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रेटिंग एजेंसियों के 2 प्रतिशत के जीडीपी वृद्धि दर के सभी अनुमान गलत साबित हुए लेकिन सालाना अनुमान सही साबित हुए

  • मार्च तिमाही में जीडीपी 3.1 प्रतिशत रही
  • सालाना आधार पर अनुमान सही निकला

दैनिक भास्कर

May 29, 2020, 07:19 PM IST

मुंबई. शुक्रवार को केंद्रीय सांख्यिकीय विभाग द्वारा जारी जीडीपी के आंकड़ों ने करीबन सभी एनालिस्ट और रेटिंग एजेंसियों के अनुमान को गलत साबित कर दिया। जनवरी-मार्च तिमाही में अधिकतर अनुमानों में जीडीपी 2 प्रतिशत से नीचे रहने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन इस दौरान देश की जीडीपी 3.1 प्रतिशत रही। पूरे वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 4.2 प्रतिशत रहा। हालांकि इसके पहले के साल में यह 6.1 प्रतिशत था।

इक्रा ने तिमाही में 1.9, क्रिसिल ने 0.5, एसबीआई ने 1.2 प्रतिशत अनुमान जताया था

बता दें कि इससे पहले तमाम एजेंसियों ने अपना-अपना अनुमान पेश किया था। ज्यादातर एजेंसियों ने मार्च तिमाही में 2 प्रतिशत से नीचे ही जीडीपी का अनुमान व्यक्त किया था। हालांकि पूरे साल के लिए यह आंकड़ा 5 प्रतिशत से नीचे का अनुमान लगाया गया था। इक्रा ने मार्च तिमाही के लिए 1.9 प्रतिशत, क्रिसिल ने 0.5 प्रतिशत, एसबीआई ने 1.2 प्रतिशत, केयर ने 3.6 प्रतिशत, आईसीआईसीआई बैंक ने 1.5 प्रतिशत और नोमुरा ने 1.5 प्रतिशत के जीडीपी का अनुमान लगाय था। इसमें केवल केयर का अनुमान वास्तविक जीडीपी के आंकड़े से थोड़ा ज्यादा था।  

पूरे साल के लिए अनुमान कुछ हद तक सही निकले

पूरे साल की जीडीपी की वृद्धि दर की बात करें तों इसमें कुछ अनुमान सही निकले। पूरे साल के लिए इ्रक्रा ने 4.3 प्रतिशत, क्रिसिल ने 4, एसबीआई ने 4.2, केयर ने 4.7, आईसीआईसीआई बैंक ने 5.1 और फिच ने 5 प्रतिशत का अनुमान लगाया था। वास्तविक आंकड़ा 4.2 प्रतिशत रहा है। बता दें कि लॉकडाउन 4.0 रविवार को समाप्त हो रहा है। लॉकडाउन का मैन्युफैक्चरिंग और सेवा पर पूरा असर जून तिमाही में दिखेगा।

जीडीपी का आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि कोविड-19 से लॉकडाउन के बाद यह पहली बार जारी हो रहा है। इसी तरह ग्रास वैल्यू एडेड (जीवीए) 3.9 प्रतिशत रहा है जबकि इसका अनुमान 4.3 प्रतिशत का था। 

मार्च में एक हफ्ते की बंदी से ज्यादा असर नहीं

हालांकि इस आंकड़ें पर लॉकडाउन का ज्यादा असर इसलिए नहीं पड़ा है क्योंकि मार्च के अंतिम हफ्ते में लॉकडाउन शुरू हुआ था। इस तरह से देखा जाए तो महज एक हफ्ते के बंद का ही इस पर असर हुआ है। बीते वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में विकास दर क्रमशः 5.1 फीसदी, 5.6 फीसदी और 4.7 फीसदी थी।

लॉकडाउन से पहले देश की विकास दर 6 साल के निचले स्तर पर 

लॉकडाउन से पहले भारत की विकास दर पिछले छह साल में सबसे निचले स्तर पर थी। एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संकट के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगने की आशंका है। देश की अर्थव्यवस्था को 1.4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना है। सरकार ने इस साल में पहले ही 12 लाख करोड़ रुपए की उधारी ले रखी है। इसका असर आनेवाले समय में आंकड़ों पर दिखेगा।

जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि निजी खपत, ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फार्मेशन और शुद्ध निर्यात ने निराश किया है।

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