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- Not Brushing Your Teeth Increases Chance Of Developing Mouth And Stomach Cancer, 20 Year Study Finds Harvard T.H. Chan School Of Public Health
एक महीने पहले
- हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने रिसर्च में किया दावा, जिन्होंने दांत गंवाएं उनमें भी कैंसर का खतरा ज्यादा
- पिछले दो दशक में महिलाओं में ईसोफेगल और गैस्ट्रिक कैंसर के 98,459 मामले और पुरुषों में 49,685 मामले सामने आए
मुंह और पेट के कैंसर से बचना चाहते हैं तो रोजाना ब्रश करें। मसूढ़ों से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं तो कैंसर होने का खतरा 52 फीसदी तक है। यह दावा हार्वर्ड टीएल चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने किया है। ये नतीजे लगातार 20 सालों तक हुई रिसर्च के बाद आए हैं।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कैंसर के दो गुना मामले
शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऐसे लोग जिनमें मसूढ़ों की बीमारी की हिस्ट्री रही है उनमें ईसोफेगल और गैस्ट्रिक कैंसर होने का खतरा भी 52 फीसदी अधिक रहता है। रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि जिन लोगों के दांत गिर चुके हैं वो हाई रिस्क जोन में हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, पिछले दो दशक में महिलाओं में ईसोफेगल और गैस्ट्रिक कैंसर के 98,459 मामले और पुरुषों में 49,685 मामले सामने आए हैं।
28 साल तक कैंसर और ओरल प्राब्लम्स पर नजर रखी गई
शोधकर्ताओं ने 22 से 28 साल तक ईसोफेगल कैंसर के 199 और गैस्ट्रिक कैंसर के 238 मामलों में देखा गया। रिपोर्ट में सामने आया कि मसूढ़ों की बीमारी रहने पर 43 फीसदी इसोफेगल कैंसर और 52 फीसदी गैस्ट्रिक कैंसर का खतरा रहता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि जिन लोगों ने अपने एक या दो दांत खो दिए थे उनमें इसोफेगल कैंसर का खतरा 42 फीसदी और गैस्ट्रिक कैंसर का खतरा 33 फीसदी तक था।
कारण- बैक्टीरिया, ओरल हायजीन और मसूढ़ों की बीमारी
शोधकर्ताओं के मुातबिक, इसकी वजह मुंह में पाया जाने वाले टेनेरेला फॉसेथिया और पॉरफायरोमोनाज जिंजिवेलिस बैक्टीरिया हो सकता है। अन्य कारण दांतों की सफाई न होना और मसूढ़ों की बीमारी है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पिछले साल एक रिसर्च में दावा किया था कि मसूढ़ों की समस्या होने पर भविष्य में अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ सकता है।
मसूढ़ों में ब्लीडिंग वाले बैक्टीरिया की खोज हुई थी
अमेरिकी कम्पनी कोरटेक्सायम ने अपनी रिसर्च ने ऐसे बैक्टीरिया की खोज की थी जो मसूढ़ों में ब्लीडिंग का कारण बनता है। यह मुंह से होते हुए दिमाग तक पहुंच सकता है। यही बैक्टीरिया अल्जाइमर के 53 में 51 मरीजों के दिमाग में पाया गया था।