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कोरोनावायरस को लेकर एडमास यूनिवर्सिटी के रिस्‍पॉन्‍स पर बनाई 16 सदस्यीय टास्क फोर्स

दैनिक भास्कर

May 25, 2020, 06:20 PM IST

वैश्विक महामारी कोविड19 के जवाब में एडमास यूनिवर्सिटी ने 15 मार्च, 2020 को ही कैम्पस में नियमित कामकाज बंद कर दिया था। इसे राज्य सरकार के आग्रह के अनुसार तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया था, और फिर केन्द्र सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय लॉकडाउन के बाद 24 मार्च को ऑफिस का काम पूरी तरह से बंद कर दिया था, जो 10 मई, यानि अब तक जारी है।  

कैम्पस बना आइसोलेशन सेंटर: 

मार्च 2020 के आखिरी सप्ताह में माननीय चांसलर प्रोफेसर समित रे ने 10 लाख रू. सीएम राहत कोष को दिये और कैम्पस की क्वारंटीन सेंटर के तौर पर पेशकश की, जहाँ आइसोलेटेड लोगों के लिये अधिकतम 1000 बिस्तर हैं, साथ ही डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिये क्वार्टर भी मौजूद हैं। एडमास देश की पहली यूनिवर्सिटी थी, जिसने एक नॉन-मेडिकल यूनिवर्सिटी होने के बावजूद आइसोलेशन सेंटर का यह ऑफर दिया। बंगाल की माननीय मुख्यमंत्री सुश्री ममता बैनर्जी ने इस ऑफर को स्वीकार किया और जिला मजिस्ट्रेट, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों और ब्लॉक डेवलपमेन्ट ऑफिसर ने इस पहल की उपयुक्तता जाँचने के लिये कैम्पस के कई दौरे किये।  अब तक वहाँ सौ से अधिक लोगों को रखा जा चुका है, जिनकी स्थिति संदेहास्पद है, लेकिन संक्रमण साबित नहीं हुआ है और एयू द्वारा उन्हें दिन में तीन बार भोजन भी दिया जा रहा है। सरकार के दो डॉक्टर और करीब 12 स्वास्थ्यरक्षा पेशेवर रोज उनकी देखभाल कर रहे हैं और क्वारंटीन किये गये लोगों के सैनिटाइजेशन और सेवा को सुनिश्चित कर रहे हैं। आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने पर कई लोगों को घर भेजा जा चुका है। कैम्पस चीफ ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के नेतृत्व में सिक्योरिटी टीम और फूड कोर्ट टीम कैम्पस में क्वारंटीन किये गये लोगों की देखभाल के लिये चौबीसों घंटे काम कर रही है और वायरस के फैलाव की श्रृंखला को तोड़ने के लिये शिफ्टों में योगदान दे रही है।  योजना के अनुसार, राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार कैम्पस (अभी दो नॉन-अकादमिक ब्लॉक्स) के क्वारंटीन उपयोग के बाद, जो कुछ सप्ताह में खत्‍म होगा, पूरे कैम्पस का सैनिटाइजेशन किया जाएगा, खासकर उपयोग किये गये भवनों को सैनिटाइज किया जाएगा। निष्पादन के लिये थ्री लेयर सैनिटाइजेशन हेतु डब्ल्यूएचओ के विस्तृत दिशा-निर्देश रखे गये हैं और कैम्पस को शिक्षा में नियमित उपयोग के लिये तैयार किया गया है। चांसलर और यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारी इस विस्तृत सैनिटाइजेशन के बाद, आइसोलेशन के लिये उपयोग किये गये कमरों में कुछ रातें बिताएंगे, ताकि इस ऐतिहासिक कदम का अच्छा समापन हो और यूनिवर्सिटी से जुड़े लोगों का भरोसा कायम रहे। यूनिवर्सिटी के इस ऐतिहासिक कदम को विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने कवर किया है, जैसे पीटीआई, द टेलीग्राफ, टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, बिजनेस स्टैण्डर्ड, याहू न्यूज, आनंद बाजार पत्रिका, सन्मार्ग, न्यूज18, एबीपी ब्राण्ड, जी 24 घंटा, डेक्कन हेराल्ड, इंडिया टूडे, आउटलुक, आदि। 

