- बाबा रामदेव ने 2 दिन पहले कोरोनिल दवा लॉन्च की थी, सरकार ने पांच घंटे बाद विज्ञापन पर रोक लगा दी
- पंतजलि का दावा- दवा से सिर्फ 7 दिन में मरीज 100% ठीक हो जाएंगे, राजस्थान सरकार ने कहा था- हमें क्लीनिकल ट्रायल के बारे में जानकारी नहीं
दैनिक भास्कर
Jun 25, 2020, 12:44 PM IST
मुंबई.
बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल टैबलेट पर महाराष्ट्र सरकार ने भी प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पहले राजस्थान सरकार ने भी इस पर रोक लगाई थी। महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल के बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। ऐसे में महाराष्ट्र में दवा की बिक्री पर पाबंदी रहेगी। इससे पहले मंगलवार को डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा था कि जिसे विश्वास हो वही, इस दवा का सेवन करे।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को ट्विटर लिखा, ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जयपुर यह पता लगाएगा कि क्या पतंजलि के ‘कोरोनिल’ का क्लीनिकल ट्रायल किया गया था? हम बाबा रामदेव को चेतावनी देते हैं कि हमारी सरकार महाराष्ट्र में नकली दवाओं की बिक्री की अनुमति नहीं देगी।’
The National Institute of Medical Sciences, Jaipur will find out whether clinical trials of @PypAyurved‘s ‘Coronil’ were done at all. An abundant warning to @yogrishiramdev that Maharashtra won’t allow sale of spurious medicines. #MaharashtraGovtCares#NoPlayingWithLives
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) June 24, 2020
आयुष मंत्रालय ने भी विज्ञापन पर लगाई है रोक
पतंजलि आयुर्वेद की कोरोना दवा पर आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने बुधवार को कहा कि यह अच्छी बात है कि योग गुरु बाबा रामदेव ने देश को नई दवा दी है। नियम के अनुसार, दवा को पहले आयुष मंत्रालय में जांच के लिए देना होगा। दरअसल, रामदेव ने मंगलवार को कोरोना की दवा बनाने का दावा किया था। कोरोनिल और श्वसारि नाम की दवा लॉन्च करते हुए रामदेव ने कहा था कि इनसे सिर्फ 7 दिन में मरीज 100% ठीक हो जाएंगे। सरकार ने दवा की लॉन्चिंग के पांच घंटे बाद विज्ञापन पर रोक लगा दी।
सरकार ने कहा- नहीं हुई है दवा की वैज्ञानिक जांच
सरकार ने कहा कि दवा की वैज्ञानिक जांच नहीं हुई है। आयुष मंत्रालय ने दवा के लाइसेंस समेत दवा में इस्तेमाल सामग्री, दवा पर रिसर्च की जगहों, अस्पतालों, प्रोटोकॉल, सैंपल का आकार, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी क्लीयरेंस, क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्रेशन और ट्रायल के परिणाम का डेटा मांगा। पतंजलि ने मंगलवार देर शाम आयुष मंत्रालय को 11 पन्ने का जवाब भेज दिया। उधर, उत्तराखंड आयुर्वेद डिपार्टमेंट के लाइसेंस ऑफिसर ने बुधवार को कहा कि पतंजलि की एप्लीकेशन के अनुसार, हमने उन्हें लाइसेंस दिया था। इसमें उन्होंने कोरोनावायरस का का जिक्र नहीं किया। हमने उन्हें इम्युनिटी बूस्टर, खांसी और बुखार के लिए लाइसेंस की मंजूरी दी थी। हम उन्हें नोटिस जारी कर पूछेंगे कि उन्होंने कोविड-19 की किट के लिए मंजूरी कहां से ली है।
रामदेव ने ट्वीट कर जवाब दिया
आयुर्वेद का विरोध एवं नफरत करने वालों के लिए घोर निराशा की खबर… https://t.co/IYWphkgCGR
— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) June 24, 2020
रामदेव ने कहा था- पूरा ट्रायल किया
रामदेव ने बताया था कि कोरोनिल और श्वसारि ने कोरोना ट्रायल में 100% सही नतीजे दिए। पतंजलि रिसर्च सेंटर और जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने सभी प्रॉटोकॉल का पालन करते हुए क्लीनिकल ट्रायल किया। ट्रायल में 3 दिन में 69% मरीज ठीक हुए, जबकि 7 दिन में 100% ठीक हो गए। आईसीएमआर से मंजूरी का सवाल टाल दिया। रामदेव ने कहा था कि गंभीर मरीज ट्रायल में शामिल नहीं थे। उन पर अगले चरण में परीक्षण किया जाएगा।
रिसर्च के लिए सरकार के मानक तय, इनका पालन जरूरी है
- केंद्र ने पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं समेत सभी दवाओं का प्रचार ड्रग्स एंंड मैजिक रेमेडीज एक्ट-1954 और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा जारी नियमों और निर्देशों के अनुसार लागू होता है।
- आयुष मंत्रालय ने 21 अप्रैल को जारी नोटिफिकेशन में कोविड-19 पर किए जाने वाले शोध की जरूरतों और तरीकों के बारे में बताया था। यह नोटिफिकेशन कंपनियों को सरकारी मंजूरी के बिना इलाज के दावे करने से रोकता है।