May 21, 2024 : 4:00 AM
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357th year of Rangbhari Ekadashi, four-day festival will begin with Geet Gavana at Mahanta Awas | रंगभरी एकादशी का 357वां वर्ष, आज महंत आवास पर गीत गवना से चार दिवसीय उत्सव की होगी शुरुआत

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वाराणसीएक घंटा पहले

कॉपी लिंकबाबा विश्वनाथ की पालकी की सजावट करते कारीगर।  - Dainik Bhaskar

बाबा विश्वनाथ की पालकी की सजावट करते कारीगर। 

रंगभरी एकादशी के भव्य आयोजन 24 मार्च को होगाआज से शुरू हो जाएंगे गौरा के गौना का लोकाचार

महाशिवरात्रि पर महादेव और महामाया के विवाह के बाद रंगभरी एकादशी पर भगवान शंकर, माता पार्वती का गवना कराते हैं। इस उपलक्ष्य में टेढ़ीनीम स्थित महंत कुलपति तिवारी का आवास 21 मार्च से 24 मार्च तक के लिए गौरा के मायके में तब्दील हो जाएगा। इस वर्ष रंगभरी एकादशी उत्सव का 357वां वर्ष है। 24 मार्च को गवना की रस्म से पहले लोकाचार की शुरुआत 21 मार्च से टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर शुरू होगी। 21 मार्च को गीत गवना, 22 मार्च को गौरा का तेल-हल्दी होगा। 23 मार्च को बाबा का ससुराल आगमन होगा।

बाबा को रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा

अन्नपूर्णा एवं मंगला गौरी मंदिर से आएगा गौरा का सिंदूर 24 मार्च को मुख्य अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होगी। भोर में चार बजे 11 ब्राह्मण द्वारा बाबा का रुद्राभिषेक होगा। गौरा की मांग में सजाने के लिए सिंदूर लाने की रस्म महंत परिवार की महिलाएंं पूरी करेंगी। गौरा के लिए अन्नपूर्णा मंदिर और मंगला गौरी मंदिर में प्रतिष्ठित विग्रहों से सिंदूर लाया जाएगा।

बाबा के कपड़ा सिलते किशनलाल साथ में छात्रा नम्रता टंडन ने माता के कपड़े पर हाथ से कढ़ाई करती हुई।

बाबा के कपड़ा सिलते किशनलाल साथ में छात्रा नम्रता टंडन ने माता के कपड़े पर हाथ से कढ़ाई करती हुई।

तैयार हैं गौरा शंकर के शाही परिधान

बाबा के लिए खादी के शाही वस्त्र बनकर तैयार हैं। बाबा के परिधानों की सिलाई टेलर मास्टर किशनलाल ने की है। विगत दो दशक से वही बाबा के परिधान सिल रहे हैं। इस बार परिधान निर्माण में उनकी शिष्या नम्रता टंडन ने सहयोग करते हुए माता के परिधान पर हाथों से कढ़ाई की है। बाबा की पगड़ी केशवदास मुकुंदलाल गोटावाले नारियल बाजार चौक की ओर से सजाई जाती है।

बाबा की पगड़ी की सजावट करते नंदलाल अरोड़ा।

बाबा की पगड़ी की सजावट करते नंदलाल अरोड़ा।

पगड़ी को आकार मोहम्मद गयासुद्दीन देते हैं

फर्म के संचालक नंदलाल अरोड़ा कहते है जो पगड़ी बाबा धारण करते हैं वह हमारे पूर्वजों के समय से बनती आ रही है। इसकी साज सज्जा, कलगी पर जरी की बूटी, नगीना हम अपने हाथ से सजाते हैं। नंदलाल अरोड़ा ने बताया लल्लापुरा के कारीगर गयासुद्दीन का परिवार कई पीढ़ियों से बाबा के पगड़ी को आकार देते आ रहे हैं। जो एक मिसाल हैं।

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