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रघुवंश प्रसाद सिंह ने राजद के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, रामा सिंह को पार्टी में लाने पर नाराज चल रहे थे

  • रघुवंश प्रसाद सिंह राजद में बड़े सवर्ण चेहरे और लालू यादव के काफी करीबी माने जाते हैं
  • मंगलवार को राजद को दो बड़े झटके मिले, पांच विधान पार्षदों ने भी जदयू का दामन थाम लिया

दैनिक भास्कर

Jun 23, 2020, 01:52 PM IST

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है वैसे ही सियासी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। मंगलवार को राजद को एक के बाद एक दो बड़े झटके मिले। पांच विधान पार्षदों के पार्टी छोड़ने के बाद राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, अभी पार्टी की तरफ से उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।

राजद के करीबी सूत्रों के मुताबिक वे वैशाली के पूर्व सांसद रामा सिंह के पार्टी में आने को लेकर नाराज चल रहे थे। रामा सिंह ने पिछले दिनों ही तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी और इसके बाद यह तय माना जा रहा था कि वह राजद में शामिल हो जाएंगे। रामा के 29 जून को राजद ज्वाइन करने की बात कही जा रही थी। इसी बात से रघुवंश प्रसाद सिंह काफी नाराज थे।

2014 में आमने-सामने थे रघुवंश और रामा सिंह
राजद के टिकट पर रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली लोकसभा सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं। 2014 में रघुवंश प्रसाद सिंह ने राजद और रामा सिंह ने लोजपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इसमें रघुवंश प्रसाद सिंह चुनाव हार गए थे। उस चुनाव से पहले ही दोनों नेताओं के बीच सियासी दुश्मनी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने रामा सिंह को टिकट नहीं दिया था। तब राजद ने रामा सिंह को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी लेकिन, रघुवंश प्रसाद के विरोध के आगे पार्टी को झुकना पड़ा।

अब बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर है और पार्टी जीतने वाले उम्मीदवार की तलाश कर रही है। यही वजह है कि राजद ने रामा सिंह को पार्टी में लाने की पूरी तैयारी कर ली है। यह बात रघुवंश प्रसाद सिंह को अखर रही है और इसी वजह से उन्होंने पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

राजद में सवर्ण के बड़े चेहरे हैं रघुवंश प्रसाद
रघुवंश प्रसाद सिंह राजद में बड़े सवर्ण चेहरे हैं और ऊंची जातियों के वोट को अपने पाले में लाने वाले नेता हैं। वैशाली लोकसभा क्षेत्र में इनकी मजबूत पकड़ है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी माने जाते हैं। पार्टी के सभी फैसलों में साथ खड़े रहते हैं। यहां तक कि जब राजद ने सवर्ण आरक्षण का विरोध किया था तब भी ये पार्टी के साथ थे। अपने क्षेत्र में सवर्ण आरक्षण के खिलाफ धरने पर भी बैठे थे।

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