May 19, 2024 : 11:33 AM
Breaking News
राष्ट्रीय

कोरोनाकाल में बदइंतजामी पर सुनवाई:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 2-3 कमरों में बने हॉस्पिटल इंसानों की जान की कीमत पर चल रहे, इन्हें बंद कर देना चाहिए

  • Hindi News
  • National
  • Supreme Court Said Close Such Hospitals, Which Are Running At The Cost Of Human Life

नई दिल्ली10 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

कोरोना महामारी के दौरान निजी अस्पतालों में हुई आगजनी की घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने सोमवार को एक सुनवाई के दौरान कहा है कि अस्पताल अब एक ऐसे बड़े उद्योग में बदल गए हैं जो कि इंसान की जान की कीमतों पर चल रहे हैं। इनमें मानवता खत्म हो गई है। तीन-चार कमरों में चलने वाले ऐसे अस्पतालों को बंद कर देना चाहिए।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ एवं जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि ‘अस्पताल अब एक बड़े उद्योग में बदल गए हैं जो लोगों के दुख-दर्द पर चल रहे हैं। हम इन्हें इंसानी जान की कीमत पर समृद्ध होने की अनुमति नहीं दे सकते। ऐसे अस्पताल बंद किए जाएं और सरकार को स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने दिया जाए।’

कोर्ट ने ये बातें देश भर में कोरोना मरीजों के उचित इलाज, बाॅडी के रखरखाव और अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं से जुड़ी घटनाओं पर खुद एक सुनवाई के दौरान कही।

महाराष्ट्र के नासिक में पिछले साल हुए एक हादसे में कुछ नर्स व मरीजों के मारे जाने की घटना का हवाला देते हुए पीठ ने कहा, ‘बेहतर होगा कि आवासीय कॉलोनियों के दो-तीन कमरों में संचालित नर्सिंग होम या अस्पतालों को बंद कर दिया जाए। सरकार बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराए। यह एक मानवीय त्रासदी है।’

गुजरात सरकार को लगाई फटकार
कोर्ट ने फायर सेफ्टी के लिए जरूरी नियमों के पालन से जुड़ा एक आदेश नहीं मानने पर गुजरात सरकार को भी फटकार लगाई। गुजरात सरकार ने 8 जुलाई को एक अधिसूचना जारी की है जिसमें अस्पतालों को अपनी इमारतों में सुधार करने के लिए जून 2022 तक का अतिरिक्त समय दिया गया है।

इस पर पीठ ने कहा कि आप कहते हैं कि अस्पतालों को 2022 तक नियम मानने की जरूरत नहीं है। क्या लोग मरते और जलते रहेंगे। गुजरात सरकार ने कोर्ट के सेफ्टी निर्देशों को दरकिनार करते हुए 8 जुलाई को अधिसूचना जारी की और इसकी मियाद जून 2022 तक के लिए बढ़ा दी। कोर्ट ने इसे अवमानना बताया।

इसके साथ ही पीठ ने गुजरात सरकार से दिसंबर 2020 के आदेश के अनुसार किए गए ऑडिट के साथ विस्तृत बयान रिकॉर्ड पर पेश करने को कहा है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद करेगा।

रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में, कोर्ट ने पूछा- क्या ये न्यूक्लियर सीक्रेट है
अस्पतालों में फायर सेफ्टी से जुड़ी एक रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दिए जाने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘ये रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में क्यों है? क्या ये कोई न्यूक्लियर सीक्रेट है।’

कोर्ट ने 18 दिसंबर को ये आदेश दिए थे
कोर्ट ने 9 दिसंबर को केंद्र सरकार से कहा था कि वे राज्यों से अस्पतालों में किए गए फायर सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट लेकर अदालत में पेश करें। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को आदेश दिया था कि राज्य सरकार को प्रत्येक कोविड अस्पताल का महीने में कम से कम एक बार फायर ऑडिट करने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए और अस्पताल के प्रबंधन को कमी की सूचना देनी चाहिए। जिन अस्पतालों को दमकल विभाग की ओर से एनओसी नहीं मिली है, उनके खिलाफ कार्रवाई करने का भी कोर्ट ने निर्देश दिया था।

खबरें और भी हैं…

Related posts

रात्रि कर्फ्यू को किया सख्त, वाहनों को जब्त करने का अभियान शुरू

News Blast

पड़ोसी युवक पर महिला ने लगाया अश्लील हरकत का आरोप, मुकदमा दर्ज

News Blast

ईडी की कार्रवाई:गुड़गांव के सबसे बड़े एंबियंस मॉल का मालिक 200 करोड़ रुपए की बैंक धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार

News Blast

टिप्पणी दें