काेराेनाकाल में शुरू हुआ‘वर्क फ्राॅम हाेम’ का न्यू नाॅर्मल कर्मचारियाें के लिए चंद माह में ही परेशानी का सबब साबित हाेने लगा है। काम के तय घंटे न हाेना, लगातार वीडियाे मीटिंग औरलाॅकडाउन के चलते ‘बेहतर विकल्पों’ की कमी से कर्मचारी तनाव महसूस करने लगे हैं। उनकी पर्सनल औरऑफिसलाइफ में काेई अंतर नहीं रह गया है।
यही कारण है कि कर्मचारी ऑफिसके माहाैल में लाैटना चाहते हैं। अमेरिकी रियल एस्टेट फर्म जेएलएल के हाेम एक्सपीरियंस सर्वे में 82% लाेगों ने ऑफिसलाैटने की उत्सुकता दिखाई है। वे चाहते हैं कि उनकी दिनचर्याकाेविड-19 महामारी के पहले जैसी हाे जाए। सिर्फ18% लाेग ही ऐसे थे, जाे घर से काम करना चाहते थे।
सर्वे में दुनिया के 54% कर्मचारियोंने माना कि डिजिटल चर्चा में वह मजा नहीं, जाे ऑफिस में आमने-सामने होती है। वहीं 41% भारतीय कर्मचारियाें ने माना कि घर से काम करने में पेशेवर माहाैल नहीं मिलता है। ऑनलाइनवेब एप्लीकेशन कंपनी जाेहाे के सीईओश्रीधर वेंबु कहते हैं, ‘मेलजाेल न हाे पाना बड़ी समस्या है। आमने-सामने के विचार-विमर्श का स्थान काेई एप नहीं ले सकता।’
कहीं ‘नाे मीटिंग डे’ लागू, कोई कुर्सी-टेबल दे रही
कर्मचारियाें की नई समस्याओंकाे कई कंपनियाें ने समझा है। इसी के चलते गूगल ने 22 मई काे छुट्टी घाेषित की थी। वहीं गेमिंग यूनिकाॅर्न कंपनी ड्रीमस्पाेर्ट्स ने गुरुवार काे ‘नाे मीटिंग डे’ घाेषित किया है। इसने लंच ब्रेक भी 60 से बढ़ाकर 90 मिनट का कियाहै। वह रेड जाेन में रह रहे कर्मचारियाें को किराना पहुंचा रही है।
एक कंपनी कर्मचारियाें को सब्सिडी पर आरामदायकटेबल-कुर्सी उपलब्ध करवा रही है। बेंगलुरू के एचआरस्टार्टअप स्प्रिंगवर्क्स ने ऑफिसकी खाली चेयर कर्मचारियाें के घर भिजवादीं।
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