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एक-दूसरे को मारने लगे भूखे ध्रुवीय भालू सिर्फ किताबों और किस्सों में बचेंगे, 2040 तक इनकी प्रजनन क्षमता खत्म होने लगेगी

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  • Climate Change On Track To Wipe Out Polar Bears By 2100 Most Polar Bears To Disappear By 2100 Study Predicts 

एक महीने पहले

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जीवाश्म ईंधन की खोज के लिए कंपनियों तेजी से धुव्रीय क्षेत्रों का रुख कर रही हैं। इससे ध्रुवीय भालुओं का आवास क्षेत्र सिकुड़ रहा है।

  • नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में किया गया दावा, इनके विलुप्त होने की वजह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन
  • दुनियाभर में पहले से ही भोजन की कमी से जूझने के कारण ये नरभक्षी बन रहे हैं और मादा पोलर बियर को मारकर खा रहे हैं

अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रहा तो इस सदी के अंत तक अधिकतर ध्रुवीय भालू (पोलर बियर) विलुप्त हो जाएंगे। यह दावा नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में किया गया है। 2100 तक कुछ ही पोलर बियर कनाडा के क्वीन एलिजाबेथ द्वीपसमूह में बचेंगे। शोध के मुताबिक, 2040 की शुरुआत में कई पोलर बियर की प्रजनन क्षमता खत्म होने लगेगी। इसके बाद इनके लुप्त होने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

शोधकर्ताओं ने पोलर बियर की 19 में से उन 13 प्रजातियों का अध्ययन किया है।

शोधकर्ताओं ने पोलर बियर की 19 में से उन 13 प्रजातियों का अध्ययन किया है।

19 में से 13 प्रजातियों पर अध्ययन किया
रिसर्च के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पोलर बियर की 19 में से उन 13 प्रजातियों का अध्ययन किया है, जिनकी दुनियाभर में जनसंख्या का 80 फीसदी तक है। रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने कनाडाई आर्कटिक इलाके के द्वीप समूहों के पोलर बियर्स को छोड़ दिया है। इसकी वजह यह है कि यहां के भौगोलिक इलाके में इनका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है।

हाल ही में भूख से तड़पते और कंकाल जैसे दिखते पोलर बियर की तस्वीरें वायरल हुई थीं

हाल ही में भूख से तड़पते और कंकाल जैसे दिखते पोलर बियर की तस्वीरें वायरल हुई थीं

दुनियाभर में 19 प्रजातियां के 26,000 पोलर बियर्स
दुनियाभर में इनकी 19 प्रजातियां के 26,000 पोलर बियर्स हैं। ये नार्वे से लेकर कनाडा और साइबेरिया में तक पाए जाते हैं। पोलर बियर्स भोजन के लिए मछलियों पर निर्भर रहते हैं। ये बर्फ के गड्ढे में मिलने वाली मछलियों को पकड़कर खाते हैं। कई बार इन्हें भोजन खोजने में कई दिन लग जाते हैं। हाल ही में भूख से तड़पते और कंकाल जैसे दिखते पोलर बियर की तस्वीरें वायरल हुई थीं। 

शोधकर्ताओं का दावा है कि जैसा हमने अंदाज लगाया था, इनके प्रजनन में होने वाली गिरावट वैसी ही है।

शोधकर्ताओं का दावा है कि जैसा हमने अंदाज लगाया था, इनके प्रजनन में होने वाली गिरावट वैसी ही है।

इसलिए घट रही इनकी जनसंख्या
जैसे-जैसे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है ग्लेशियरों की बर्फ पिघलती जा रही है। इनकी घटती संख्या के पीछे यह सबसे बड़ा कारण है। शोधकर्ताओं का दावा है कि जैसा हमने अंदाज लगाया था, इनके प्रजनन में होने वाली गिरावट वैसी ही है। एक वक्त ऐसा आएगा जब इन्हें लम्बे समय तक भोजन नहीं मिल पाएगा और ये प्रजनन के लायक नहीं बचेंगे।

ऐसी स्थिति लगातार रही तो इनका शरीर कमजोर हो जाएगा और यह प्रजनन करने लायक नहीं बचेंगे।

ऐसी स्थिति लगातार रही तो इनका शरीर कमजोर हो जाएगा और यह प्रजनन करने लायक नहीं बचेंगे।

ग्रीनहाउस गैस पर लगाम लगना जरूरी
अगर ग्रीनहाउस गैसों पर लगाम नहीं लगाई तो 2080 तक अलास्का और रूस के सारे भालू खत्म होने शुरू हो जाएंगे। 2100 तक पूरी दुनिया में इनकी आबादी खत्म हो सकती है। ये लम्बे समय तक भूखे जिंदा रह तो सकते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति लगातार रही तो इनका शरीर कमजोर हो जाएगा और प्रजनन करने लायक नहीं बचेंगे।

