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कंपनी में काम करने वाले एम्पलॉयज को सता रहा है नौकरी जाने का डर, देश में बैन की खबर के बाद चिंता में हैं कर्मचारी और इंफ्लूएंसर

  • टिकटॉक के सीईओ ने कर्मचारियों को दिया आश्वासन, कहा- ‘हमारे कर्मचारी, हमारी मजबूती हैं, हमारी टॉप प्रायोरिटी हैं’
  • भारत में टिकटाॅक के 20 करोड़ यूजर्स हैं और इस कंपनी में 2,000 से अधिक एम्प्लॉई काम कर रहे हैं

दैनिक भास्कर

Jul 01, 2020, 05:01 PM IST

नई दिल्ली. 29 जून को जब देश में चल रहे 59 चाइनीज ऐप पर बैन लगाने की खबर आई तो सबसे ज्यादा परेशान नजर भारत के टिकटॉकर्स और हेलो ऐप यूजर्स आए। अगले दिन प्ले स्टोर और एपल स्टोर से जब ऐप डिलीट हो गया तो लोगों ने यू-ट्यूब, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपना दर्द बयां किया। इन सबके बीच भारत में युवाओं का एक और ऐसा वर्ग था जिसके चेहरे पर परेशानी, दिमाग में टेंशन थी, वो थे इन चाइनीज कंपनियों में काम करने वाले एम्पलॉइज।

हालांकि, बुधवार को चीनी वीडियो-शेयरिंग ऐप टिकटाॅक के सीईओ, केविन मेयर ने अपने भारतीय कर्मचारियों को आश्वासन देते हुए कहा कि हमारे कर्मचारी हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। उनकी भलाई हमारी टॉप प्रायोरिटी है। हमने 2,000 से अधिक मजबूत कर्मचारियों को भी आश्वस्त किया है कि हम सकारात्मक अनुभव और अवसरों को बहाल करने के लिए जो भी हमारे लिए संभव होगा हम करेंगे।

हेलो के सीओओ ने कहा- नहीं जाएगी जॉब, ना होगी सैलरी कट ऑफ

हेलो ऐप के गुरुग्राम ऑफिस में काम करने वाली दिल्ली की एक एम्पलॉई ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि नौकरी जाने की चिंता से जूझ रहे एम्प्लॉई को मोटिवेट किया जा रहा है। 1 जुलाई को बाइटडांस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर केविन मेयर और हेलो एप के इंडिया हेड रोहन मिश्रा ने वर्चुअल मीटिंग के जरिए अपने एम्पलॉई से बात की।

बातचीत में केविन ने स्पष्ट किया कि किसी भी एम्प्लॉई की नौकरी नहीं जाएगी और ना ही कोई सैलरी कट ऑफ होगी। केविन ने कहा कि हम भारत में और भी निवेश करेंगे। ऐप बैन के मसले पर कहा कि इस मामले में हम भारत सरकार से बातचीत कर रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही इस समस्या का समाधान निकलेगा।

भारत में बाइटडांस में 2,000 से अधिक कर्मचारी हैं

दुनियाभर में पॉपुलर टिकटॉक और हेलो एप की पैरेंट कंपनी है बाइटडांस। टिकटॉक और हेलो ऐप के गुरुग्राम मुख्यालय में इस समय दो हजार से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। कोरोना के चलते 95 फीसदी स्टॉफ को जुलाई अंत तक वर्क फ्रॉम होम ही मिला हुआ है।

बाइटडांस के भारत में करीब सात ऑफिस हैं। गुरुग्राम के अलावा मुम्बई, अहमदाबाद, हैदराबाद, बैंगलोर, चेन्नई में भी ऑफिस हैं। भारत में बाइटडांस में 2,000 से अधिक एम्प्लॉई काम कर रहे हैं। बता दें कि टिकटाॅक के दुनियाभर में 80 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। इनमें भारत में लगभग 20 करोड़ यूजर्स हैं।

