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भूमिपूजन के सात माह बाद भी कन्या काॅलेज निर्माण में एक ईंट नहीं लगा पाया पीआईयू, जमीन कम-ज्यादा के चक्कर में बदली भवन की डिजाइन

दैनिक भास्कर

Jul 07, 2020, 06:47 AM IST

नागदा. शासकीय कन्या काॅलेज के भवन निर्माण का मामला बीते 4 साल से उलझा हुआ है। राशि जारी हाेने के बाद जमीन नहीं मिली ताे भूमिपूजन के 7 माह बीतने के बाद भी पीआईयू यहां एक ईंट तक नहीं लगा पाया है। वजह जमीन कम-ज्यादा हाेने के चक्कर में भवन की डिजाइन बदलना बताया जा रहा है, हालांकि डिजाइन का कार्य भी पूरा हाे चुका है। पीआईयू के जिम्मेदाराें का कहना है कि ठेकेदार काे बाउंड्रीवाल निर्माण का आदेश भी दे दिया है, उसके बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। वहीं बारिश का दाैर शुरू हाे चुका है। ऐसे में निर्माण कार्य शुरू हाेना मुश्किल ही नजर आ रहा है, क्यांेकि यहां से श्रीराॅम काॅलाेनी का नाला गुजर रहा है, जाे बारिश में उफान पर आएगा ताे निर्माण कार्य करना कुछ मुश्किल हाेगा। ऐसे में कन्या काॅलेज की छात्राओं काे नए शिक्षा सत्र में भी दाे कमराें में ही पढ़ाई करना हाेगी।

काॅलेज भवन के लिए चिह्नित जमीन से श्रीराम काॅलाेनी के ड्रेनेज का पानी हाेकर गुजरता है। बारिश शुरू हाे चुकी है, ऐसे में चिह्नित जमीन पर वर्तमान में पानी भरा हुआ है। बारिश हाेती है ताे यहां पानी अाैर बढ़ जाएगा। ऐसे में काम करना मुश्किल हाे जाएगा। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि अब भवन का काम बारिश बाद ही शुरू हाे पाएगा अाैर 2021 में ही छात्राओं काे खुद का काॅलेज भवन मिल सकेगा।

2016 में मिली थी भवन निर्माण के लिए राशि
कन्या कॉलेज की शुरुआत 2012 में विधायक दिलीपसिंह गुर्जर के कार्यकाल में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के दो कमरों में हुई थी। इसके बाद से ही कॉलेज बीए संकाय में दो कमरों में चल रहा है। यहां 160 से अधिक छात्राएं अध्ययनरत हैं। दिसंबर 2016 में भवन निर्माण के लिए 3 करोड़ 81 लाख रुपए व जनवरी 2017 में बाउंड्रीवाल के लिए 80 लाख रुपए की स्वीकृति हुई थी। उसके बाद ढाई साल भवन निर्माण के लिए जमीन तलाशने में ही निकल गए।
दोबारा सीमांकन में 1.56 हेक्टेयर ही निकली जमीन
काॅलेज भवन निर्माण का भूमिपूजन मनाेहर वाटिका के पीछे स्थित जमीन पर तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री पटवारी ने 30 नवंबर 2019 काे किया था। यहां राजस्व विभाग ने भवन निर्माण के लिए 2.56 हेक्टेयर जमीन का आदेश किया था। भूमिपूजन के बाद जब जमीन का दोबारा सीमांकन हुआ तो मौके पर 1.56 हेक्टेयर जमीन ही मिली, तब पता चला कि लिपिकीय त्रुटि की वजह से 1.56 की जगह 2.56 हेक्टेयर का आदेश हुआ है। इसके बाद संशोधित आदेश हुआ।

बारिश में भी किया जाएगा बाउंड्रीवाॅल का काम
पीआईयू एसडीओ बी.डी. शर्मा ने बताया कि पहले अधिक जमीन का अलाॅटमेंट हुआ था। उस मान से भवन निर्माण की डिजाइन बनाई थी, लेकिन सीमांकन में जमीन कम आई थी। दाेबारा कम जमीन का आदेश हुआ, इससे भवन की डिजाइन बदलने और उसकी स्वीकृति में समय लगा। पहले बाउंड्रीवाल का निर्माण किया जाएगा। उसके बाद भवन निर्माण की शुरुआत हाेगी। बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए ठेकेदार काे आदेश दे दिए हैं, उसने काम क्याें शुरू नहीं किया, चेक कराया जाएगा। बारिश में भी बाउंड्रीवाल निर्माण का काम चालू रहेगा।

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