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तीसरी जनरेशन के अधिकार को लेकर हिंदुजा समूह में शुरू हुआ विवाद, सिंधु घाटी में पैदा होनेवाले परिवार ने ऐसे खड़ा किया पूरी दुनिया में कारोबार

  • हिंदुजा समूह में इस समय चार भाई अलग-अलग देशों में बिजनेस की कमान संभाल रहे हैं। ये सभी अपने अपने बिजनेस में सफल रहे हैं
  • अशोक हिंदुजा भारत में कारोबार देखते हैं। बड़े भाई श्रीचंद की बेटी के अधिकार को लेकर शुरू हुआ है विवाद

दैनिक भास्कर

Jun 24, 2020, 05:10 PM IST

मुंबई. भारतीय कॉर्पोरेट वर्ल्ड में एक नया विवाद सामने आया है। हिंदुजा समूह में करीबन 83 हजार करोड़ रुपए को लेकर यह विवाद शुरू हुआ है। हालांकि इस मामले के सामने आने के बाद हिंदुजा समूह ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। ग्रुप का कहना है कि इसे परिवार के अंदर सुलझा लिया जाएगा। यह हमारे सिद्धांतों के तहत है और इसे किसी विवाद के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

मामला क्या है?

हिंदुजा समूह के चार भाइयों में से सबसे बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के नाम से अभी पूरी संपत्ति है। इसी बीच तीन अन्य भाई गोपीचंद, प्रकाश और अशोक ने हिंदुजा के बैंक को नियंत्रण में लेने के लिए पत्र का इस्तेमाल करने की कोशिश की है। यह पत्र 2014 का है। श्रीचंद और उनकी लड़की वीनू चाहते हैं कि अदालत यह तय करे कि इस पत्र का अब कोई असर नहीं हो।

क्यों शुरू हुआ विवाद?

कहा जाता है कि दरअसल पहली और दूसरी जनरेशन में किसी के बीच कोई विवाद नहीं था। दूसरी जनरेशन में चार भाइयों में अभी तक कोई विवाद नहीं था। लेकिन अब सबसे बड़े भाई श्रीचंद जब उम्र के लिहाज से कमजोर हो रहे हैं और उनकी क्षमता कम हो रही है तो वे चाहते हैं कि उनकी लड़की को उनका वारिस बनाया जाए। यही कारण है कि जिस लेटर को लेकर बवाल हुआ है, उस लेटर का आधार यही है। हालांकि अगर ऐसा होता है तो बाकी तीन भाइयों की जो संतानें हैं, वे भी फिर इस तरह के कदम उठा सकती हैं।

ऐसे में यह ग्रुप अलग-अलग टुकडों में चार भागों में बंट जाएगा। हालांकि अब जब यह विवाद सामने आ ही गया है तो आज नहीं तो कल इस ग्रुप को बांटने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा।

अंबानी भाइयों में हो चुका है अलगाव

हिंदुजा परिवार में विवाद सामने आने के बाद एक बार फिर भारतीय कॉर्पोरेट वर्ल्ड में भाइयों के बीच झगड़ा सामने आया है। इससे पहले रिलायंस समूह में मुकेश और अनिल अंबानी का विवाद ऐसा चला कि दोनों भाइयों को अलग होना पड़ा। हालांकि इसका रिजल्ट कुछ भी निकला हो, पर इससे एक भाई दक्षिण एशिया में सबसे अमीर बिजनेस मैन हैं तो दूसरे भाई कर्ज के बोझ तले दबे हैं।

कहां से शुरू हुई यात्रा

हिंदुजा समूह की शुरुआत परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने की थी। यह परिवार अविभाजित भारत में उस समय सिंध के शिकारपुर टाउन का मूल निवासी था। यह वही सिंध घाटी थी, जहां 5,000 साल पहले सिंधु घाटी की सभ्यता की शुरुआत हुई थी और मानव प्रजाति ने संगठित व्यापार और बैंकिंग में अपना पहला कदम रखा था। परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने पहली बार भारत के बाहर इरान में 1919 में अपना कारोबार शुरू किया। हालांकि उससे पहले उन्होंने 1914 में सिंध से उस समय के बॉम्बे की ओर अपना रूख किया ताकि बिजनेस को शुरू किया जाए। यह कारोबार मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेड के साथ शुरू हुआ।

इस ग्रुप की हेड ऑफिस 1979 तक इरान में थी। बाद में इस्लामी क्रांति की वजह से मुख्यालय को यूरोप ले जाने पर बाध्य होना पड़ा।

