2 घंटे पहलेलेखक: माल्विका कौर मकोल
- कॉपी लिंक
इस अध्ययन में देश के 10 राज्यों की 15 हजार से ज्यादा महिलाओं और 2300 पुरुषों को शामिल किया गया।
कंसल्टिंग फर्म डालबर्ग के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत के कम आय वाले परिवारों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक नौकरियां गंवाई हैं। उन्होंने भोजन के साथ-साथ आराम में कटौती की और ऐसे काम अधिक किए जिनका उन्हें वेतन भी नहीं मिला। इस अध्ययन में देश के 10 राज्यों की 15 हजार से ज्यादा महिलाओं और 2300 पुरुषों को शामिल किया गया।
अध्ययन में पाया गया कि पिछले साल कोविड-19 महामारी की पहली लहर के बाद उन्हें वापस नौकरियां पाने में ज्यादा समय लगा। महामारी के पहले जहां 24% महिलाएं काम करती थीं, वहीं 28% ऐसी थीं जिन्हें अपनी नौकरियां गंवाई। इनके अलावा 43% ऐसी थीं जिन्हें अपने काम का वेतन नहीं मिला। वहीं ऐसे पुरुषों की संख्या 43% थी।
यह रिपोर्ट पिछले साल मार्च से अक्टूबर तक के बीच की है। इसमें बताया गया कि 10 में से एक महिला ने भोजन उपलब्धता कम होने के चलते खाना भी कम खाया, वहीं 16% महिलाओं को सेनेटरी पैड भी नहीं मिल पाया। 33% महिलाओं ने बताया कि उन्हें गर्भनिरोधक गोलियां भी नहीं मिल सकीं।
भारत में पिछले कुछ महीनों में कोविड की दूसरी और ज्यादा विनाशकारी लहर का सामना किया है जिसके चलते उसने दुनिया में सबसे तेजी से कोविड के प्रकोप को झेला। इसकी वजह से अस्पतालों में मरीज बढ़े और श्मशान घाटों में शव।
डालबर्ग का अध्ययन दर्शाता है कि भारत में सबसे बुरी तरह से प्रभावित होने से चलते महामारी के दौरान महिलाओं ने कैसे विपरीत परिस्थतियों का सामना किया। डालबर्ग की इस रिपोर्ट की लेखिका श्वेता तोतापल्ली कहती हैं, ‘हमें जो जानकारियां मिल रही हैं उससे यह पता चलता है कि दूसरी लहर ने उन प्रभावों को बढ़ा दिया, जो हम पहली लहर में देख रहे थे।