सीखने में कोई लॉकडाउन नहीं होता हैः 

इसके साथ ही, एडमास यूनिवर्सिटी ने 16 मार्च से स्टूडेन्ट्स, और पैरेन्ट्स के साथ भी गूगल क्लास और जूम डिस्कशंस के माध्यम से जल्दी ही ऑनलाइन क्लासेस शुरू की थीं, ताकि वे शैक्षणिक रूप से संलग्न रहें, जो फिजिकल क्लासेस या सेमेस्टर एंड की परीक्षाओं में से जो पहले हो, उसके लिये कैम्पस खुलने तक जारी रहेंगी। पीडीएफ, पीपीटी, लिंक्स और केस-स्टडीज ईमेल किये जा रहे हैं और शेयरपॉइंट के इंटरनल केएमएस के अलावा शेयर्ड गूगल ड्राइव्स में स्टोर किये जा रहे हैं।  अप्रैल में सभी अकादमिक और नॉन-अकादमिक परिचालनों के लिये यूनिवर्सिटी का टीसीएसआयन (TCSion) लर्निंग मैनेजमेन्ट सिस्टम में डिजिटल स्थानांतरण हुआ। मार्च में कर्मचारियों ने एक दिन का वेतन सीएम रिलीफ फंड में दान किया। और वे सभी दूर से ही स्टूडेन्ट्स की शिक्षा, मूल्यांकन और निगरानी पर ध्‍यान दे रहे हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान परिवार के साथ रहने के लिये इतिहास के एक शिक्षक बांकुरा गये थे और वे लो-नेटवर्क वाले क्षेत्र में होने के कारण हर दिन छह घंटे पेड़ पर चढ़कर इंटरनेट से जुड़ते हैं और स्टूडेन्ट्स को पेड़ के ऊपर बने मचान से ऑनलाइन पढ़ाते हैं। इस बात की भी मीडिया में बहुत चर्चा हुई। ग्रामीण बंगाल में ऐसे कई स्टूडेन्ट्स हैं, जो इंटरनेट से जुड़ने के लिये एक दूर तय करते हैं और डिजिटल शिक्षा तथा गृहकार्य पूरा करते हैं। 

टास्क फोर्स और उसकी पहलें:

यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कोविड19 को एयू के जवाब में और महामारी के ठोस, सर्वांगीण, बौद्धिक और रचनात्मक जवाब के लिये पूरे यूनिवर्सिटी परिवार को संलग्न करने के लिये प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर उज्जवल के. चौधरी की अध्यक्षता में, और प्रोफेसर अमलेश मुखोपाध्याय (चेयरमैन, इनोवेशन एंड इंक्यूबैशन सेल) और डॉ. संजीव घोष (शोध प्रमुख) के संरक्षण में अपने विवेक से 2 अप्रैल को 16 सदस्यों वाली एक टास्क फोर्स बनाई थी।

टास्क फोर्स के अन्य सदस्य हैं :

इस टास्क फोर्स के कार्य थेः

  • शोध एवं विकास पहलों और गतिविधियों (बाहर से वित्तपोषित परियोजनाएं, वैज्ञानिक प्रकाशन, पैटेन्ट्स, आदि) का आंतरिक और बाहरी समन्वय

  • मीडिया के दिशा-निर्देशों का मसौदा
  • स्टूडेन्ट की संलग्नता को गति देना, आदि।

इस टास्क फोर्स की शुरूआती अवधि छह महीने की होगी, जो कोविड-19 के प्रकोप के परिदृश्य के आधार पर बढ़ाई जा सकती है।
टास्क फोर्स की मुलाकात अगले दिन 3 अप्रैल को हुई थी और कई शोध परियोजनाओं (अनुदान के साथ या बिना प्रस्तावों की प्रस्तुति) को लॉन्च करने, मीडिया में ब्लॉग और लेख लिखने, कला, पोस्टर, संगीत, लघु फिल्मों, कविता, आदि के माध्यम से रचनात्मक अभिव्यक्ति विकसित करने के लिये स्टूडेन्ट्स को संलग्न करने, वेबिनारों को सम्बोधित करने, इन सभी के साथ जवाब को व्यापक बनाने के लिये मीडिया तक पहुँचने और कोविड19 से सम्बंधित सभी मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने का निर्णय हुआ।
अब तक टास्क फोर्स चार फिल्में बना चुका है (पहली क्वारंटीन सेंटर की घोषणा और मीडिया रिस्पॉन्स पर, दूसरी और तीसरी देश और विदेश के महानुभावों की प्रतिपुष्टियों पर और अंतिम, सेंटर की प्रगति और बाद में आइसोलेशन सेंटर को बंद करने और सैनिटाइजेशन के उपायों की योजना पर)।
इसके अलावा, विभिन्न फैकल्टी मेम्बर्स ने करीब 95 ब्लॉग लिखे हैं, जो इस महामारी के किसी न किसी पहलू पर आधारित हैं, जैसे सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, चिकित्सकीय, प्रौद्योगिकीय, शैक्षणिक, आर्थिक, व्यापारिक, साहित्यिक या मीडिया और इन सभी का प्रकाशन यूनिवर्सिटी के पोर्टल के ब्लॉग्स-कॉर्नर और फेसबुक तथा लिंक्डइन पर किया गया। अब तक इनमें से कम से कम 9 को विभिन्न बाहरी पोर्टल्स और अखबारों ने लिया है और कई बाहर प्रकाशित हो रहे हैं। 
फैकल्टी मेम्बर्स द्वारा लिखे गये करीब 6 अकादमिक पेपर्स और रीव्यू पेपर्स विभिन्न पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित किये गये हैं, जो कोविड19 से उत्पन्न समस्याओं और प्रभावों के विभिन्न विश्लेषणों से सम्बंधित थे। विभिन्न फैकल्टी मेम्बर्स कोविड19 के विभिन्न पहलूओं पर अन्य शैक्षणिक संस्थानों और शोध एवं विकास निकायों द्वारा आयोजित वेबिनारों को सम्बोधित कर रहे हैं। दस स्कूलों में स्टूडेन्ट्स की 400 से अधिक रचनात्मक अभिव्यक्तियों (पोस्टर, फिल्म, कविता, कला, संगीत, नृत्य, आदि) को डिजिटल तरीके से साझा किया गया और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया गया, जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, यूट्यूब और ट्विटर। प्रवाह अब भी जारी है और अन्य अभिव्यक्तियाँ भी प्रकाशित होंगी।
एडमास यूनिवर्सिटी ने कोलकाता, पश्चिम बंगाल (भारत) में स्थित और मुख्य रूप से रोग के पूर्वलक्षण मूल्यांकन और नियंत्रण के लिये एआई-आधारित डिजिटल स्वास्थ्य अनुप्रयोग के क्षेत्र में कार्यरत कंपनी एक्युरा लैब्स प्राइवेट लिमिटेड (पंजीकृत ट्रेडमार्क “बायोजेनिक लाइफ™”) के साथ कोविड-19 संक्रमण की जाँच के लिये संयुक्त रूप से एक सस्ता और तीव्र परीक्षण किट विकसित करने के लिये 30 अप्रैल 2020 को एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किये। 
10 #AUCombatsCOVID19 वेबिनारों की एक श्रृंखला का आयोजन मई-जून 2020 में प्रत्येक स्कूल द्वारा एक विषय पर किया जा रहा है, जो उसके डोमेन पर महामारी के प्रभाव और उसे कम करने के लिये क्या किया जा रहा है और क्या किया जा सकता है, पर केन्द्रित है। 