यूरोप में जाने के बाद बिजनेस को मिली मजबूती

यूरोप में शिफ्ट होने के बाद हिंदुजा ग्रुप ने बिजनेस को मजबूती देना शुरू किया। इसके तहत बिजनेस में डाइवर्सिफिकेशन हुआ। इसे ऑटोमोटिव, आईटी, मीडिया, एंटरटेनमेंट, इंफ्रा, डेवलपमेंट, ऑयल एवं स्पेशियालिटी केमिकल्स, पावर, रियल इस्टेट एंड हेल्थकेयर सेक्टर में फैलाया गया। यह डाइवर्सिफिकेशन श्रीचंद हिंदुजा के नेतृत्व में हुआ। इसमें उनके तीन भाइयों गोपीचंद, प्रकाश और अशोक हिंदुजा का सपोर्ट था।

1.50 लाख हैं ग्रुप में कर्मचारी

ग्रुप में वर्तमान में एक लाख 50 हजार कर्मचारी हैं। दुनिया के कई शहरों में इसकी ऑफिस हैँ। पिछले 100 सालों से यह ग्रुप अलग-अलग बिजनेस में अपने आप को स्थापित किया है। इस ग्रुप ने हमेशा एक फ्री-मार्केट रिफॉर्म्स को अपनाया और जल्दी से नए बाजारों में प्रवेश किया और वहां के इकोनॉमिक अवसरों को भुनाने का काम किया। यह दुनिया के डावइर्सिफाइ समूहों में से एक है जो 38 देशों में अपने व्यापार को डायरेक्ट पहुंचाया है। 100 देशों में इसकी गतिविधियां हैं।

इसके प्रमुख बिजनेस में ऑटोमोबाइल, ऑयल एवं स्पेशियालिटी केमिकल्स, मीडिया, पावर, आईटी, हेल्थकेयर, प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, ट्रेडिंग, बैंकिंग एंड फाइनेंस, रियल इस्टेट और साइबर सिक्योरिटी का समावेश है।

ब्रिटेन की अमीरों की सूची में है हिंदुजा ब्रदर्स का दबदबा

ब्रिटेन की अमीरों की सूची में भारतीय मूल के हिंदुजा ब्रदर्स का दबदबा रहा है। यह परिवार 22 अरब पौंड (करीब 2 लाख करोड़ रुपए) की संपत्ति के साथ ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों की सूची में पहले स्थान पर काबिज है। ब्रिटेन की मीडिया ‘संडे टाइम्स’ के मुताबिक हिंदुजा समूह की कंपनियों को चलाने वाले श्रीचंद और गोपीचंद हिंदुजा की संपत्तियों में 2019 में 1.35 अरब पौंड का इजाफा हुआ है। इससे पहले वे साल 2014 और 2017 में भी ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों की सूची में शीर्ष पर रह चुके हैं।

1.86 लाख करोड़ रुपए की है नेटवर्थ

फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक 2019 में ग्रुप की कुल नेटवर्थ 1.86 लाख करोड़ रुपए रही है। प्रमुख कंपनियों में इंडसइंड बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन 33,426 करोड़ रुपए है। गल्फ ऑयल का मार्केट कैपिटलाइजेशन 3,134 करोड़ रुपए है। अशोक लेलैंड का मार्केट कैपिटलाइजेशन 15,899 करोड़ रुपए है। हिंदुजा चार भाई हैं। इनमें लंदन निवासी श्रीचंद हिंदुजा और गोपीचंद हिंदुजा दुनियाभर में हिंदुजा ग्रुप के तहत तेल व गैस, बैंकिंग, आईटी व प्रॉपर्टी का कारोबार करते हैं।

2014 में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री की ऑफिस खरीदी थी 

दोनों भाई निर्यात कारोबार को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1979 में लंदन आए थे। उन्होंने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के ओल्ड वार ऑफिस को वर्ष 2014 में 35 करोड़ पाउंड (3,150 करोड़ रुपए) में खरीद लिया। इसे वे एक लक्जरी होटल में तब्दील कर रहे हैं, जिसके अगले वर्ष तैयार हो जाने की उम्मीद है। तीसरे भाई प्रकाश हिंदुजा स्विट्जरलैंड के जेनेवा में फाइनेंस का कारोबार संभालते हैं। चौथे भाई अशोक हिंदुजा भारत में ग्रुप के कारोबार की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

