- रिपोर्ट में कहा गया- नीति निर्माताओं ने कोविड-19 जैसा संकट पहले कभी नहीं देखा
- वित्त वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था में ‘वी’ शेप में रिकवरी होने का अनुमान
- दिल्ली-चंडीगढ़ जैसे राज्यों में प्रति व्यक्ति आय में सबसे ज्यादा गिरावट आने की आशंका
दैनिक भास्कर
Jun 23, 2020, 02:46 PM IST
नई दिल्ली. कोरोनावायरस के कारण पैदा हुई स्थितियों से आम जनता के साथ सरकार भी बेहद परेशान है। इसका प्रमुख कारण है कि पहले कभी ऐसा संकट देखने को नहीं मिला था। इससे पहले आए सभी संकट निवेशकों का सेंटीमेंट बिगड़ने के कारण पैदा हुए थे। उन सभी संकटों की वजह की पहचान भी हो जाती थी, लेकिन एक नए तरीके की समस्या को जन्म दे रहा है। मौजूदा संकट के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में दुनियाभर के देशों की जीडीपी ग्रोथ में गिरावट तय मानी जा रही है। इस दौरान लोगों की आय में भी गिरावट आने की आशंका है।
भारत की जीडीपी ग्रोथ में 6.8% गिरावट का अनुमान
वित्त वर्ष 2021 में भारत की जीडीपी ग्रोथ में 6.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताया गया है। यह बात एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट में कही गई है। हालांकि, रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई है कि अनुकूल बेस इफेक्ट के कारण वित्त वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी वी (V) शेप में होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, यदि यह बेस प्रभाव कारगर साबित नहीं होता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को रिकवरी में चार साल तक का समय लग सकता है। वहीं वैश्विक स्तर पर जीडीपी में 5.2 फीसदी और पर-कैपिटा जीडीपी में 6.2 फीसदी गिरावट का अनुमान है।
भारत को दूसरे देशों जैसी गलती नहीं दोहरानी चाहिए
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिकवरी के लिए भारत की राजकोषीय नीति की प्रतिक्रिया को और अधिक आक्रामक होना होगा। भारत को एशियाई वित्तीय संकट और यूरो जोन संकट के समय दूसरे देशों की ओर से की गई गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए। वित्त वर्ष 2022 में भारत की सॉवरेन रेटिंग भी नीतिगत प्रतिक्रिया के आधार पर निर्धारित होगी।
प्रति व्यक्ति आय में 5.4% गिरावट का अनुमान
इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 संकट के कारण भारत में प्रति व्यक्ति आय (पीसीआई) में भी गिरावट होगी। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021 में पीसीआई में 5.4 फीसदी की गिरावट होगी और यह गिरकर 1.43 रुपए पर आ जाएगी। यह नॉमिनल जीडीपी की गिरावट से ज्यादा होगी। वित्त वर्ष 2021 में भारत की नॉमिनल जीडीपी 3.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान है।
अमीर राज्यों में पीसीआई में ज्यादा गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के कारण अमीर राज्यों में पीसीआई में ज्यादा गिरावट होगी। अमीर राज्यों में ऐसे राज्य शामिल हैं जिनका पीसीआई भारत के औसत पीसीआई से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में दिल्ली के पीसीआई में 15.4 फीसदी और चंडीगढ़ में 13.9 फीसदी की गिरावट होगी। यह भारत के औसत पीसीआई (-5.4) से ज्यादा है।
राज्यों की पर-कैपिटा जीडीपी पर कोविड-19 का प्रभाव
राज्य | पर-कैपिटा जीडीपी (लाख रुपए में) | ||
वित्त वर्ष 2020 | वित्त वर्ष 2021 | बदलाव (% में) | |
दिल्ली | 4.48 | 3.79 | -15.4% |
चंडीगढ़ | 3.91 | 3.37 | -13.9% |
गुजरात | 2.42 | 2.14 | -11.6% |
तमिलनाडु | 2.39 | 2.12 | -11.4% |
तेलंगाना | 2.64 | 2.25 | -11.1% |
प. बंगाल | 1.40 | 1.24 | -11.1% |
अंडमान निकोबार द्वीप |
1.99 | 1.78 | -10.6% |
महाराष्ट्र | 2.06 | 1.85 | -10.3% |
हरियाणा | 2.92 | 2.63 | -9.8% |
जेएंडके | 1.12 | 1.01 | -9.6% |
राजस्थान | 1.33 | 1.21 | -9.2% |
बिहार | 0.55 | 0.50 | -8.7% |
पंजाब | 1.82 | 1.67 | -8.4% |
केरल | 2.44 | 2.25 | -8.2% |
आंध्र प्रदेश | 1.72 | 1.58 | -8.1% |
कर्नाटक | 2.60 | 2.40 | -7.8% |
उत्तर प्रदेश | 0.81 | 0.75 | -7.5% |
मध्य प्रदेश | 1.09 | 1.01 | -7.1% |
उत्तराखंड | 2.36 | 2.22 | -5.7% |
झारखंड | 0.91 | 0.86 | -5.4% |
पुद्दूचेरी | 2.59 | 2.46 | -4.8% |
हिमाचल प्रदेश | 2.06 | 1.98 | -3.7% |
ओडिशा | 1.15 | 1.11 | -3.7% |
त्रिपुरा | 1.40 | 1.35 | -3.6% |
मेघालय | 1.07 | 1.03 | -3.3% |
सिक्किम | 4.42 | 4.32 | -2.4% |
मिजोरम | 2.10 | 2.05 | -2.4% |
असम | 0.99 | 0.97 | -2.3% |
छत्तीसगढ़ | 1.12 | 1.10 | -2.1% |
नगालैंड | 1.40 | 1.38 | -1.5% |
मणिपुर | 0.82 | 0.82 | -0.6% |
गोवा | 5.29 | 5.31 | 0.3% |
अरुणाचल प्रदेश | 1.62 | 1.62 | 0.3% |
इंडिया | 1.53 | 1.43 | -5.4% |
भारत की नॉमिनल जीडीपी (लाख करोड़ रुपए में)
नॉमिनल जीडीपी | 202.3 | 194.6 | -3.8% |
स्रोत: एसबीआई रिसर्च