आइए जानते हैं टिकटॉक के कर्मचारियों ने क्या कहा

  • 30 जून की सुबह सैलरी का मैसेज नहीं आया तो लगा कि अब हमारी नौकरी भी गई

बाइटडांस के इन दोनों ऐप पर बैन लगने की खबर के बाद यहां के एम्प्लॉई को अपनी नौकरी भी संकट में नजर आने लगी। गुरुग्राम ऑफिस में काम कर रहे कंपनी के एक एम्पलॉई ने नाम ना छापने की शर्त पर अपना अनुभव शेयर किया। उसने बताया कि आमतौर पर हम लोगों की सैलरी स्लिप महीने के आखिरी दिन से एक दिन पहले जेनरेट हो जाती है और महीने के आखिरी दिन सुबह 7 से 9 के बीच सैलरी का मैसेज आ जाता है। इस बार 29 जून को सैलरी स्लिप जेनरेट हुई लेकिन 30 जून को सुबह सैलरी का मैसेज नहीं आया। मुझे लगा कि शायद मैसेज ना आया हो लेकिन अकाउंट में सैलरी आ गई होगी, इसलिए अकाउंट चेक किया।

पता चला कि वाकई में सैलरी नहीं आई थी। यार-दोस्तों से पूछा तो पता चला कि किसी की सैलरी नहीं आई है। मेरे मन में तरह-तरह के विचार आ रहे थे कि कहीं ऐप बैन के कारण हम लोगों की नौकरी तो नहीं चली गई। मैंने तो लिंक्डइन पर नई नौकरी भी ढूंढनी शुरू कर दी थी। कुछ सीनियर्स को भी मैसेज किया कि- मेरे लायक अगर कहीं कुछ हो तो बताइएगा। इस बीच दोपहर में सैलरी का मैसेज आया तब जाकर राहत की सांस ली। लेकिन इसके बाद भी नौकरी जाने का संकट मंडरा रहा था।

  • कोरोना संकट में दूसरी नौकरी ढूंढना मुश्किल है

दिल्ली स्थित एक अन्य कर्मचारी आस्था (बदला हुआ नाम) ने बताया कि टिकटॉक को बैन करने की खबर से मेरा पूरा परिवार टेंशन में आ गया है। मेरे घर का खर्च मेरे ऊपर ही है। ऐसे में अगर नौकरी जाती है तो मुसीबत में आ जाएंगे। मानते हैं सरकार ने यह फैसला देशहित में लिया है लेकिन इस समय हम जैसे कर्मचारियों की अगर नौकरी चली गई तो हम कहां जाएंगे? कोरोना क्राइसिस के चलते कई कंपनियों ने न्यू हायरिंग पर रोक लगा दी है। ऐसे में नौकरी जाने के खौफ के साथ नई नौकरी की तलाश करना भी एक चुनौती ही है।

  • कहां बोनस का सपना देख रहे थे और अब नौकरी तलाश कर रहे हैं

राकेश टिकटॉक में कंटेंट पर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना क्राइसिस में हमारा काम बेहतरीन चल रहा था। टिकटॉक के शानदार प्रदर्शन से हम बोनस का सपना देख रहे थे। इस साल हमें उम्मीद थी बोनस अच्छा मिलेगा, लेकिन अब ऐप को बैन करने के बाद हर पल छंटनी का डर सता रहा है। राकेश बताते हैं कि कंपनी की तरफ से पूरी तसल्ली दी गई है कि नौकरी नहीं जाएगी लेकिन कुछ हद तक असर जरूर पड़ेगा। वे कहते हैं, मेरे साथ मेरे अन्य कुलीग भी नौकरी की तलाश में जुट गए हैं।

टिकटाॅक इंफ्लूएंसर में भी बेरोजगारी को लेकर टेंशन 

कर्मचारियों के अलावा कई टिकटाॅक इंफ्लूएंसर भी हैं जो इस समय अपने भविष्य  को लेकर चिंतित है। ऐसे कई इंफ्लूएंसर हैं जो अपनी नौकरी छोड़ कर पूरा समय टिकटाॅक पर देते थे और हर एक वीडियो से लाखों में कमाई की उम्मीद करते थे। यहां बताते चले कि टिकटाॅक प्लेटफार्म के जरिए अच्छी-खासी कमाई करने वाले यूजर को टिकटाॅक इंफ्लूएंसर कहते हैं। इन इंफ्लूएंसर को बड़े-बड़े ब्रैंड्स द्वारा स्पाॅन्सर्स किया जाता है। आइए मिलते हैं ऐसे टिकटाॅक इंफ्लूएंसर से- 

