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- Krishna Janmashtami 2020: Subh Muhurat OF Krishna Birth According To Panchang Date And Timing Of Krishna Janmashtami Festival
एक दिन पहलेलेखक: विनय भट्ट
वैष्णव मत के मुताबिक 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है, इसलिए मथुरा (उत्तर प्रदेश) और द्वारिका (गुजरात) दोनों जगहों पर 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनेगा।
- तिथि-नक्षत्र का संयोग नहीं मिलने से 11-12 अगस्त को मनाया जाएगा कृष्ण जन्माष्टमी पर्व
- उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में 13 अगस्त को भी मनेगी जन्माष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर इस साल भी दो मत हैं। ज्यादातर पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी है, लेकिन ऋषिकेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में 13 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाने की तैयारी है।
वैष्णव मत के मुताबिक 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है, इसलिए मथुरा (उत्तर प्रदेश) और द्वारिका (गुजरात) दोनों जगहों पर 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनेगा। जगन्नाथपुरी में 11 अगस्त की रात को कृष्ण जन्म होगा। वहीं, काशी और उज्जैन जैसे शैव शहरों में भी 11 को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
- इसका कारणः कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र का एक साथ नहीं मिल रहे। 11 अगस्त को अष्टमी तिथि सूर्योदय के बाद लगेगी, लेकिन पूरे दिन और रात में रहेगी। भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी पर्व पर श्रीकृष्ण की तिथि और जन्म नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। इस बार 11 अगस्त, मंगलवार को अष्टमी तिथि पूरे दिन और रातभर रहेगी।
अलग-अलग दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
पं. मिश्र के साथ ही अखिल भारतीय विद्वत परिषद का कहना है कि गृहस्थ लोगों के लिए जन्माष्टमी पर्व 11 अगस्त को रहेगा। वहीं, साधु और सन्यासियों के लिए 12 अगस्त को। जन्माष्टमी को लेकर पंचांग भेद है, क्योंकि 11 अगस्त को अष्टमी तिथि है जो कि अगले दिन सुबह 8 बजे तक रहेगी।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि पर आधी रात में हुआ था। इसलिए विद्वानों का कहना है कि गृहस्थ जीवन वालों को इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाना चाहिए। वहीं, अगले दिन यानी 12 अगस्त को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि तो होगी, लेकिन सुबह 8 बजे तक ही रहेगी। इसलिए कुछ जगहों पर जन्माष्टमी पर्व 12 अगस्त को भी मनाया जाएगा।
मथुरा: भक्तों के बिना मनेगा जन्मोत्सव
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी था। जो कि इस बार 12 अगस्त की रात में है। नक्षत्र की स्थिति देखते हुए मथुरा में कृष्ण जन्मोत्सव पर्व 12-13 अगस्त की रात में मनाया जाएगा। कोरोना के चलते इस बार भक्तों के बिना ही कृष्ण जन्मोत्सव पर्व मनाया जाएगा। इस उत्सव को टीवी के जरिये देखा जा सकेगा। वहीं, पुष्पांजली समारोह जिसे हिंडोला भी कहा जाता है, भागवत भवन में रखा जाएगा।
जगन्नाथ पुरी में 11, द्वारिका में 12 अगस्त
द्वारिका धाम मंदिर के पुजारी पं. प्रणव भाई के मुताबिक, 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाना शुभ है। वहीं, जगन्नाथपुरी के पुजारी पं. श्याम महापात्रा के मुताबिक, उड़ीसा सूर्य उपासक प्रदेश है, इसलिए यहां सूर्य की स्थिति को देखते हुए त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए, पुरी मंदिर में 11 अगस्त को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव और 12 अगस्त को नंदोत्सव मनाया जाएगा।
तिथि और नक्षत्र के कारण होता है तारीखों में भेद
पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। लेकिन, ग्रह-नक्षत्रों की चाल में बदलाव होने से कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही नहीं होते।
इसलिए कुछ लोग जन्म तिथि को महत्वपूर्ण मानते हुए अष्टमी तिथि को ये पर्व मनाते हैं और कुछ लोग रोहिणी नक्षत्र वाले दिन मनाते हैं। हालांकि, दोनों ही दिन ये पर्व मनाना उचित है। इसलिए संप्रदाय भेद के कारण ये पर्व तिथि और नक्षत्र प्रधान माना जाता है।
12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने के तर्क
ज्योतिषाचार्य पं. मिश्र के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था। लेकिन, इस बार तिथि और नक्षत्र का संयोग एक ही दिन नहीं बन रहा है। मंगलवार, 11 अगस्त को अष्टमी तिथि पूरे दिन और रातभर रहेगी। इस वजह से 11 अगस्त की रात जन्माष्टमी मनाना ज्यादा शुभ रहेगा।
पं. मिश्र का कहना है कि 11 अगस्त को ही श्रीकृष्ण के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करना चाहिए। अष्टमी तिथि 12 अगस्त को सूर्योदय काल में रहेगी, लेकिन सुबह 8 बजे ही तिथि बदल जाएगी। ये दिन अष्टमी और नवमी तिथि से युक्त रहेगा। इसलिए 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी पर्व मनाना उचित नहीं होगा।
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