May 19, 2024 : 2:11 AM
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सियालकोट में श्रीलंकाई नागरिक को बचाने के लिए भीड़ से भिड़ गए थे मलिक अदनान, इमरान ख़ान ने तमग़ा-ए-शुजात देने का किया एलान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने सियालकोट के उस फ़ैक्ट्री कर्मचारी को तमग़ा-ए-शुजात सम्मान देने का एलान किया है जिसने शुक्रवार को श्रीलंकाई नागरिक प्रियांथा दियावदाना को गुस्साई भीड़ से बचाने की को कोशिश की थी.

हालांकि उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद उग्र भीड़ प्रियांथा को खींच कर ले गई और उन्हें पीट-पीट कर मार डाला, इसके बाद उनके शव को आग लगा दी.

रविवार को प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने मलिक अदनान नाम के इस शख़्स को पाकिस्तान का चौथा सबसे बड़ा बहादुरी पुरस्कार देने का एलान किया.

मलिक अदनान ने एक स्थानीय न्यूज़ चैनल से कहा कि वह मानवता को बचाने की कोशिश कर रहे थे.

वीडियो में अदनान भीड़ से विनती करते हुए दिख रहे हैं और प्रियांथा को हमलों से अपने सिर और शरीर के ऊपरी हिस्से से बचा रहे हैं, श्रीलंकाई नागरिक अदनान के पैरों से चिपके हुए हैं और भीड़ से बचने की कोशिश कर रहे हैं.

वीडियों में थोड़ी देर बाद अदनान प्रियांथा के ऊपर पूरी तरह झुक कर उन्हें कवर देने की कोशिश करते हैं, लेकिन भीड़ श्रीलंकाई नागरिक को छत से नीचे फेंकने के लिए अदनान से छीनने की कोशिश करती है. वीडियो में भीड़ को ये कहते हुए सुना जाता है कि “वह (प्रियांथा) आज नहीं बचेगा.”

इस घटना का एक और वीडियो सामने आया है जिसे फैक्ट्री के अंदर रिकॉर्ड किया गया है, वीडियो में अदनान फैक्ट्री के कर्मचारियों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. ये वीडियो गुस्साई भीड़ के छत पर पहुंचने से पहले रिकॉर्ड किया गया.

सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स का दावा है कि अदनान ने भीड़ को लगभग 45 मिनट तक रोके रखा.

इमरान ख़ान ने किया सलाम

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने रविवार को अदनान के “नैतिक साहस और बहादुरी” को सलाम किया और कहा कि उन्होंने अपना जीवन दांव पर लगा कर प्रियांथा को बचाने की कोशिश की.

प्रधानमंत्री ने मलिक अदनान के लिए देश के चौथे सबसे बड़े बहादुरी पुरस्कार तमग़ा-ए-शुजात की घोषणा की.

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, “देश की ओर से मैं मलिक अदनान के नैतिक साहस और बहादुरी को सलाम करना चाहता हूं, जिन्होंने सियालकोट में गुस्साई भीड़ से प्रियांथा दियावदाना को बचाने की पूरी कोशिश की, उन्होंने पीड़ित को बचाने के लिए शारीरिक रूप से अपनी जान को ख़तरे में डाला. हम उन्हें तमग़ा-ए-शुजात पुरस्कार देंगे.”

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