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गांव में नेटवर्क नहीं होने से पढ़ाई में हो रही थी दिक्कत,पहाड़ पर नेटवर्क मिला तो स्वप्नाली ने वहीं झोपड़ी बनाकर शुरू की ऑनलाइन क्लास

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  • Meet Swapnali Of Sindhugarh, Who Built A Hut At Hill Top To Continuesher Study, Becomes Inspiration For Other Children

19 घंटे पहले

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  • पढ़ाई जारी रखने की जिद में स्वप्नाली ने दिनभर पेड़ के नीचे खड़ी रहकर भरी धूप में भी की पढ़ाई
  • पूरे गांव में अपना मोबाइल फोन लेकर एक जगह से दूसरी जगह तक घूम-घूमकर की नेटवर्क की तलाश

मौजूदा दौर में एक तरफ जहां कोरोना की वजह से स्कूल-कॉलेज बंद है, तो वहीं दूसरी ओर पढ़ाई को लेकर स्टूडेंट्स,पैरेंट्स और टीचर्स सभी अपने-अपने स्तर पर कोशिशें कर रहे हैं। ऐसी ही कोशिश इन दिनों सिंधुदुर्ग की एक छात्रा कर रही है, जो फिलहाल लॉकडाउन में घर पर फंस गई हैं। राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण ऑनलाइन क्लासेज की शुरुआत कर दी है। लेकिन घर पर और गांव में इंटरनेट की सुविधा न मिलने के कारण छात्रा ने घर से दूर पहाड़ पर झोपड़ी बना कर पढ़ाई शुरू कर दी।

लॉकडाउन से पहले आई थी

स्वप्नाली सुतार नामक यह छात्रा इन दिनों गांव में अन्य छात्रों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। कोंकण के कनकवली तहसील के दारिस्ते गांव में रहने वाली यह छात्रा मुंबई में पशु चिकित्सक की पढ़ाई कर रही है। 8 दिन पहले अपने गांव आई स्वप्नाली लॉकडाउन के बाद यहीं फंस गई। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने पर स्वप्नाली को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। गांव में फोन का नेटवर्क भी नहीं आता है,तो इंटरनेट की बात तो काफी दूर की है। परेशान होकर स्वप्नाली पूरे गांव में अपना मोबाइल फोन लेकर एक जगह से दूसरी जगह तक नेटवर्क की तलाश की और नेटवर्क मिला तो घर से 2 किलोमीटर दूर पहाड़ पर।

भरी धूप में पेड़ के नीचे की पढ़ाई

बस फिर क्या था पढ़ाई जारी रखने की जिद लिए स्वप्नाली दिनभर पेड़ के नीचे खड़ी रहकर भरी धूप में पढ़ाई करती थी। लेकिन बारिश की वजह से वह पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। तमाम परेशानियों और जंगली जानवरों के डर के बावजूद भी उनका पहाड़ी पर पढ़ाई अभियान शुरू है। बारिश से बचने के लिए उन्होंने पहाड़ पर एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रोज वहां पढ़ाई करती हैं।

डॉक्टर बनने का था सपना

पढ़ाई में होशियार स्वप्नाली को 10वीं में 98% अंक प्राप्त हुए थे। जिसके बाद 12वीं में फर्स्ट लाकर स्वप्नाली ने डॉक्टर बनने का सपना देखना शुरू किया। लेकिन, स्वप्नाली की गरीबी ने यह सपना पूरा नहीं होने दिया। इसलिए उन्होंने पशु वैद्यकीय अधिकारी बनने का निश्चय किया। किसान मां-बाप भी बेटी का सपना पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पढ़ाई के लिए बेटी की इस जिद पर माता-पिता को भी गर्व है।

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