ईच वन रीच वन

टास्क फोर्स की पहलों के साथ और #AdamasUniversityCares की व्यापक सामाजिक पहुँच में यूनिवर्सिटी ने 18 से 23 साल के युवाओं तक पहुँचने का निर्णय लिया है, जो आगे के समय की अनिश्चितता के कारण भ्रमित और चिंतित हैं। 
अभी कई युवाओं के जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ चल रहा है, वे शिक्षा का एक स्तर पूरा कर चुके हैं और आगे के जीवन और कॅरियर को लेकर भ्रमित, चिंतित और अनिश्चित हैं, खासकर कोविड19 के कारण आई अनिश्चितता और लॉकडाउन के कारण। एक जिम्मेदार शैक्षणिक संस्थान होने के नाते हम रोचक कॅरियर के ऑफर के साथ उन तक पहुँचेंगे और उच्च शिक्षा पर केन्द्रित वेबिनार, वीडियो से उनका उत्साह बढ़ाएंगे, जरूरत होने पर व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक और कैरियर काउंसलिंग करेंगे और ऐसी जानकारी देंगे, जो उनकी मदद करेगी। 
इस उद्देश्य के साथ प्रत्येक फैकल्टी मेम्बर और वर्तमान स्टूडेन्ट टास्क फोर्स को कम से कम एक ऐसे युवा से जोड़ रहा है, जो इस साल कक्षा 12 पास करने वाला है या ग्रेजुएट होने वाला है। अधिकांश परीक्षाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि कुछ नहीं हुई हैं, और ऐसे युवा बीच में अटके हुए हैं। वे पृष्ठभूमि, गुणवत्ता और आईक्यू के मामले में हमारे वर्तमान स्टूडेन्ट्स जैसे ही हैं, जबकि वे किसी भी विषय के हो सकते हैं- मानवता, विज्ञान, वाणिज्य, आदि और किसी भी लिंग के हो सकते हैं। हम एडमास के विभिन्न स्कूलों के माध्यम से वेबिनारों की एक श्रृंखला में उन्हें आमंत्रित करेंगे, जो हम अभी और आगे करने जा रहे हैं। उनके लिये बहुत सारे वीडियोज और जानकारी भी है। हम काउंसलिंग, व्यक्तित्व विकास, कॅरियर विकास के विशेषज्ञों के साथ जूम सेशंस करेंगे और उनकी पसंद के विशेष शैक्षणिक विशेषज्ञों के साथ भी। 
यह कोविड19 महामारी को हमारे जवाब के हिस्से के तौर पर हमारा ‘ईच वन, रीच वन’ कैम्पेन होगा और हम उन्हें सूचना, प्रेरणा, संलग्नता और उत्साह देने के लिये अपना सर्वश्रेष्ठ काम करेंगे और उन्हें अभी और आगे भी इस चुनौतीपूर्ण समय से बाहर निकालने में मदद करेंगे।

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