रूसी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है कि पोलर बियर नरभक्षी हो रहे हैं।

रूसी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है कि पोलर बियर नरभक्षी हो रहे हैं।

नरभक्षी हो रहे हैं पोलर बियर
जलवायु परिवर्तन और मानवीय दखल ध्रुवीय भालुओं के व्यवहार में भी बदलाव ला रहा है। रूसी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है, ये भालू नरभक्षी हो रहे हैं। वे भोजन की तलाश में लंबी-लंबी दूरी तय मनुष्यों के संपर्क में आ रहे हैं। इतना ही नहीं घटते भोजन स्रोतों के चलते वे एक-दूसरे को मार भी रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा निशाना बच्चों वाली मादाओं को बनाया जा रहा है। 

भालुओं में खाने की कमी से आपसी लड़ाई भी बढ़ी है, जो दोनों में से किसी एक की जान ले लेती है।

भालुओं में खाने की कमी से आपसी लड़ाई भी बढ़ी है, जो दोनों में से किसी एक की जान ले लेती है।

खाने की कमी से बढ़ रही लड़ाई

शोधकर्ता मॉर्डविंटसेव के मुताबिक, ध्रुवीय भालुओं के नरभक्षी होने के मामले काफी लंबे समय से ज्ञात हैं, लेकिन हमें चिंता है कि ऐसे मामले बहुत कम होने चाहिए, जबकि अब अक्सर मामले रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। इसके अलावा भालुओं में खाने की कमी से आपसी लड़ाई भी बढ़ी है, जो दोनों में से किसी एक की जान ले लेती हैं। आकार और ताकत में बड़े भालू अक्सर बच्चों वाली मादाओं को निशाना बना रहे हैं। बड़े भालुओं का बच्चों को मार कर खाना दूसरे शिकार को करने से ज्यादा आसान है।

जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक में बर्फ 40% तक पिघल गई है। इससे ध्रुवीय भालुओं के भोजन स्रोत तेजी से घटे हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक में बर्फ 40% तक पिघल गई है। इससे ध्रुवीय भालुओं के भोजन स्रोत तेजी से घटे हैं।

आर्कटिक में 25 साल में 40% बर्फ पिघली

पिछले 25 सालों के दौरान हुए जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक में बर्फ 40% तक पिघल गई है। इससे ध्रुवीय भालुओं के भोजन स्रोत तेजी से घटे हैं। भालू बर्फ के नीचे पानी में तैरती सील मछली का शिकार में करते हैं। मॉर्डविंटसेव ने बताया, इस बार की सर्दियों में भालुओं को रूस स्थित ओबी की खाड़ी से लेकर बेरेंट्स सागर तक शिकार करते देखा गया। यह मार्ग एलएनजी (लिक्वफीड नेचुरल गैस) प्लांट से गैस लाने वाले समुद्री जहाजों का व्यस्त रूट है। 

खाना छिपाने का यह व्यवहार भूरे भालुओं में पाया जाता है, जो 5 लाख साल पहले पोलर बियर से विकसित होकर अस्तित्व में आए थे।

खाना छिपाने का यह व्यवहार भूरे भालुओं में पाया जाता है, जो 5 लाख साल पहले पोलर बियर से विकसित होकर अस्तित्व में आए थे।

खाना जमा करने लगे धुव्रीय भालू

इसी साल फरवरी में प्रकाशित हुए एक अन्य शोध में पाया गया, भालू अपने जैसे बड़े शिकार के शवों को बर्फ और मिट्‌टी के नीचे दबा रहे हैं, ताकि बाद में जरूरत पड़ने उसे निकालकर खाया जा सके। वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को कैशिंग कहा है। खाना छिपाने का यह व्यवहार भूरे भालुओं में पाया जाता है, जो 5 लाख साल पहले पोलर बियर से विकसित होकर अस्तित्व में आए थे। 

जलवायु परिवर्तन से तापमान बढ़ रहा है। इससे बर्फ पिघल रही है, जिससे भालुओं के लिए नई चुनौतियां खड़ी हैं।

जलवायु परिवर्तन से तापमान बढ़ रहा है। इससे बर्फ पिघल रही है, जिससे भालुओं के लिए नई चुनौतियां खड़ी हैं।

एक चुनौती ये भी

जीवाश्म ईंधन की खोज के लिए कंपनियों तेजी से धुव्रीय क्षेत्रों का रुख कर रही हैं। इससे ध्रुवीय भालुओं का आवास क्षेत्र सिकुड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से तापमान बढ़ रहा है। इससे बर्फ पिघल रही है, जिससे भालुओं के लिए नई चुनौतियां खड़ी हैं। 

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