ये हैं समूह की प्रमुख कंपनियां

ब्रिटिश नागरिक श्रीचंद (83) और गोपी (79) लंदन में रहते हैं। दोनों भाई निर्यात व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए 1979 में लंदन चले गए थे। इनकी प्रमुख कंपनियों में अशोक लेलैंड, गल्फ ऑयल , हिंदुजा बैंक स्विट्जरलैंड, इंडसइंड बैंक, हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस, हिंदुजा टीएमटी, हिंदुजा वेंचर्स, इंडसइंड मीडिया एंड कम्युनिकेशंस लिमिटेड, हिंदुजा फाउंडरीज और पी डी हिंदुजा अस्पताल का समावेश है।

बोफोर्स घोटाले से भी जुड़ा था नाम

श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाश हिंदुजा का नाम बोफोर्स घोटाले में भी सामने आया था। इस घोटाले में स्वीडिश कंपनी बोफोर्स पर यह आरोप लगाया गया कि उसने 1986 में भारत सरकार को 1.3 अरब डॉलर की रिश्वत दी थी। यह रिश्वत 400 तोप की बिक्री के सिलसिले में सरकारी अधिकारियों और राजनीतिज्ञों को दी थी। तीनों भाइयों पर सीबीआई ने अक्टूबर 2000 में आरोप लगाए थे। मगर, साल 2005 में दिल्ली की कोर्ट ने सबूत के अभाव में उन पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया।

ये हैं ग्रुप के प्रमुख लोग

श्रीचंद परमानन्द हिंदुजा: परमानंद डी हिंदुजा के बड़े बेटे 84 वर्षीय श्रीचंद, हिंदुजा परिवार के प्रमुख और हिंदुजा समूह के अध्यक्ष हैं। 1952 में शिक्षा पूरी करने के बाद एसपी ने अपने पिता के पारिवारिक व्यवसाय में साथ दिया और अपने भाइयों गोपीचंद, प्रकाश और अशोक हिंदुजा के साथ जुड़ गए। उन्होंने 11.5 अरब डॉलर के हिंदुजा समूह के विविधीकरण और विस्तार की रणनीति बनाई।

लंदन में स्थित, एसपी का नाम 80 के दशक के मध्य के दौरान बोफोर्स घोटाले में प्रमुख रूप से उछला था जब यह आरोप लगाया गया था कि हिंदुजा बंधुओं को गांधी परिवार से निकटता के कारण स्वीडिश कंपनी के पक्ष में सौदे को मोड़ने के लिए कमीशन दिया गया था।

गोपीचंद हिंदुजा: व्यापार की दुनिया में ‘जीपी’ के नाम से प्रसिद्ध, गोपीचंद 1959 में मुंबई में पारिवारिक व्यवसाय में शामिल हुए और फिलहाल हिंदुजा समूह के को-चेयरमैन हैं। वह ग्रुप को भारत-मध्य पूर्व व्यापार संचालन से निकालकर मल्टी बिलियन बनाने वाले रहे हैं। 

प्रकाश हिंदुजा: ये हिंदुजा समूह के अध्यक्ष हैं और यूरोप में बसे हैं। अपनी यूनिवर्सिटी की शिक्षा पूरी करने के बाद वह तेहरान, ईरान में फैमिली बिजनेस से जुड़ गए। बाद में वह जिनेवा चले गए और समूह के यूरोपीय अभियानों का कार्यभार संभाला। इसके बाद 2008 में वह मोनाको चले गए।

अशोक हिंदुजा: पीडी हिंदुजा के सबसे छोटे बेटे अशोक मुंबई में स्थित हैं और 80 के दशक के मध्य से हिंदुजा ग्रुप ऑफ कंपनीज (इंडिया) के अध्यक्ष के रूप में हिंदुजा समूह संचालन कर रहे हैं। अशोक वर्तमान में इंडसइंड बैंक की पैरेंट प्रमोटिंग कंपनी आईआईएचएल (मॉरीशस) के चेयरमैन के तौर पर काम करते हैं, जो अब पारिवारिक विवाद के बीच में है ।

अशोक हिंदुजा ग्रुप के मीडिया और एंटरटेनमेंट वर्टिकल एनएक्सटी डिजिटल लिमिटेड के चेयरमैन और हिंदुजा नेशनल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के कार्यकारी और एमेरिटस ऑफ हिंदुजा ग्लोबल सलुंशन्स (एक बीपीओ कंपनी) के चेयरमैन भी हैं।

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