May 18, 2024 : 6:58 PM
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ब्लैक फंगस का बढ़ता खतरा: अनियंत्रित डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों में कोरोना से रिकवरी के बाद ब्लैक फंगस का खतरा अधिक; जानिए किन लोगों को इसका खतरा ज्यादा है

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Hindi NewsHappylifeBlack Fungus Infection; Who Is Most At Risk To The Mucormycosis Disease? All You Need To Know

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18 घंटे पहले

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कोरोना से रिकवरी के बाद अनियंत्रित डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है। ऐसे मरीजों को अलर्ट रहने की जरूरत है। यह बात संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस की ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में यहां के डायरेक्टर प्रो. आरके धीमान ने कही। प्रो. धीमान के मुताबिक, ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस ऐसे मरीजों में देखा जा रहा है जिनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम है। डायबिटीज कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं तो इस बीमारी का खतरा ज्यादा है।

प्रो. धीमान कहते हैं, ब्लैक फंगस के कण हवा और मिट्टी में रहते हैं। सांस के जरिए प्रदूषित हवा से ये शरीर में पहुंचते हैं। कोरोना के मरीज जिन्हें स्टीरॉयड दिया जा रहा है वो इसके हाई रिस्क में हैं। इसका इलाज माइक्रोबायालॉजिस्ट, ENT स्पेशलिस्ट, ऑप्थैलेमोलॉजिस्ट और डायबिटोलॉजिस्ट की मदद से किया जाता है।

क्या है ब्लैक फंगसयह एक फंगल डिजीज है। जो म्यूकरमायोसिस नाम के फंगस से होता है। ये ज्यादातर उन लोगों को होता है, जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो या वो ऐसी मेडिसिन ले रहे हों जो इम्यूनिटी को कम करती हो या शरीर के दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करती हों।

ये शरीर में कैसे पहुंचता है?वातावरण में मौजूद ज्यादातर फंगस सांस के जरिए हमारे शरीर में पहुंचते हैं। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है या शरीर कहीं जल गया है तो वहां से भी ये इंफेक्शन शरीर में फैल सकता है। अगर शुरुआती दौर में ही इसका पता नहीं लगाया गया तो आंखों की रोशनी जा सकती है या फिर शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैले हैं, वो हिस्सा सड़ सकता है।

ब्लैक फंगस कहां पाया जाता है?ये फंगस वातावरण में कहीं भी रह सकता है, खासतौर पर जमीन और सड़ने वाले ऑर्गेनिक मैटर्स में। जैसे पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कम्पोस्ट खाद में यह पाया जाता है।

इसके लक्षण क्या हैं?शरीर के जिस हिस्से में इंफेक्शन है, उस पर इस बीमारी के लक्षण निर्भर करते हैं। चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन होना, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव होना, जो बहुत ही तेजी से गंभीर हो जाते हैं। .

ये इंफेक्शन किन लोगों को होता है?ये उन लोगों को होता है जो डायबिटिक हैं, जिन्हें कैंसर है, जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो, जो लंबे समय से स्टेरॉयड यूज कर रहे हों, जिन्हें कोई स्किन इंजरी हो, प्रिमेच्योर बेबी को भी ये हो सकता है। जिन लोगों को कोरोना हो रहा है, उनका भी इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। अगर किसी हाई डायबिटिक मरीज को कोरोना हो जाता है तो उसका इम्यून सिस्टम और ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन फैलने की आशंका और ज्यादा हो जाती है।

ये फंगस कितना खतरनाक है?ये फंगस एक से दूसरे मरीज में नहीं फैलता है, लेकिन ये कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके 54% मरीजों की मौत हो जाती है। यह फंगस जिस एरिया में डेवलप होता है, उसे खत्म कर देता है। समय पर इलाज होने पर इससे बच सकते हैं।

इससे कैसे बचें?कंस्ट्रक्शन साइट व डस्ट वाले एरिया में न जाएं, गार्डनिंग या खेती करते वक्त फुल स्लीव्स से ग्लब्ज पहने, मास्क पहने, उन जगहों पर जाने से बचें, जहां पानी का लीकेज हो, जहां ड्रेनेज का पानी इकट्ठा हो। जिन्हें कोरोना हो चुका है, उन्हें पॉजिटिव अप्रोच रखना चाहिए। कोरोना ठीक होने के बाद भी रेगुलर चैकअप कराते रहें। यदि फंगस के कोई भी लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इससे ये फंगस शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ जाएगा और इसका समय पर इलाज हो सकेगा।

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