्स कराने को तैयार हैं

इस मामले पर मप्र संस्कृति संचालनालय के संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने कहा कि “हम छात्रों को काेविड के बाद चार महीने का बचा हुआ कोर्स वर्क कराने को तैयार हैं। इस कोर्स के बाद एक साल की इंटर्नशिप भी होती है, जिसमें हम प्रति छात्र को 1 लाख 72 हजार रुपए देते हैं। यह सब कोविड के बाद ही संभव होगा। यहां तक कि नए बैच की प्रवेश प्रक्रिया को भी कोविड खत्म होने तक रोक दिया गया है।”

आलाेक चटर्जी एनएसडी-1987 बैच के पासआउट हैं और पिछले 40 सालों से रंगकर्म में सक्रिय हैं।

आलाेक चटर्जी एनएसडी-1987 बैच के पासआउट हैं और पिछले 40 सालों से रंगकर्म में सक्रिय हैं।

2019 में भी एमपीएसडी के छात्रों ने किया था विरोध प्रदर्शन

यह कोई पहला मामला नहीं है जब मौजूदा निदेशक और छात्रों के बीच ऐसा विवाद हुआ हो। इससे पहले फरवरी 2019 में भी सत्र 2018-19 के छात्रों ने अव्यवस्थाओं को लेकर प्रदर्शन किया था, यह प्रदर्शन भी कई दिनों तक चला था। इस दौरान भी निदेशक ने कुछ छात्रों को निष्कासित किया था, हालांकि छात्रों के विरोध के बाद उन्हें निष्कासन का आदेश वापस लेना पड़ा था।

खुद एनएसडी पासआउट और वरिष्ठ रंगकर्मी हैं एमपीएसडी के निदेशक

आलाेक चटर्जी खुद एनएसडी-1987 बैच के पासआउट हैं और पिछले 40 सालों से रंगकर्म में सक्रिय हैं। अक्टूबर 2018 में वे मप्र नाट्य विद्यालय के निदेशक बने थे। इससे पहले वे वहीं सातों सालों से एक्टिंग फैकल्टी के तौर पर कार्यरत थे।

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