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वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण महाराष्ट्र में सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ जमा होने पर रोक है और शहरी इलाके में नाइट कर्फ्यू भी लगाया गया है। लेकिन, इसी बीच पुणे में एल्गार सांस्कृतिक परिषद आयोजित करने की तैयारियां भी शुरू की गई हैं। ब्राह्मण महासंघ ने इसका विरोध करते हुए चेतावनी दी है कि एल्गार परिषद के आयोजन की अनुमति सोच-समझकर दी जाए। इससे एक बार फिर महाराष्ट्र में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद में शामिल होने के लिए देशभर के कई संगठनों के लोग यहां पहुंचते हैं। इस बार यह परिषद पुणे में गणेश क्रीड़ा कला केंद्र में आयोजित की जाएगी। पुणे के स्वारगेट पुलिस थाने में अनुमति के लिए आवेदन किया गया है। इसको लेकर पुणे के जिलाधिकारी राजेंद्र देशमख और पुणे जिला (ग्रामीण) पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिनव देशमुख ने समीक्षा बैठक भी की है। लेकिन अभी तक अनुमति नहीं दी गई है।
पूर्व न्यायाधीश बीजी कोलसे पाटिल ने कहा कि यदि राज्य सरकार हमें एल्गार परिषद के लिए मंजूरी नहीं देती है तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। हमें जेल, कोर्ट या मौत का भय नहीं है। हमारे ऊपर अर्बन नक्सल होने का भी आरोप लगाया गया। उसके बाद हमारे समाज के बुद्धिजीवी लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया। इसके बावजूद हर हाल में एल्गार परिषद का आयोजन होगा। वहीं, महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री शंभूराज देसाई ने कहा कि राज्य में कोरोना का संकट है। ऐसे में इस आयोजन को इजाजत देनी है या नहीं इस पर राज्य सरकार उचित निर्णय लेगी।
एक जनवरी को दलित समुदाय मनाता है शौर्य दिवस
हर साल एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय बड़ी संख्या में जुटकर शौर्य दिवस मनाते हैं। वे उन दलितों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने 1818 में पेशवा की सेना के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राण गंवाये थे। तीन साल पहले 1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत जश्न मनाया जा रहा था, तब हिंसा भड़क उठी जिसमें एक शख्स की जान गई और उस दौरान कई वाहन भी फूंके गए थे।
सार
ब्राह्मण महासंघ ने इसका विरोध करते हुए चेतावनी दी है कि एल्गार परिषद के आयोजन की अनुमति सोच-समझकर दी जाए। इससे एक बार फिर महाराष्ट्र में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है…
विस्तार
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण महाराष्ट्र में सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ जमा होने पर रोक है और शहरी इलाके में नाइट कर्फ्यू भी लगाया गया है। लेकिन, इसी बीच पुणे में एल्गार सांस्कृतिक परिषद आयोजित करने की तैयारियां भी शुरू की गई हैं। ब्राह्मण महासंघ ने इसका विरोध करते हुए चेतावनी दी है कि एल्गार परिषद के आयोजन की अनुमति सोच-समझकर दी जाए। इससे एक बार फिर महाराष्ट्र में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद में शामिल होने के लिए देशभर के कई संगठनों के लोग यहां पहुंचते हैं। इस बार यह परिषद पुणे में गणेश क्रीड़ा कला केंद्र में आयोजित की जाएगी। पुणे के स्वारगेट पुलिस थाने में अनुमति के लिए आवेदन किया गया है। इसको लेकर पुणे के जिलाधिकारी राजेंद्र देशमख और पुणे जिला (ग्रामीण) पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिनव देशमुख ने समीक्षा बैठक भी की है। लेकिन अभी तक अनुमति नहीं दी गई है।
पूर्व न्यायाधीश बीजी कोलसे पाटिल ने कहा कि यदि राज्य सरकार हमें एल्गार परिषद के लिए मंजूरी नहीं देती है तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। हमें जेल, कोर्ट या मौत का भय नहीं है। हमारे ऊपर अर्बन नक्सल होने का भी आरोप लगाया गया। उसके बाद हमारे समाज के बुद्धिजीवी लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया। इसके बावजूद हर हाल में एल्गार परिषद का आयोजन होगा। वहीं, महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री शंभूराज देसाई ने कहा कि राज्य में कोरोना का संकट है। ऐसे में इस आयोजन को इजाजत देनी है या नहीं इस पर राज्य सरकार उचित निर्णय लेगी।
एक जनवरी को दलित समुदाय मनाता है शौर्य दिवस
हर साल एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय बड़ी संख्या में जुटकर शौर्य दिवस मनाते हैं। वे उन दलितों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने 1818 में पेशवा की सेना के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राण गंवाये थे। तीन साल पहले 1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत जश्न मनाया जा रहा था, तब हिंसा भड़क उठी जिसमें एक शख्स की जान गई और उस दौरान कई वाहन भी फूंके गए थे।
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