May 17, 2024 : 7:29 AM
Breaking News
राष्ट्रीय

नेपाल के पीएमओ लेकर आर्मी हेडक्वार्टर तक होउ यांगकी की पहुंच, भारत-नेपाल सीमा विवाद के पीछे भी इनका ही अहम रोल

  • नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, टूरिज्म मिनिस्टर योगेश भट्टराई और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ से यांगकी के अच्छे संबंध
  • कोविड-19 से निपटने के लिए होउ ने ही चीन और नेपाल के राष्ट्रपति की फोन पर बात कराई थी

दैनिक भास्कर

Jul 06, 2020, 07:33 PM IST

काठमांडू. चाइनीज डिप्लोमैट होउ यांगकी को नेपाल में सबसे पावरफुल विदेशी डिप्लोमैट माना जा रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री के दफ्तर से लेकर आर्मी हेडक्वार्टर तक उनकी सीधी पहुंच है। नेपाल के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ पूर्णचंद्र थापा उनके करीबी माने जाते हैं। 13 मई को चीन की एम्बेसी में एक डिनर हुआ था। इसमें थापा चीफ गेस्ट थे। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, टूरिज्म मिनिस्टर योगेश भट्टराई भी यांगकी भी उनसे मिलत रहे हैं। कोविड-19 से निपटने के लिए चीन ने जो कन्साइमेंट नेपाल को सौंपा था। उसे जनरल थापा ने ही रिसीव किया था।

भारत-नेपाल सीमा विवाद में भी यांगकी की भूमिका
नेपाल के नए नक्शे और भारत-नेपाल सीमा विवाद में भी यांगकी की भूमिका अहम मानी जा रही है। नक्शा विवाद के अलावा अब यांगकी ओली सरकार की मुसीबतें कम करने में लगी हुईं हैं। शुक्रवार को उन्होंने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की थी। भंडारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की नेता रह चुकी हैं। रविवार को यांगकी पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल से मिलने उनके घर पहुंचीं थीं। 

नेपाल और चीन के लिए बिचौलिए का काम कर रहीं यांगकी
अप्रैल के शुरुआत में जब नेपाल में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे, तब चाइनीज डिप्लोमैट ने ही टेलीफोन पर नेपाल की राष्ट्रपति और चाइनीज प्रसीडेंट शी जिनिपंग की बात करवाई थी। यहीं नहीं 27 अप्रैल को चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर नेपाल की जनता को भरोसा दिलाया था कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए चीन हर कदम पर नेपाली नागरिकों की मदद करेगा।

भारतीय मीडिया के विरोध के बाद दी थी सफाई
पिछले हफ्ते जब भारतीय मीडिया ने होउ को नक्शा विवाद में शामिल होने का आरोप लगाते हुए खबरें की थीं, तो होउ ने नेपाल के प्रमुख डायरीज द रायजिंग नेपाल और गोरखपत्र को 1 जुलाई को एक लंबा चौड़ा इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने कालापानी सीमा विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि कुछ मीडिया समूह लोगों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। कालापानी नेपाल और भारत के बीच का मुद्दा है। उन्होंने इसमें चीनी दखल होने से साफ इनकार कर दिया था।

मई में बचाई थी ओली सरकार
मई के पहले हफ्ते में भी ओली की कुर्सी जाने वाली थी। तब भी होउ यांगकी एक्टिव हुईं थीं। उन्होंने ओली के मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात की थी। कई और नेताओं से भी मिलीं। किसी तरह ओली की सरकार तब बच गई थी। इस बार परेशानी ज्यादा है। इसकी वजह ये है कि स्टैंडिंग कमेटी के 40 में 30 मेंबर प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। 

Related posts

सोपोर हमला: गोलियों की बौछार के बीच 80 मीटर कोहनी के बल चला था पवन; माता-पिता बोले- गर्व से ऊंचा हो गया सिर

News Blast

15 दिन पहले रोजाना करीब 1.25 लाख टेस्ट हो रहे थे, अब 1.50 लाख हो रहे; तमिलनाडु के 4 जिलों में 19 से 30 जून तक लॉकडाउन

News Blast

उधार शराब न देने पर उत्पात:युवकों ने ठेके पर चलाईं गोलियां, कर्मचारियों ने किसी तरह जान बचाई, लूटपाट कर फरार

News Blast

टिप्पणी दें