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अनलॉक में निर्यात होने से केले के दाम बढ़े फिर भी पिछले साल से आधे भी नहीं मिल रहे

  • स्वाद व गुणवत्ता के कारण दिल्ली व ईरान तक सप्लाय, हर माह 6000 टन उत्पादन

दैनिक भास्कर

Jun 24, 2020, 04:06 AM IST

बड़वानी. लॉकडाउन से छूट मिलने के बाद अब दिल्ली और ईरान तक केले की सप्लाय शुरू हुई है। स्वाद और गुणवत्ता के कारण ईरान व दिल्ली में केले की डिमांड ज्यादा है। लॉकडाउन के कारण केला उत्पादकों को भी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया में बाजार में केले के भावों में सुधार हुआ है। बावजूद अब भी पिछले साल की तुलना में भाव कम है। शहर के केला ग्रुप द्वारा रोजाना 60 से 70 टन केला दिल्ली व ईरान भेजा जा रहा है। इससे कुछ हद तक किसानों को भी राहत मिली है। जबकि पिछले साल एक वाहन से 1.70 लाख रुपए आय होती थी, जो लॉकडाउन में 20 हजार रुपए रह गई। वहीं अब 70 हजार रुपए आय हो रही है।
लॉकडाउन में डेढ़ रु. था भाव
लॉकडाउन में केले का भाव डेढ़ से दो रुपए किलो तक पहुंच गया था। अनलाॅक में निर्यात शुरू होने के साथ भाव भी बढ़ा है। अभी 6 से 7 रुपए किलो भाव है। केला ग्रुप के संचालक जितेंद्रसिंह सोलंकी (झक्कु दरबार) ने बताया 6 से 7 रुपए किलो भाव में लागत निकल रही है। लाभ नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया पिछले साल केले का भाव 18 रुपए किलो था। जबकि इस बार कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में भाव कम हो गए।

केले की खासियत
सोलंकी ने बताया ईरान में केले का उत्पादन नहीं होता है। वहीं निमाड़ के केले की खासियत के कारण इसकी मांग ज्यादा है। भाव कम होने के साथ इसकी मिठास व आकार पसंद किया जा रहा है। हर माह 6000 टन केला उत्पादन होता है। रोजाना 200 टन केले का सप्लाय अन्य देशों व स्थानीय बाजार में हाे रहा है। उन्होंने बताया केले की लंबाई 18 से 22 सेमी और 46 से 48 एमएम केलीबर (मोटाई) है।

नर्मदा के पानी ने बढ़ाई मिठास औैर गुणवत्ता
निमाड़ में कपास के बाद अब केला किसानों की मुख्य फसल है। नर्मदा के पानी से सिंचाई करने के कारण केले की मिठास व गुणवत्ता अन्य स्थानों से अच्छी है। इसलिए ही ईरान में निमाड़ के केले के डिमांड अधिक है। नर्मदा के पानी के कारण हमारे यहां का पका हुआ केला 6 से 7 दिन तक खराब नहीं होता। जबकि महाराष्ट्र में कुआं, ट्यूबवेल के पानी से सिंचाई करते हैं। इस कारण वहां का केला 3 से 4 दिन में काला पड़ने के साथ गलने लगता है। इसलिए भी ईरान में अपने यहां के केले की डिमांड अधिक है। उन्होंने बताया अभी रोजाना 21 टन केला ईरान भेज रहे हैं। यहां खेतों में ही बॉक्स पैकिंग कर कंटेनर से मुंबई पोर्ट सप्लाय करते हैं। वहां से शिप के जरिए ईरान तक केला सप्लाय होता है। जबकि पिछले साल रोजाना 30 से 40 टन निर्यात होता था। वहीं दिल्ली की डेयरी व सुपर बाजार में दो वाहन यानि 18 टन केला सप्लाय हो रहा है। इस तरह रोजाना दिल्ली व ईरान तक 60 से 70 टन केला सप्लाय किया जा रहा है।

दिल्ली में कोरोना के कारण कम सप्लाय

सोलंकी ने बताया कोरोना वायरस के कारण दिल्ली में केले की सप्लाय कम हो गई है। पहले रोजाना 5 वाहन सप्लाय होता था। लेकिन अब दो वाहन जा रहे हैं। एक वहन में 9 टन केला आता है। उन्होंने बताया दिल्ली तक जिले से रोज 3 से 4 टन अरवी भी सप्लाय की थी। उन्होंने बताया केले के साथ ईरान में निमाड़ के अदरक की भी मांग है। लेकिन इस बार उत्पादन नहीं होने से सप्लाय नहीं किया।

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