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2 माह में 327 मौतें; न दवा ठीक से मिली, न इलाज, पिछले साल से 107 मौतें ज्यादा

  • इनमें हार्ट अटैक, शुगर, कैंसर, बीपी, दमा से जान गंवाने वाले सबसे ज्यादा
  • लॉकडाउन के चलते माॅर्निंग वॉक और शाम का टहलना छूटा, खानपान में बदलाव, महामारी का तनाव बना कारण

दैनिक भास्कर

Jul 07, 2020, 06:19 AM IST

उज्जैन. अप्रैल और मई के लॉकडाउन में गंभीर बीमारियों से पीड़ित 327 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई। इनमें हार्टअटैक, शुगर, बीपी, कैंसर, दमा जैसी बीमारियों से पीड़ितों की संख्या सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है लॉकडाउन के दौरान इन मरीजों को समय पर इलाज और दवा नहीं मिली, वहीं उनकी दिनचर्या में भी बदलाव आया। इसके अलावा कोरोना का तनाव भी कारण बना। 
अप्रैल, मई में पूरी तरह लॉकडाउन की स्थिति थी। घरों से निकलने की मनाही थी। ऐसे में मृतकों के अंतिम संस्कार में भी सोशल डिस्टेंसिंग के लिए अंतिम यात्रा के लिए निगम के शव वाहन का उपयोग किया गया। निगम के रिकॉर्ड के अनुसार अप्रैल में 338 व मई में 434 शवों को अस्पताल और घरों से श्मशान व कब्रिस्तान ले जाया गया। कब्रिस्तान में इन दो महीनों में सभी तरह के 57 शव दफनाए गए। चक्रतीर्थ में दाह संस्कार के रिकार्ड को भास्कर ने खंगाला। अप्रैल में 195 व मई में 224 मृतकों का अंतिम संस्कार का रिकॉर्ड है। विद्युत शवदाह गृह में अप्रैल में 96 व मई में 122 दाह संस्कार का रिकॉर्ड है। इसमें मृत्यु का कारण भी दर्ज किया गया है, जो परिजन ने दर्ज कराया है। चक्रतीर्थ के रिकॉर्ड में दर्ज मृतकों के आंकड़े बताते हैं 2019 के मुकाबले 2020 में ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई है। अप्रैल में 2019 के मुकाबले 30 और मई में 2019 के मुकाबले 77 लोगों की ज्यादा मौत हुई। यानी 2019 के मुकाबले 2020 में इन दो महीनों में मौत का आंकड़ा 107 बढ़ा है। 2019 में दो महीनों में 530 की मृत्यु हुई थी, जबकि 2020 में 636 की मृत्यु चक्रतीर्थ व विद्युत शवदाहगृह में दर्ज हुई। 

असमय मृत्यु पर मचा था हल्ला

बहादुरगंज के व्यक्ति की मौत पर पार्षद सत्यनारायण चौहान ने आरोप लगाया था कि मरीज का इलाज नहीं किया। हरसिद्धि क्षेत्र के ज्योतिषविद् की मृत्यु पर परिवारजन ने आरोप लगाया था कि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल सका। कैंसर पीड़ित के परिजन को इंदौर में मिलने वाली दवा लाने के लिए परमिशन नहीं मिलने का मामला भी सामने आया था।

दिनचर्या बिगड़ी, बीमार-बुजुर्गों पर ज्यादा असर पड़ने से मौत
मौतों के आंकड़े अस्वाभाविक नहीं है लेकिन यह सच है कि लॉकडाउन के दौरान गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को समय पर इलाज और दवाई मिलने में काफी व्यवधान रहा। ऐसे मरीजों की तय दिनचर्या रहती है, जैसे मॉर्निंग वॉक, व्यायाम, योग आदि करते हैं। इस दौरान उनकी यह दिनचर्या ठप हो गई। कोरोना का तनाव भी बड़ा कारण रहा। कहा गया वृद्ध और गंभीर बीमारियों वाले ज्यादा खतरे में है। ऐसे कई कारण मौतों की संख्या बढ़ने के हो सकते हैं।
डॉ विमल गर्ग, हृदयरोग विशेषज्ञ

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