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रेस्क्यू के लिए दमोह में नहीं हैं छोटी नाव, बड़ी नाव ले जाने के लिए चाहिए 20 जवान

  • बाढ़ आने पर होगी परेशानी, दो प्लास्टिक की फटी नाव सुधरने भेजी गईं

दैनिक भास्कर

Jun 23, 2020, 05:20 AM IST

दमोह. जिले में बाढ़ से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने सारी तैयारियां कर ली हैं, लेकिन इन तैयारियों की संसाधनों की कमी के चलते पोल खुलती नजर आ रही है। सबसे बड़ी समस्या नाव की कमी को लेकर है, बाढ़ से निपटने के लिए जिले में सिर्फ 6 नाव हैं, जिनमें दो प्लास्टिक बोट फट गईं हैं, जिन्हें ठीक कराने भोपाल भेजा गया है। विभाग के पास जो चार नाव हैं, उनमें से भी तीन को ग्रामीण अंचलों में भेज दिया गया है, जबकि बची एक नाव जिला मुख्यालय पर रखी गई है। 
   परेशानी की बात है कि यह नाव इतनी बड़ी हैं कि उसे रेस्क्यू स्थल तक ले जाने के लिए ही 20 जवानों की जरूरत होगी। यह भी तय नहीं है जहां पर नाव की जरूरत है वहां पर पहुंच पाएगी कि नहीं। विभाग के पास ऐसी छोटी कोई भी नाव नहीं है, जिससे तुरंत रेस्क्यू चालू कर दिया जाए। हैरानी की बात यह है कि बाढ़ आपदा ने निपटने के लिए शासन ने दमोह को 10 लाख रुपए की राशि मंजूर की है, इससे तीन छोटी नाव खरीदी जानी है, लेकिन प्रक्रिया में देरी होने की वजह से मामला अटक रहा है।
जवानों की तैनाती लेकिन संसाधनों का टोटा : मौसम की स्थिति को देखते हुए जिले में सभी 7 ब्लाकों में होमगार्ड सैनिक तैनात कर दिए गए हैं। हर ब्लाक में छह से सात सैनिकों की ड्यूटी लगाई गई है और उन्हें मुख्यालय भी दिया गया है, ताकि समय रहते बाढ़ या फिर किसी जगह घटना होने की सूचना मिले तो तुरंत टीमें पहुंच जाएं। शासन ने टीमें तो तैनात कर दीं हैं, लेकिन उन्हें फिलहाल आपदा से लड़ने के लिए सही संसाधन नहीं मिले हैं। जवानों को रस्सी, टॉर्च और जाकेट दी गईं हैं, लेकिन अभी छोटी नाव नहीं सौंपी गई हैं, जबकि आपदा में छोटी नाव महत्वपूर्ण होती है, उसे तुरंत जवान जहां जरूरत पड़ने पर आसानी से पहुंचा देते हैं, लेकिन जिले में ऐसी नावों का टोटा है। बताया जाता है कि पिछले साल जिन क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बने थे, वहां वॉलेंटियर तैयार किए गए हैं। 

तेज बारिश होती है तो यह चार नदियां खड़ी कर देती हैं मुसीबत  
जिले में कोपरा, सुनार, जूड़ी, व्यारमा सहित अन्य छोटी-बड़ी नदियां हैं। तेज बारिश होने पर यह उफान पर आ जाती हैं और इससे आसपास के करीब दो दर्जन से अधिक गांवों में पानी भरना शुरू होता है। बड़ी संख्या में लोग घिर जाते हैं। बचाव के लिए आसपास के जिले से भी टीमें बुलाई जाती हैं। कोपरा नदी की बाढ़ से ग्राम पायरा, हिन्नाई और बलारपुर-बांदकपुर के बीच में स्थित खैरी, हिनौता में पानी भर जाता है। इसी प्रकार व्यारमा नदी का पानी अभाना क्षेत्र के अमखिरिया, गोपालपुरा में भर जाता है।

जिला आपदा प्रबंधन की वरिष्ठ निरीक्षक रजनी रजक ने बताया कि दमोह में तीन छोटी प्लास्टिक नाव की जरूरत है, लेकिन दो मिल जाएगी तो भी काम हो जाएगा। छोटी नाव खरीदने के लिए 10 लाख रुपए की राशि शासन से प्राप्त हुई है, जिससे खरीदी की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में दमोह के स्टोर में छह नाव हैं, जिनमें दो प्लास्टिक नाव खराब हो गईं हैं, उन्हें भोपाल सुधरवाने के लिए भेजा है। जो बची 4 नाव हैं, वे फाइवर की हैं और साइज में बड़ी भी हैं। जिन्हें हर जगह तुरंत ले जाना संभव नहीं है, ट्रक में लोड करने में भी परेशानी होती है। जबकि तुरंत एक्शन लेने के लिए छोटी नाव चाहिए। उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय से नाव खरीदी की प्रक्रिया चल रही है। 26 जून तक अधिकारियों ने नाव उपलब्ध कराने की बात कही है। उन्होंने बताया कि इस बार आपदा से लड़ने के लिए 50 जवान तैनात किए गए हैं। हटा में 6, तेजगढ़ में 6, नोहटा में 6 और पथरिया में 6 जवान तैनात किए गए हैं। बाढ़ का सामान भी थानों में पहुंचा दिया है। चार नाव में से भी एक हटा और एक गैसाबाद में मुख्यालय पर भेज दी है। इसी तरह एक अन्य नाव भी आसपास भेजी गई है। बाकी एक नाव मुख्यालय पर है। जिसे इमरजेंसी पर उपयोग किया जाएगा।

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