  • टिकटाॅक पर मोटी रकम कमाने के कारण अव्वल ने छोड़ी थी जाॅब

मोटिवेशनल स्पीकर अव्वल (Awal TsMadaan) टिकटाॅक पर इंग्लिश बोलना सिखाते हैं। हिन्दी के शब्दों व वाक्यों को इंग्लिश में कैसे बोलते हैं, वे इस पर वीडियो बनाते हैं। टिकटाॅक पर अव्वल के 6 मिलियन (60 लाख) फाॅलोवर्स थे। अव्वल ने मनी भास्कर से बातचीत में बताया कि वे पिछले एक साल से टिकटाॅक ऐप से जुड़े हुए हैं। इन्हें कई बड़ी कंपनियों ने स्पाॅन्सर किया है और इसके लिए उन्हें लाखों रुपए तक मिले हैं। 

अव्वल बताते हैं, ‘पहले मैं एक इंटरनेशनल एजेंसी में जाॅब करता था लेकिन टिकटाॅक पर अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद मैंने जॉब छोड़ दी और टिकटाॅक पर ही फुल टाइम देने लगा।” वे बताते हैं कि जितनी सैलेरी उन्हें उस कंपनी में मिलती थी उससे तीन गुना ज्यादा रकम टिकटाॅक पर एक छोटी सी वीडियो से मिल जाती थी। अव्वल ने बताया इसके लिए कंपनियां आपके फॉलोवर्स और कंटेंट देखती हैं और फिर उसके मुताबिक उससे संबंधित कंपनी, एजेंसी, एनजीओ अपना प्रमोशन करवाती थी। अव्वल को कई एजुकेशनल ऐप व संस्थानों से ऐड मिलता था।

  • ब्रैंड्स 1 मिनट के ऐड के 80 हजार रुपए तक देती थी गुंजन को 

दिल्ली की रहने वाली गुंजन टिकटाॅक वीडियो के जरिए लोगों को हेल्थ के प्रति जागरूक करती थी। शुरुआत में उन्होंने यह काम शौकिया तौर पर किया, लेकिन बाद में वीडियो पर ऐड के लिए कॉन्टैक्ट्स मिलने लगे तब गुंजन ने इसमें बतौर करियर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने बातचीत में बताया कि मैं अभी एक मीडिया एजेंसी में काम करती थी, लेकिन टिकटाॅक पर टाइम नहीं पाने के कारण जाॅब से रिजाइन दे दिया था। उसके बाद से पूरा टाइम टिकटाॅक पर देती थी ताकि अधिक से अधिक कंपनियों के लिए वीडियो बना सकें।

गुंजन को एक वीडियो के लिए कंपनी 20 से 30 हजार रुपए पेमेंट करती थी। गुंजन के मुताबिक, उन्हें हर दिन 4 से 5 कंपनियां अपने प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए अप्रोच करती थी। वे कहती हैं ‘हर कंपनी अपने बजट के मुताबिक डील करती थी। छोटी कंपनियां एक ऐड वीडियो के 5 से 10 हजार रुपए तक देती हैं तो नाइका, वीवो, ओप्पो और पूमा जैसे ब्रांड 1 मिनट के ऐड के 80 हजार रुपए तक पेमेंट करने को तैयार रहती हैं।’ टिकटॉक अकाउंट पर गुंजन के 3 मिलियन से ज्यादा फॉलोवर्स थे।

  • टिकटाॅक जैसे देसी शाॅर्ट वीडियो प्लेटफार्म पर करेंगे मूव

वहीं, विशाल पांडे नाम के टिकटाॅकर भी टिकटाॅक की दुनिया में काफी मशहूर हो चुके हैं। सरकार ने इस फैसले का स्वगात करते हुए विशाल ने कहा कि हमारे फैंस हमें जल्द ही किसी अन्य प्लेटफाॅर्म पर देख सकेंगे। विशाल ने बताया कि उन्हें टिकटाॅक पर एक वीडियो से 80 हजार रुपए तक मिलते थे। उन्होंने मनी भास्कर से बातचीत में देसी शॉट वीडियो प्लेटफॉर्म रोपोसो (ROPOSO) की तरफ मूव करने की बात कही। सिर्फ विशाल ही नहीं पिछले 10 दिनों में टिकटॉक के कई बड़े इंफ्लूएंसर अन्य एप से जुड़े हैं। इनमें वरूण सोनी (टिकटाॅक पर 2.8M फाॅलोवर्स ), पायल कोहली (टिकटाॅक पर 2.1M फाॅलोवर्स ), उल्हास कमहटे (टिकटाॅक पर 6.8 M फाॅलोवर्स ), अंसारी जीशान (टिकटाॅक पर 1.2M फाॅलोवर्स ) जैसे टिकटॉक इंफ्लूएंसर ने रोपोसो एप को ज्वाइन किया है।

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